
धनबाद : धनबाद के बाघमारा में चाल धंसने की घटना के बाद एनडीआरएफ और बीसीसीएल की रेस्क्यू टीम हादसे की जगह पहुंच गई है. बाघमारा में चाल धंसने की घटना में कई मजदूरों के दबे होने की बात कही जा रही है. रेस्क्यू के लिए एनडीआरएफ की टीम धनबाद पहुंच चुकी है. एनडीआरएफ के संतोष पठानिया के नेतृत्व में 33 सदस्यीय टीम रेस्क्यू के लिए डेरा जमा चुकी है. अवैध उत्खनन के दौरान जो हादसा हुआ है, उस स्थान के चारों ओर के इलाकों में एनडीआरएफ की टीम मुआयना कर रही है.
दरअसल, पास में ही जमुनिया नदी बह रही है. बारिश के कारण जमुनिया नदी का जलस्तर बढ़ा हुआ है. इसी जमुनिया नदी का पानी अवैध उत्खनन के मुहाने में घुसने की बात सामने आ रही है. जिससे चाल धंसने की घटना हुई थी. एनडीआरएफ की टीम, जमुनिया नदी व आसपास के इलाके का निरीक्षण कर रही है. एनडीआरएफ की टीम के साथ बीसीसीएल की माइंस रेस्क्यू टीम भी है.
रेस्क्यू से पहले मुआयना कर रही NDRF की टीम, चुनौती से कम नहीं है बचाव कार्य
अवैध उत्खनन स्थल पर दबे लोगों का रेस्क्यू करना, एनडीआरएफ और बीसीसीएल की टीम के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. क्योंकि बीसीसीएल या कोल कंपनियों की खदानों में होने वाले हादसे की पुख्ता जानकारी कंपनी के पास होती है. जितने भी माइंस यानी खदान संचालित होते हैं. उनके मैप, कंपनी के प्रबंधन के पास रहते हैं.
जब घटना घटती है तो इसी मैप के जरिए, रेस्क्यू टीम मौके तक पहुंचती है और फिर रेस्क्यू कर लोगों को राहत पहुंचाने का काम करती है. लेकिन जिस तरह से जमुनिया में अवैध उत्खनन के दौरान हादसा हुआ है, उसमें एनडीआरएफ और बीसीसीएल के लिए रेस्क्यू का काम किसी गंभीर चुनौती से कम नहीं है.
इस मामले को लेकर बाघमारा सीओ बाल किशोर महतो ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि NDRF की टीम ने नदी के किनारे वाली जगह का निरीक्षण किया है.
खदान के अंदर होते हैं कई मुहाने
अवैध उत्खनन के जो मुहाने संचालित होते हैं. उसमें जाने का एक ही रास्ता होता है लेकिन उसके अंदर कई मुहाने खोल दिए जाते हैं, जो मुहाना ऊपर में दिखाई देता है. वह सिर्फ आने-जाने का रास्ता होता है. जबकि इसके सैकड़ों फीट नीचे अलग-अलग दिशा में कई मुहाने (सिम) खुले होते हैं. उन मुहानों में फिर अलग-अलग मुहाने खोले जाते हैं और जहां से कोयला निकाला जाता है.
व्यवस्थित तरीके से कोयला निकालती है बीसीसीएल
बीसीसीएल एक व्यवस्थित तरीके से खनन का कार्य करती है लेकिन अवैध उत्खनन के दौरान कोयले की कटाई के लिए अव्यवस्थित तरीका अपनाया जाता है. कोयला तस्करों को सिर्फ कोयले के प्रोडक्शन से मतलब होता है. ऐसे में बचाव का कार्य एनडीआरएफ और बीसीसीएल की रेस्क्यू की टीम के लिए काफी कठिन होता है.
वैकल्पिक रास्ते पर ज्यादा फोकस
2 फरवरी 2001 को बीसीसीएल लोदना एरिया की बागड़ीगी कोलियरी में एक बड़ा खदान हादसा हुआ था, जिसमें 29 की मौत हुई थी. बागड़ीगी खदान में हादसा हुआ था, जबकि शवों को जयरामपुर के खदान से रेस्क्यू कर निकाला गया था. एनडीआरफ व तमाम रेस्क्यू कार्य जयरामपुर खदान से ही किए गए थे. ठीक इसी तरह एनडीआरएफ की टीम भी अपना रास्ता निकाल रही है लेकिन यह आसान नहीं है.
मौके पर पहुंचे थे विधायक सरयू राय और गिरिडीह सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी
आपको बता दें कि कोयले के अवैध उत्खनन के दौरान हुए हादसे के बाद, बुधवार को गिरिडीह सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी और जमशेदपुर पश्चिम से विधायक सरयू राय निरीक्षण करने मौके पर पहुंचे थे. इस दौरान गिरिडीह सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी के द्वारा बाघमारा थाना में लिखित शिकायत की गई थी, इसके बाद उत्खनन स्थल पर रेस्क्यू के लिए टीम पहुंची है.
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