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बिलाईगढ़ में रात भर चैन माउंटेन मशीनों द्वारा पत्थर खनन की आवाज़ पर आम आदमी नींद से परेशान सो रहे अधिकारी चैन की नींद

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    ओंकार डहरिया जिला ब्यूरो सारंगढ़ बिलाईगढ़*

क्रेशर से उड़ती धूल से आबादी इलाकों के आम जनता परेशान दमा स्वास लेने में दिक्कत जैसी हो रही परेशानी

 

बिलाईगढ़ में रात भर चैन माउंटेन मशीनों द्वारा पत्थर खनन की आवाज़ पर आम आदमी नींद से परेशान सो रहा अधिकारी चैन की नींद

 

सारंगढ़ बिलाईगढ़ ज़िला के बिलाईगढ़ स्थित क्रेशर संचालकों द्वारा आस पास के ग्रामों से आए दिन चैन माउंटेन मशीनों द्वारा अवैध पत्थर खनन जोरों पर कई वर्षों से चला आ रहा है। जिसकी जानकारी बिलाईगढ़ मुख्यालय पर बैठे हुए राजस्व अधिकारी से लेकर ज़िला मुख्यालय पर बैठे हुए खनि अधिकारी और ज़िला कलेक्टर को भी है। बावजूद इसके कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो रहा है।

 

सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार बिलाईगढ़, गोविंदवन,दुम्हानी, बेल्टीकरी, छपोरा, आस पास गांवों के लोगों को क्रेशर से उड़ती हुई धूल से दमा, स्वास लेने में दिक्कत वायु प्रदूषण रात में चैन माउंटेन मशीनों द्वारा पत्थरों की तोड़ाई से निकलने वाली ध्वनि से आम जनता को रात में नींद नहीं आने की बीमारी जैसे अनेक प्रकार की लोगों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

ग्राम छपोरा में ग्रामीणों को पीने के लिए पानी भी नहीं मिल पा रहा है जल का श्रोत इस कदर नीचे चला गया है कि बूंद बूंद के लिए तरसना पड़ रहा है। वहीं बात करें कृषि ज़मीनों की तो क्रेशर से उड़ती धूल कृषि जमीनों में धूल का सीधे असर पड़ता है कृषि ज़मीनों में उपज कम होने लगी है। कृषि जमीन बंजर होते जा रहा है।

बिलाईगढ़ में चार क्रेशर उद्योग हैं जिसमें से एक भी क्रेशर संचालकों द्वारा राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) का नियम का पालन नहीं किया जा रहा है। जिसकी पूरी जिम्मेदारी ज़िला प्रशासन है।

अधिकारियों की नज़र क्षेत्र के ग़रीब लोग जो जीविका के लिए किस्तों पर ट्रैक्टर लेकर मकान निर्माण के लिए पत्थर ट्रांसपोर्ट करती है जो महज़ एक दिन में लगभग 300 से 600 रुपए बचा पाता है। उन ट्रैक्टर पर कार्यवाही करता है जिसमें ट्रैक्टर मालिकों द्वारा महीने भर की कमाई चालान भरने में चली जाती है।

असली खेल तो क्रेशर संचालकों द्वारा खेला जाता है जो साल में कई करोड़ों रुपए का लेने देन होता है। क्रेशर पर जितने का भंडारण का लीज नहीं उससे लगभग सत्तर गुना ज़्यादा पत्थर का भंडारण किया जाता है।

जिससे यह साफ़ प्रतीत होता है कि किसी भी बड़े नामदार पार्टी के नेता या अधिकारियों का आशीर्वाद प्राप्त है। तभी तो धूल उड़ती क्रेशर धड़ल्ले से चल रहा है। बात यहां तक नहीं रुकती बड़ी बड़ी चैन माउंटेन और ओवर लोड हाइवा ग्राम पहुंच सड़क पर धड़ल्ले से चलता है। आये दिन हादसा होने की संभावना बनी रहती है। जिससे आम जन दहशत में जीने के लिए मजबूर है।

ख़बर यह भी है कि ग्राम छपोरा के भोले भाले सीधे साधे ग्रामीणों का जमीनों को सस्ते दामों में लगभग सैकड़ों एकड़ कृषि जमीन को खदान के लिए खरीद लिया गया है।

 

अब आगे देखना यह भी होगा कि ख़बर चलने से अधिकारियों की आंख की पट्टी खुलती है और निंद में सोये अधिकारी जागेगा या नहीं।

 

पूर्व में ज़िला कलेक्टर द्वारा क्रेशर संचालकों को चेतावनी दिया गया था

 

कलेक्टर धर्मेश कुमार साहू ने कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में जिले के सभी क्रेशर मालिकों के साथ 28 जनवरी को बैठक कर उन्हें आवास एवं पर्यावरण सहित अन्य सभी कानूनों, आदेशों, नियमों का पालन करने के सख्त निर्देश दिए थे। और कहा था कि सुधार कार्य करने के लिए लगभग माह भर का समय दिया था, नगरीय और पंचायत चुनाव सम्पन्न होते ही कलेक्टर ने सभी माइनिंग संबंधी स्थानों का जांच करने के निर्देश अधिकारियों को दिए थे।


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