
“माणव जातीका ” पोशिंदा” सन्मान से वंचित क्यो..? कैसे कैसे लोगो को पुरस्कार दिये जा रहे है, उन्हे,पदश्री,पद्मभूषण, टागोर अवार्ड,और कई पुरस्कार दिये जा रहे है,शायद उन्हे प्रोत्साहित करणे का सरकारी हेतू हो सकता है, पर क्या हमारा विश्व का “पोशिंदा” जो सबसे परे नही है,उसे प्रोत्साहित करना संपुर्ण माणवजाती के साथ साथ सरकार का कार्य नही,? जो रात दिन,बरसात,धुप, साथ साथ कुदरत की मार हर बार झेलता रहता है,फिरभी हमारे लिये, विश्व के लिये अनाज,और बहोत कुछ पैदावार करता है,हम माणवजाती पर कितने उपकार होने के बावजूत हम भेदभाव करते है,यह निंदनीय नही, सरकारे किसान को हर राज्य मे उच्च पुरस्कार से सन्मानित करे,क्योंकी हमारा देशही कृषी प्रधान देश है.हम विश्वके “पोशिंदे” नजर अंदाज कैसे कर सकते है। “जय,जवान,जय किसान’यही है विश्व की शान”
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