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भारतीय ज्ञान परंपरा के अध्ययन के लिए कुलपति ने किया समिति का गठन

भारतीय ज्ञान परंपरा का वैज्ञानिक अध्ययन करेगा पूर्वांचल विश्वविद्यालय

— भारतीय परंपराओं की वैज्ञानिक पुनर्परिभाषित की ओर एक ठोस कदम

  • अध्ययन के लिए कुलपति ने किया समिति का गठन

जौनपुर. वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय ने भारतीय ज्ञान परंपरा को आधुनिक वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में पुनः स्थापित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहल की है। विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर वंदना सिंह के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय शोध समिति का गठन किया गया है, जिसका उद्देश्य भारत की प्राचीन सांस्कृतिक और बौद्धिक धरोहर को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विश्लेषित कर उसे जनमानस के समक्ष प्रस्तुत करना है।

भारत का इतिहास वेद, उपनिषद, आयुर्वेद, योग, नाट्यशास्त्र, ज्योतिष, वास्तु शास्त्र, और दर्शन जैसे ज्ञान के विविध क्षेत्रों से समृद्ध रहा है। यह परंपराएं न केवल आध्यात्मिकता की प्रतीक रही हैं, बल्कि इनके पीछे वैज्ञानिक तर्क, अनुभव और प्रयोग आधारित आधार भी मौजूद हैं। किंतु आधुनिक काल में इन विषयों को प्रायः केवल आस्था या पौराणिक संदर्भों से जोड़कर देखा गया, जिससे इनकी वैज्ञानिकता जनसामान्य की दृष्टि से ओझल हो गई।

कुलपति प्रो. वंदना सिंह ने कहा कि “भारतीय ज्ञान परंपरा सिर्फ संस्कृति का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन का वैज्ञानिक मार्गदर्शन भी करती है। हमारा प्रयास है कि हम इन परंपराओं की वैज्ञानिक बुनियाद को पुनः खोजें, उसका विश्लेषण करें, और शोध आधारित प्रमाणों के साथ उसे शैक्षणिक व सामाजिक पटल पर प्रस्तुत करें।”

इस नवगठित समिति में विविध विषयों के विशेषज्ञों को शामिल किया गया है, जिसमें प्रो. गिरिधर मिश्र, प्रो. अविनाश पाथर्डीकर, प्रो. प्रताप मिश्रा डॉ. धीरेंद्र चौधरी और डॉ. पवन कुमार पाण्डेय हैं। समिति की अध्यक्ष कुलपति प्रो. वंदना सिंह है जिससे प्रगति की सम्यक निगरानी की जा सके ।

समिति न केवल भारतीय ज्ञान परंपरा के वैज्ञानिक विश्लेषण पर कार्य करेगी, बल्कि विश्वविद्यालय स्तर पर नवाचार, शोध परियोजनाओं, शोधार्थियों के प्रशिक्षण और पाठ्यक्रम विकास में भी योगदान देगी। इसके अतिरिक्त समिति का उद्देश्य विभिन्न भारतीय और अंतरराष्ट्रीय शोध संस्थानों के साथ समन्वय स्थापित कर अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देना है।

ज्ञात हो कि विश्वविद्यालय योग, आयुर्वेद एवं भारतीय जीवनशैली के वैज्ञानिक प्रभावों पर शोध प्रारंभ कर रहा है और इस दिशा में कई राष्ट्रीय संस्थानों से एमओयू भी किए जा रहे हैं। इस प्रयास के अंतर्गत छात्र-छात्राओं को भारतीय ज्ञान परंपरा के अनुरूप शोध प्रोजेक्ट्स, इंटर्नशिप और सेमिनार में सहभागिता का अवसर भी प्रदान किया जाएगा।

राज कुमार सेठ

मैं एक प्राइवेट टीचर हूँ। पत्रकारिता मेरा शौक है।
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