

निवाड़ी जिले के असाटी गांव स्थित संदीपनी स्कूल के निरीक्षण के दौरान केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक उस समय नाराज़ हो गए, जब उन्होंने एक कमरे में हजारों की संख्या में शासकीय स्कूलों के छात्र-छात्राओं के लिए आई पाठ्य-पुस्तकें बिना वितरित हुए पड़ी देखीं।
निरीक्षण के दौरान मंत्री ने सवाल उठाया कि शिक्षण सत्र का आधे से अधिक समय बीत जाने के बावजूद अब तक विद्यार्थियों को किताबें क्यों नहीं दी गईं। उन्होंने इसे गंभीर लापरवाही बताते हुए संबंधित अधिकारियों से तत्काल स्पष्टीकरण मांगा।
मंत्री ने उठाए अहम सवाल
जब सत्र शुरू होते ही किताबें उपलब्ध हो जाती हैं, तो वितरण में देरी क्यों?
क्या यह प्रशासनिक उदासीनता है या व्यवस्था की खामी?
किताबें न मिलने से छात्रों की पढ़ाई पर पड़े असर की जिम्मेदारी कौन लेगा?
त्वरित कार्रवाई के निर्देश
केंद्रीय मंत्री ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को तत्काल सभी शासकीय स्कूलों में पुस्तकों का वितरण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए और कहा कि लापरवाही करने वालों पर कार्रवाई तय है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विद्यार्थियों के भविष्य से किसी भी प्रकार का समझौता स्वीकार नहीं किया जाएगा।
मौके पर मौजूद अधिकारियों ने तकनीकी व वितरण संबंधी कारणों का हवाला दिया, लेकिन मंत्री ने इसे असंतोषजनक बताते हुए समयबद्ध रिपोर्ट तलब की।
इस घटना ने जिले में शिक्षा व्यवस्था की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि प्रशासन कितनी तेजी से किताबें विद्यार्थियों तक पहुंचाता है और जिम्मेदारों पर क्या कार्रवाई होती है।








