सावनेर में मानवता संकट: ज़हरीला पानी, गंदगी और प्यास से त्रस्त नागरिक, प्रशासन बेखबर!
कई हफ़्तों से दूषित जल आपूर्ति, शहर में गंदगी का अंबार, पीने के पानी के लिए तरसती जनता; कांग्रेस कमेटी ने उठाई आवाज़, प्रशासन की चुप्पी पर सवाल।
सावनेर, नागपुर: सावनेर शहर एक गंभीर मानवीय संकट से जूझ रहा है, जहाँ नागरिक दूषित पानी की आपूर्ति, असहनीय गंदगी और अब पीने के पानी की भारी कमी का सामना कर रहे हैं। घरों के नलों से आ रहा पीला और भूरा रंग का, मिट्टी और हानिकारक कणों से युक्त पानी लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन गया है। इस दूषित जल के सेवन से बच्चे, बूढ़े और जवान सभी पेट दर्द और जलजनित बीमारियों से पीड़ित हैं।
शहर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। सड़कों और गलियों में कचरे के ऊँचे टीले लगे हुए हैं, जो बीमारियों को खुला निमंत्रण दे रहे हैं। सफाई कर्मचारियों की अनुपस्थिति और कचरा गाड़ियों की अनियमितता ने स्थिति को और भी बदतर बना दिया है। इस गंदगी के कारण मच्छरों और मक्खियों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है, जिससे मलेरिया और डेंगू जैसी जानलेवा बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है।
सबसे हृदयविदारक स्थिति यह है कि शहर के कई इलाकों में पीने और दैनिक उपयोग के लिए पानी की एक बूँद भी उपलब्ध नहीं है। पहले से ही गंदे पानी से परेशान नागरिक अब प्यास से व्याकुल हैं। महिलाओं और बुजुर्गों को कई किलोमीटर दूर से पानी ढोकर लाना पड़ रहा है, जो न केवल शारीरिक रूप से थकाऊ है, बल्कि उनके आत्मसम्मान को भी ठेस पहुँचाता है।
इस गंभीर स्थिति के खिलाफ शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पवन जैसवाल और उनके सहयोगी मनोज बसवार, सुनील चापेकर, बंडू दिवटे, दीपक बसवार, राजेश खंगारे, आकाश सोनी और आकाश कमाले ने बुलंद आवाज़ उठाई है। उन्होंने नगर परिषद में एक ज्ञापन सौंपकर तत्काल कार्रवाई की मांग की है। हालांकि, संबंधित प्रशासन की ओर से इस गंभीर मुद्दे पर कोई संतोषजनक प्रतिक्रिया नहीं आई है, जो आश्चर्यजनक और निंदनीय है।
सावनेर के जागरूक नागरिक अब सोशल मीडिया पर अपना आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं और जल्द ही सड़कों पर उतरकर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी में हैं। वे अपने मूलभूत अधिकार – स्वच्छ पानी और स्वस्थ वातावरण – के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।
यह देखना होगा कि क्या प्रशासन अब भी गहरी नींद में सोया रहेगा? सावनेर में हालात तेज़ी से बिगड़ रहे हैं। यह सिर्फ पानी और सफाई का मामला नहीं है, बल्कि यहाँ के नागरिकों के स्वास्थ्य और जीवन का प्रश्न है। नगर परिषद प्रशासन को तुरंत हरकत में आना चाहिए और इस मानवीय संकट का समाधान प्राथमिकता के आधार पर करना चाहिए, अन्यथा इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।