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ग्राम केरा में संपन्न हुआ संत रामपाल जी महाराज का अनमोल सत्संग

मोक्ष प्राप्ति की प्रमाण सहित तत्वज्ञान सत्संग के माध्यम से बताया गया

ग्राम केरा में संपन्न हुआ संत रामपाल जी महाराज का अनमोल सत्संग

रिपोर्ट प्रशान्त पटेल


मोक्ष प्राप्ति की प्रमाण सहित तत्वज्ञान सत्संग के माध्यम से बताया गया

ग्राम केरा में संपन्न हुआ संत रामपाल जी महाराज का अनमोल सत्संग जिसमें पूर्ण मोक्ष कैसे प्राप्त करें गीतानुसार मुक्ति मार्ग क्या है इसके बारे में संत रामपाल जी महाराज जी ने अपने सत्संग में बताया।

संत रामपाल जी ने अपने सत्संग के माध्यम से बताया कि हम सब जीव काल ब्रह्म के लोक में जन्म मृत्यु रूपी पासे में बंधे हुए हैं। जब तक हम इस संसार में रहेंगे हमारे ऊपर मृत्यु रूपी तलवार हर जन्म में लटकी रहेगी। इससे कैसे छुटकारा पा सकते हैं, इसका उपाय हमारे पवित्र शास्त्रों में बताया गया है। जिसका प्रमाण संत रामपाल जी महाराज ने सत्संग के माध्यम से दिखाया।

संत रामपाल जी महाराज ने बताया कि 600 वर्ष पूर्व कबीर परमेश्वर जी इस संसार में कमल के फूल पर बालक रूप में प्रकट हुए। स्वामी रामानंद जी को 5 वर्ष की आयु में मिले उस समय स्वामी रामानन्द जी की आयु 104 वर्ष थी। बालक रूप में लीला कर रहे कबीर परमेश्वर जी ने रामानंद जी को पवित्र गीता और वेदों में छुपे गुढ़ रहस्य से परिचित कराया।

कबीर परमेश्वर जी ने रामानंद जी को बताया कि गीता ज्ञान दाता काल ब्रह्म है जिन्होंने श्री कृष्ण जी अंदर प्रवेश कर गीता ज्ञान दिया है।

गीता जी अध्याय 8 श्लोक 13 में गीता ज्ञान दाता अपने प्राप्ति के लिए एक ॐ मंत्र की जाप बता रहे हैं। और कोई मंत्र नहीं हैं।

गीता अध्याय 8 श्लोक 5, 7 तथा 13 में गीता ज्ञान दाता ने अपने विषय में साधना करने को बताया है कि जो मेरी साधना ओम् (ॐ) नाम का स्मरण अन्तिम श्वांस तक करेगा, वह मुझे ही प्राप्त होगा। इसलिए तू युद्ध भी कर तथा मेरा ओ३म् नाम का स्मरण भी कर क्योंकि युद्ध हल्ला (ऊँचे स्वर से शोर) करके किया जाता है, इसलिए कहा है कि ओम् (ॐ) नाम का उच्चारण (ऊँचे स्वर में शोर) करता हुआ स्मरण भी कर तथा युद्ध भी कर।

फिर गीता अध्याय 8 श्लोक 6 में कहा है कि यह विधान है कि जो जिस प्रभु का अंत समय में स्मरण करता हुआ शरीर त्यागता है वह उसी को प्राप्त होता है। गीता ज्ञान दाता प्रभु गीता अध्याय 8 श्लोक 8 से 10 तक तीनों श्लोकों में अपने से अन्य पूर्ण परमात्मा (परम दिव्य पुरुष परमेश्वर अर्थात् पूर्णब्रह्म) के विषय में कह रहा है कि यदि कोई उसकी साधना करता हुआ शरीर त्यागता है तो उसी पूर्ण परमात्मा (परमेश्वर) को ही प्राप्त करता है। उसी से पूर्ण मोक्ष तथा सत्यलोक प्राप्ति तथा परम शान्ति प्राप्त होती है। इसलिए गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में उस परमेश्वर (पूर्ण ब्रह्म) की शरण में जाने को कहा है।

रामानंद जी ने सर्व प्रमाणों को आँखों देखकर दांतों तले अंगुली दबाई तथा सत्य को स्वीकार किया। कहा कि बच्चा बात तो शास्त्रों की तू सही बता रहा है जो सत्य है। आज तक हमारे को किसी ने ऐसा ज्ञान ही नहीं दिया।

कबीर परमेश्वर जी ने रामानंद जी को आगे बताया कि पवित्र गीता अध्याय 15 मंत्र 1 से 4 में कहा है कि यह उल्टा लटका हुआ संसार रूपी वृक्ष है, ऊपर को मूल आदि पुरुष अर्थात् सनातन परमात्मा है, नीचे को तीनों गुण (रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु, तमगुण शिव) रूपी शाखायें हैं। इस उल्टे लटके संसार रूपी वृक्ष अर्थात् पूर्ण सृष्टि रचना को मैं (ब्रह्म-काल) नहीं जानता। यहाँ विचारकाल में अर्थात् गीता जी के ज्ञान में आपको मैं पूर्ण ज्ञान नहीं दे सकता। उसके लिए किसी तत्वदर्शी संत की खोज कर। (गीता अध्याय 4 मंत्र 34) फिर वह आपको सर्व सृष्टि की रचना का ज्ञान तथा सर्व प्रभुओ की स्थिति सही बताएगा। उसके पश्चात् उस परमपद परमेश्वर की खोज करनी चाहिए जिसमें गए साधक का फिर जन्म-मृत्यु नहीं होता अर्थात् पूर्ण मोक्ष हो जाता है।

वर्तमान में गीता जी अनुसार तत्वज्ञान संत रामपाल जी महाराज ही बता रहे हैं। उन्होंने ही सृष्टि की रचना का सही ज्ञान और सभी शास्त्रों में प्रमाण बताए है। आज शिक्षित समाज इस तत्वज्ञान को समझकर संत रामपाल जी महाराज का शरण लेकर अपना कल्याण करवा रहे हैं।

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