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रीठी अध्ययन केंद्र में बसंतोत्सव पर हुए विविध आयोजन।

छात्र/छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना व गीतों की शानदार प्रस्तुति।

रीठी। कटनी GANESH UPADHYAY VANDE BHARAT LIVE TV NEWS KATNI MP.

मध्यप्रदेश जनअभियान द्वारा संचालित पाठ्यक्रम बीएसडब्ल्यू व एमएसडब्ल्यू पाठ्यक्रम के छात्र/छात्राओं ने आज रीठी अध्ययन केंद्र में बसंत पंचमी के अवसर पर बड़े ही धूमधाम से विद्या की देवी माँ सरस्वती जी की पूजा अर्चना कर बड़े हर्षोल्लास से बसंत पंचमी के त्योहार को मनाया जिसमे सभी छात्र/छात्राओं ने बद्व चढ़ कर हिस्सा लिया। जिसमें सर्वप्रथम मां सरस्वती की वंदना की गई इसके पश्चात छात्र छात्राओं ने गीत प्रस्तुत किया। साथ ही परामर्शदाताओं ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये जिसमे अरुण तिवारी ने बताया कि वसंत पंचमी हिंदू त्यौहार है जो वसंत ऋतु के आगमन के साथ शुरू होता है। यह त्यौहार आमतौर पर माघ में मनाया जाता है, वसंत पंचमी एक प्रसिद्ध त्यौहार है जो सर्दियों के मौसम के अंत और वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है। वहीं परामर्शदाता गोवर्धन राजन ने भी इस पर्व पर चर्चा करते हुए बताया कि इस उत्सव के लिए पीला रंग एक विशेष अर्थ रखता है क्योंकि यह प्रकृति की चमक और जीवन की जीवंतता का प्रतीक है। त्यौहार के दौरान पूरा स्थान पीले रंग से सराबोर हो जाता है। लोग पीले कपड़े पहनते हैं और दूसरों को तथा देवी-देवताओं को पीले फूल चढ़ाते हैं। वसंत पंचमी के त्यौहार के दौरान, भारत के फसल के खेत पीले रंग से भर जाते हैं, क्योंकि साल के इस समय पीले सरसों के फूल खिलते हैं। छात्रों द्वारा उपयोग किए जाने से पहले देवी के चरणों के पास कलम, नोटबुक और पेंसिल रखी जाती हैं ताकि उनका आशीर्वाद लिया जा सके। माँ सरस्वती ज्ञान की देवी हैं। वे विज्ञान, कला, शिल्प और कौशल जैसे सीखने के विभिन्न पहलुओं का प्रतीक हैं। उन्हें शांत और संयमित कहा जाता है। उन्हें अक्सर कमल या मोर पर बैठे हुए, सफेद पोशाक पहने हुए चित्रित किया जाता है। इसके पश्चात परामर्शदाता शरद यादव ने उदबोधन में बताया कि मां वीणावादिनी देवी सरस्वती बुद्धि और विद्या की देवी हैं। उनके चार हाथ हैं जो अहंकार, बुद्धि, सतर्कता और मन का प्रतीक हैं। वह अपने दो हाथों में कमल और शास्त्र धारण करती हैं और अपने बाकी दो हाथों से वीणा (सितार जैसा एक वाद्य) बजाती हैं। वह सफ़ेद हंस पर सवार हैं। उनकी सफ़ेद पोशाक पवित्रता का प्रतीक है। उनका हंस दर्शाता है कि लोगों में अच्छे और बुरे में अंतर करने की क्षमता होनी चाहिए। कमल पर बैठी देवी सरस्वती उनकी बुद्धि का प्रतीक हैं। वह सत्य के अनुभव में भी पारंगत हैं। जब देवी को मोर पर बैठे देखा जाता है, तो यह याद दिलाता है कि ज्ञान से एक मजबूत अहंकार को रोका जा सकता है। वहीं परामर्शदाता रूपा बर्मन ने भी अपने विचार प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने बताया कि इस दिन माँ भगवती की पूजा करने से विशेष कृपा होती है और बिना सरस्वती के ज्ञान के व्यक्ति जीवन मे कुछ नही कर सकता। इसके पश्चात छात्रा रानू विश्वकर्मा, नीमा, वर्षा कुंती लोधी ने गीत की प्रस्तुति दी एवं महेश बर्मन, गनपत कोल व कृष्णा कोरी ने अपने विचार प्रस्तुत किया। एवं रजनी सिंह, वर्षा राजभर, सावनी राजभर ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन बीएसडब्ल्यू तृतीय वर्ष की छात्रा कुंती लोधी ने किया। कार्यक्रम के पश्चात कक्षाओं का संचालन किया गया एवँ अंतिम सत्र में सभी छात्रों को जिन्होंने असाइनमेंट अपलोड किया था उनके असाइनमेंट अपलोड कराये व सभी को इंटर्नशिप/फील्ड प्रोजेक्ट के संदर्भ में जानकारी दी गई जो नई शिक्षा नीति के तहत इंटर्नशिप करना अनिवार्य है जिसके लिए सभी को इंटर्नशिप के संदर्भ में परामर्शदाता शरद यादव ने चर्चा की

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