
अंबेडकर नगर
जलालपुर
मुख्य चिकित्सा अधिकारी और अधीक्षक की लापरवाही के कारण अमनदीप हॉस्पिटल की कृपा से पांच दलित परिवार के पास अब आत्महत्या करने के सिवा कोई विकल्प नहीं।
बार-बार सूचना के बावजूद मुख्य चिकित्सा अधिकारी और अधीक्षक ने नहीं किया कार्यवाही सिर्फ नोटिस देने का बनाते रहे बहाना सजातीय होने का भी दिए अधीक्षक ने लाभ।
छोटी सी पंचर की दुकान खोलकर इकलौते कमाने वाला दलित व्यक्ति को अमनदीप हॉस्पिटल की लापरवाही से एक पैर का हुआ विकलांग परिवार वालों का रो-रो कर बुरा हाल ।आठ बिस्वा जमीन थी वह भी गिरोह रखवा कर और ब्याज पर पैसा मंगवा कर अस्पताल ने कराया जमा* किया घटिया इलाज एक जगह जोड़ा तो दूसरी जगह लापरवाही से पैर को तोड़ा।
ब्याज पर लेकर जमीन गिरोह पर देकर एक बार किसी तरह गरीब ने तो लाखों रुपए दे दिया अब दोबारा इलाज करने के लिए अमनदीप हॉस्पिटल मांग रहा 65000 । गरीब परिवार के पास 65 पैसे नहीं ऐसी स्थिति में परिवार कैसे कराए इलाज मरने के सिवा आप कोई विकल्प नहीं।
अमनदीप हॉस्पिटल के डॉक्टर सुभाष यादव से संपर्क करने का किया गया प्रयास परंतु नहीं उठा फोन तीसरी बार उठा भी तो नहीं मिला कोई जवाब सीधा काल कट कर दिया ।“बिना डिग्री के डॉक्टर सुभाष कैसे कर रहे हैं मरीजों का इलाज यह है बड़ा सवाल* ।”वही संबंध में डॉक्टर नगपुर अधीक्षक से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि हमने सीएमओ को लेटर लिखा था हम फिर बात करते हैं cmo साहब से और लेटर लिखते हैं।
सब का अर्थ यह है साहब आप लेटर लिखते रहिए लेटर से ही बेटर होता है और ऐसा बेटर हुआ की पांच दलित परिवार मरने के कगार पर पहुंच गया परंतु लेटर लिखने का सिलसिला बन्द नहीं हुआ
यह हॉस्पिटल जलालपुर से मालीपुर रोड पर खुले आम दिनदहाड़े चल रहा है ,और अधिकारियों की निगाहें नहीं पड़ रही है बार-बार शिकायत के बावजूद भी आंखें बंद है।
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