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लोक निर्माण विभाग में फर्जी नियुक्तियों का बड़ा घोटाला; दो लिपिकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज

छत्रपति संभाजीनगर: अशोक मुळे

छत्रपति संभाजीनगर,नांदेड़, जालना और लातूर जिलों के लोक निर्माण और राष्ट्रीय राजमार्ग विभागों में पिछले 10 सालों में फर्जी नियुक्ति पत्रों के जरिए 31 लोगों को चपरासी, चौकीदार और सफाई कर्मचारी की नौकरी दिलाने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। इस मामले में कार्यकारी अभियंता शेषराव चव्हाण की शिकायत पर वेदांतनगर पुलिस स्टेशन में वरिष्ठ लिपिक अंकुश श्रीरंग हिवराले और कनिष्ठ लिपिक उज्ज्वला अनिल नरवड़े के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है

वर्ष 2015 से 2025 के बीच, आरोपियों ने अधिशासी अभियंताओं के स्कैन किए गए फर्जी हस्ताक्षरों का उपयोग करके फर्जी नियुक्ति पत्र जारी किए। गौरतलब है कि इन 31 अभ्यर्थियों के माता-पिता में से कोई भी लोक निर्माण विभाग में कार्यरत नहीं था। हालाँकि, 16 अभ्यर्थियों की नियुक्ति लैड पेज समिति की अनुशंसा पर, 12 की अनुकंपा के आधार पर और 3 की सीधी सेवा के आधार पर हुई थी। इन नियुक्तियों के लिए कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं किया गया था, कोई आधिकारिक भर्ती प्रक्रिया नहीं अपनाई गई थी और अभ्यर्थी अनियमित तरीकों से सरकारी सेवा में आए थे।

15 मई 2025 को तत्कालीन कार्यपालन यंत्री अशोक येरेकर के आदेश पर एस. बी. बिहारे की अध्यक्षता में 6 सदस्यीय जाँच समिति गठित की गई। जब समिति ने सभी नियुक्ति दस्तावेजों की जाँच के लिए वरिष्ठ लिपिक हिवाले से मूल फाइलें माँगीं, तो उन्होंने देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कार्यालय की अलमारी बंद करके फाइलें छिपा दीं। अंततः जब पंचनामा बनाकर अलमारी खोली गई, तो पता चला कि संबंधित भर्ती प्रक्रिया की फाइलें गायब थीं।

जांच के दौरान, अभ्यर्थियों ने हलफनामे के ज़रिए स्वीकार किया कि, “हमने आवेदन नहीं किया था, हमारे रिश्तेदार सरकारी सेवा में नहीं थे और हम नियुक्ति के योग्य नहीं थे, लेकिन हमें वित्तीय लेन-देन के ज़रिए नौकरी मिल गई।” शिकायत में यह भी कहा गया है कि आरोपियों ने बड़ी मात्रा में पैसे का लेन-देन किया।

पुलिस इस मामले में जाली हस्ताक्षर, गुम हुई फाइलों और वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रही है तथा इसमें शामिल अन्य लोगों के खिलाफ भी जल्द ही कार्रवाई की जा सकती है

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