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न सेना, न सेनापति’- 64 साल बाद गुजरात में अधिवेशन कर रही कांग्रेस के सामने क्या हैं चुनौतियां

गुजरात में 2027 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.

“गुजरात कांग्रेस में दो तरह के लोग हैं. एक वे लोग हैं, जो दिल और ईमानदारी से कांग्रेस के लिए लड़ते हैं और जनता से जुड़े हुए हैं. दूसरे वे हैं, जिनका जनता से संपर्क टूट चुका है और बीजेपी के साथ मिले हुए हैं. अगर ज़रूरत पड़े तो ऐसे पांच से 25 नेताओं को कांग्रेस से निकाल देना चाहिए.”

यह बयान पिछले महीने राहुल गांधी ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को गुजरात में संबोधित करते हुए दिया था.

इससे पहले, राहुल गांधी ने संसद में कहा था, “हमने आपको अयोध्या में हराया है और हम आपको 2027 में गुजरात में हराकर दिखाएंगे.”

लोकसभा चुनाव के बाद से राहुल गांधी दो बार गुजरात का दौरा कर चुके हैं और अब कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन भी 8 और 9 अप्रैल को गुजरात में हो रहा है.

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गुजरात में कांग्रेस का आख़िरी अधिवेशन 1961 में भावनगर में हुआ था. अब 64 साल बाद कांग्रेस ने एक बार फिर गुजरात का रुख़ किया है.

ऐसे में सवाल यह है कि कांग्रेस ने गुजरात में अधिवेशन आयोजित करने का फ़ैसला क्यों किया? क्या इससे पार्टी को कोई बड़ा फ़ायदा होगा? गुजरात में कांग्रेस की वास्तविक स्थिति क्या है?

कांग्रेस के लिए गुजरात में पार्टी का पुनर्निर्माण करना कितना कठिन है और पार्टी की चुनौतियां क्या हैं? राहुल गांधी बार-बार गुजरात क्यों आने लगे हैं और ऐसे बयान क्यों दे रहे हैं?

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