पीलीभीत। पूरनपुर में पंचायती राज विभाग द्वारा ग्रामीण पेयजल आपूर्ति के महत्वपूर्ण घटकों की जानकारी हेतु प्रधानगणों, पंचायत सहायकों एवं एस०एच०जी० के एक सक्रियसदस्य का ग्रामीण पेयजल आपूर्ति का विकास खण्ड स्तरीय 01 दिवसीय प्रशिक्षण के साथ ही मा० उच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 23.10.2024 एवं दिनांक 24.10.2024 के अनुपालन में प्रशिक्षण प्रदान किया गया। 30 नवंबर 2024 को पूरनपुर प्रशिक्षण सभागार में ज्ञान की देवी सरस्वती जी के समक्ष दीप प्रजलनकर एक दिवसीय विकासखंड स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के अन्तिम बैच का शुभारंभ किया गया। आज की एक दिवसीय कार्यक्रम में कंसल्टेंट इंजीनियर मक़बूल द्वारा प्रमुख जल आपूर्ति इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे ओवर हेड टैंक, पंप हाउस, स्टाफ क्वार्टर इत्यादि का निर्माण बिना अधिग्रहण (यदि निजी) के भूमि में किया गया है, जो भविष्य में एक महत्वपूर्ण प्रशानिक मुद्दा हो सकता है। इसलिए, हम भूमि के स्वामित्व को बरकरार रखने हेतु रजिस्ट्री पेपर और अन्य अभिलेख’ एकत्र करते हैं। साइट विजिट के दौरान, भूमि अधिग्रहण अभिलेख को साइट पर संबंधित प्रभारी इंजीनियर द्वारा सत्यापित किया जाता है। 1974 से पहले ग्रामीण पेयजल योजनाओं का क्रियान्वयन केन्द्र द्वारा सहायता प्राप्त योजना के अंतर्गत किया जाता था। पेयजल योजना का कार्यान्वयन न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के अंतर्गत 1974-75 से राज्य सहायतित योजना के रूप में किया जा रहा था।
प्रशिक्षण में मास्टर ट्रेनर देवेश यादव ने बताया गया की नीर निर्मल परियोजना के स्वच्छता मानक और पेयजल सुविधाओं की सुधार के लिए देश के चार कम आय वाले राज्यों असम, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश को चुना गया था/बर्ष1977 के दौरान राज्य स्तर पर संसाधनों की कमी हो गई और केंद्र सरकार ने एक बार फिर अपनी केंद्रीय सहायता प्राप्त योजना का समर्थन किया और ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजना फिर से शुरू हुई। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए राज्य सहायता प्राप्त पेयजल योजना 1984 से शुरू की गई। वर्ष 2000 में, भारत सरकार ने प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना लागू की और 2003 में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति योजनाओं और न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम को प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना में मिला दिया गया।तथा हैंड ओवर/ टेक ओवर से संबंधित जानकारी मुहैया कराई गई व बताया पानी की टंकियां का 3 महीने की ट्रायल एवं रन प्रक्रिया कराई जाएगी तथा आगामी 10 वर्षों तक ठेकेदार के द्वारा रखरखाव और परिसंचालन किया जाएगा इस योजना के तहत 55 लीटर पानी प्रतिदिन प्रति व्यक्ति उपलब्ध कराया जाएगा और ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजना के अंतर्गत दिन में 6 घंटे दिन में दो बार पानी की आपूर्ति की जायेगी कार्यक्रम के द्वितीय चरण में बाल्टी के द्वारा परीक्षण के विषय में नल के नीचे 10 लीटर / 20 लीटर की बाल्टी रखें, और नल को पूरे बोर पर चालू करें।स्टॉपवॉच का उपयोग करके, पानी को क्षमता तक पहुँचने में कितना समय लगता है।अपनी प्रवाह दर की गणना करने के लिए नीचे दिए गए फील्ड में अपने परिणाम दर्ज करें।पानी का नार्मल प्रवाह 10 से 15 लीटर होता है तथा इससे कम या ज्यादा होता है तो पानी का प्रेशर ठीक-ठाक नहीं है तथा उपस्थित ग्राम प्रधानों को बताया गया की हैंड ओवर /टेकओवर लेने से पहले मूल दस्तावेजों को अच्छे से जांच करले और भूमि स्थल परीक्षण आवश्यक कर लें। दूषित पानी से होने वाली बीमारियों जैसे डायरिया किडनी स्टोन आदि के बारे में विस्तृत चर्चा की गई। प्रशिक्षण में आदेश वर्मा,महेंद्र माही,कविता, नीतू श्रीवास्तव, नीतू भारती, अबदेश राजभर, रीता यादव, रीतू गौतम,जानवी, भरत पासवान, विशाल, विकास, मास्टर ट्रेनर देवेश यादव,कंसल्टेंट इंजीनियर मक़बूल जी व अन्य साथीगण उपस्थित रहे।