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फिर कार्यवाही से परहेज क्यों ?, जांच में हमेशा बताया जाता है गलत
सीधी। पंचायत दर्पण पोर्टल बनाया ही सही जानकारी दर्ज करने के लिए गया है। यह कहना है जनपद पंचायत कुसमी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ज्ञानेंद्र मिश्रा का जिन्होंने इस सवाल पर कहा कि क्या पंचायत दर्पण पोर्टल पर जानकारी सही और तथ्य परख है। उन्होंने बताया कि यह पोर्टल सही जानकारी दर्ज किए जाने के लिए ही बनाया गया है।
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश शासन द्वारा ग्राम पंचायतों में होने वाले सभी तरह के कार्यों में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से पंचायत दर्पण पोर्टल की शुरुआत की गई है जिस पर पंचायत सचिव, सरपंच और रोजगार सहायक को अपने पंचायत में होने वाले सभी तरह के कार्यों का उल्लेख करना होता है जिसे आमजन आसानी से देख सकते हैं और जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसी पोर्टल से एक जानकारी निकल कर आई जिसमें जनपद पंचायत कुसमी क्षेत्र के ग्राम पंचायत गैवटा में ईपीओ क्रमांक 1750 728 दिनांक 3 अगस्त 2018 को तीन बिलों पर 501193 रुपए का भुगतान तत्कालीन सरपंच और सचिव द्वारा किया गया। उक्त बिलो में से 4 लाख 28760 भुगतान प्राप्तकर्ता देव बिल्डकॉन और 1181 भुगतान प्राप्त करता देव बिल्डकॉन तथा शेष 71252 प्रद्युम्न ट्रेडर्स को भुगतान किया गया। इन तीन बिलों में से जिन दो बिलों का भुगतान देव बिल्डकॉन को किया गया वह दोनों ही बिल कोरे है, जो कि पंचायत दर्पण पोर्टल पर मौजूद है। उक्त बिलो के भुगतान को लेकर कई बार सवाल उठाये गए लेकिन जिम्मेदारों ने नजर अंदाज किया तब जाकर लोक धन के इस तरह के दुरुपयोग को रोकने के लिए सीएम हेल्पलाइन का सहारा लिया गया तथा 18 जनवरी 2025 को शिकायत क्रमांक 30600345 दर्ज कराया गया लेकिन वहां पर पीसीओ बबन सिंह की तथाकथित जांच का हवाला देकर शिकायत को झूॅठा बताया जाता है और शिकायत को जबरन बंद किया जाता है । इसीलिए जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ज्ञानेंद्र मिश्रा से पूछा गया कि पंचायत दर्पण पोर्टल पर दर्ज की गई जानकारी सही होती है अथवा नहीं तो उन्होंने कहा कि- “पंचायत दर्पण पोर्टल सही जानकारी दर्ज करने के लिए ही बनाया गया है “। अब सवाल यह उठता है कि अगर पंचायत दर्पण पोर्टल पर दर्ज की गई जानकारी सही है तो फिर ग्राम पंचायत गैवटा द्वारा जिन दो बिलो मे 428760 और 1181 रुपए का भुगतान किया गया है वह दोनों बिल तो कोरे हैं, तो क्या वह फर्जी नहीं है। अगर दोनों बिल फर्जी हैं तो फिर कार्यवाही से परहेज क्यों है।