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मानसून की होगी जबरजस्त एंट्री, किसानों के लिए बारिश को लेकर आई बड़ी खबर

मानसून की होगी जबरजस्त एंट्री, किसानों के लिए बारिश को लेकर आई बड़ी खबर

वन्दे भारत लाइव टीवी न्यूज

नेशनल डेस्क: किसानों के लिए राहत की बड़ी खबर सामने आई है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार इस साल जून से सितंबर के बीच सामान्य से ज्यादा बारिश होने वाली है। यह खबर खेती-बाड़ी करने वाले लोगों के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी शुभ संकेत मानी जा रही है। अनुमान है कि औसत से करीब 3 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज की जाएगी।

जलवायु पैटर्न है पूरी तरह अनुकूल

मौसम पर नजर रखने वाली निजी एजेंसी स्काइमेट के अनुसार इस बार प्रशांत महासागर में ला-नीना कमजोर हो चुका है और अगले कुछ महीनों तक एल-निनो के भी विकसित होने की संभावना नहीं है।

इसके अलावा हिंद महासागर का जलवायु पैटर्न भी मानसून के पक्ष में है। यही कारण है कि इस बार अच्छी और निरंतर बारिश के आसार जताए जा रहे हैं।

खेती के लिए बनेंगे अनुकूल हालात

मानसून का असर सिर्फ मौसम पर नहीं बल्कि खरीफ फसलों की बुआई, रोपाई और सिंचाई पर भी पड़ता है। बारिश की मात्रा सही रहने से

खेतों में नमी बनी रहती हैभूजल स्तर बढ़ता हैऔर फसल उत्पादन में बढ़ोतरी होती है

इस साल अनुमानित 895 मिमी बारिश होगी जबकि सामान्य बारिश की मात्रा 868.6 मिमी मानी जाती है। यह किसान भाइयों के लिए वाकई में बड़ी राहत की खबर है।

जून में थोड़ी धीमी शुरुआत हो सकती है लेकिन जुलाई से मानसून रफ्तार पकड़ लेगा। खासकर अगस्त माह किसानों के लिए बहुत फायदेमंद रहने वाला है।

कहां होगी कम और कहां ज्यादा बारिश?

पश्चिमी तट और मध्य भारत के क्षेत्रों में सामान्य से अधिक बारिश होगी

उत्तर-पूर्वी राज्यों, जम्मू-कश्मीर और पहाड़ी इलाकों में औसत से कम वर्षा हो सकती है

हालांकि 96% से नीचे बारिश होने की संभावना बेहद कम बताई जा रही है

मानसून कब देगा भारत में दस्तक?

अभी तक सटीक तारीख तो तय नहीं है लेकिन आमतौर पर मानसून 1 जून को केरल से दस्तक देता है।

इसके बाद यह धीरे-धीरे दक्षिण भारत मध्य भारतऔर फिर उत्तर भारत तक फैलता है

सबसे अंत में मानसून पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान पहुंचता है।मानसून का असर पेयजल और भूजल पर भी

बारिश केवल खेती के लिए ही नहीं बल्कि भूजल स्तर को बढ़ाने और पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने में भी मदद करती है। इस बार अच्छी बारिश सेगांव-देहातों में कुएं और तालाब भरेंगेशहरों में जल संकट की समस्या कम होगीऔर पूरे वर्ष जल आपूर्ति बेहतर बनी रहेगी

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