
प्रेस विज्ञप्ति
भोपाल मध्यप्रदेश
मध्य प्रदेश में मजाक बनी कानून व्यवस्था, कहीं धार्मिक जुलूस पर पथराव तो कहीं पुलिस पर हमला
भोपाल। बीते तीन दिनों में सांप्रदायिक सद्भाव और माहौल बिगाड़ने की प्रदेश में तीन बड़ी घटनाओं ने यह संकेत दिया है कानून-व्यवस्था पंगु होती जा रही है। पुलिस-प्रशासन घटनाएं होने के बाद सक्रियता दिखा रहा है। सबसे पहले गुना में हनुमान जयंती के जुलूस पर पथराव हुआ। नीमच में शराबियों और उपद्रवियों ने तीन जैन मुनियों को पीटा।
भिंड में आंबडेकर जयंती के उपलक्ष्य में निकले गए जुलूस में डीजे बजाने को लेकर दो पक्षों में विवाद और फायरिंग से एक मौत हो गई। जानकारों का कहना है कि यह घटनाएं कभी भी बड़ा रूप ले सकती हैं, पर पुलिस के बड़े अधिकारी घटना होने के बाद ही सजगता दिखाते रहे हैं।
पूरे देश में छवि हो रही खराब
पुलिस मुख्यालय की खुफिया शाखा ने जून 2023 में शासन को एक रिपोर्ट सौंपकर आगाह किया था कि सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने वाली घटनाएं बढ़ सकती हैं। रिपोर्ट में वर्ष 2018 से 2023 के बीच हुई सांप्रदायिक घटनाओं का विश्लेषण कर बताया गया था कि सबसे अधिक घटनाएं छेड़छाड़, हत्या और हत्या के प्रयास में हो रही हैं। ताज्जुब तो यह कि इतनी महत्वपूर्ण जानकारी होने के बाद पुलिस और प्रशासन सजग नहीं हुआ। सांप्रदायिक घटनाओं से पूरे देश में प्रदेश की छवि खराब हो रही है।
घटनाएं जिनमें बिगड़ी कानून-व्यवस्था की स्थिति
हनुमान जयंती के उपलक्ष्य में शनिवार रात गुना में जुलूस निकल रहा था।
एक धार्मिक स्थल के पास से निकलने के दौरान जुलूस पर पथराव हो गया, जिससे स्थिति बिगड़ गई।
मुरैना जिले के हिंगोना खुर्द गांव में सोमवार को आंबेडकर जयंती पर निकले जुलूस में तेज आवाज में डीजे बजाने को लेकर दो पक्षों में विवाद के बाद गोली चली, जिसमें 26 वर्ष के एक युवक की मौत हो गई।
नीमच के कछाला गांव के हनुमान मंदिर पर रविवार रात सो रहे तीन जैन मुनियों पर छह असामाजिक तत्वों ने हमला कर बुरी तरह से पीटा। भोपाल व दूसरी जगह भी उपद्रवियों द्वारा निर्दोष लोगों से मारपीट और वाहनों में तोड़फोड़ की घटनाएं हो चुकी हैं।
सात सितंबर 2024 में रतलाम के मोचीपुरा इलाके में गणेश प्रतिमा लेकर जा रहे जुलूस पर कुछ अराजक तत्वों ने पथराव कर दिया था, जिससे तनाव फैल गया।
कानून-व्यवस्था बिगड़ने की वजह
राजनीतिक हस्तक्षेप में पुलिस की एकपक्षीय कार्रवाई।
पुलिस का खुफिया तंत्र असफल होना।
आवश्यकता के अनुसार पुलिस बल नहीं है। प्रदेश में स्वीकृत सवा लाख बल में से लगभग 95 हजार ही पदस्थ हैं।
रात्रि गश्त की व्यवस्था बेहद कमजोर हो गई है, जिससे अपराधियों में पुलिस का डर नहीं है।
संगठित अपराधों में पुलिस की मिलीभगत है।
सतना में पुलिस की सहभागिता उजागर हो चुकी है, स्पा सेंटर के उसमे सेक्स रैकेट चलाने को लेकर, और भी कई मामले में बीच बीच में नाम आते रहते है।
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