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ओबरा से निकलने वाले मुख्य मार्ग पर दौड़ रहे तेज रफ्तार बोल्डर लदे टीपर

 

*बेलगाम टीपर यातायात नियमों की उड़ा रहे धज्जियां*

*ज्यादातर ड्राइवरों के पास नही ड्राइविंग लाइसेंस*

 

*ट्रैफिक पुलिस को नहीं दिखती बेलगाम टिपरो की आवाजाही*

*तेज रफ्तार लगा रही जिंदगी की गाड़ी में ब्रेक*

महेश अग्रहरी संवादाता

सोनभद्र। तेज रफ्तार वाहन बेलगाम टिपर आपको गजराज नगर से लेकर शारदा मंदिर होते हुए बग्घा नाला तक सड़को पर अनियंत्रित बोल्डर लदे टीपर चाहे दिन हो या रात मिल ही जायेंगे । हालात ये है कि इस मुख्य रोड से गुजरने वाले हजारों आम यात्री भयभीत होकर वाहन चलाते है । खदानों में कमीशन के चक्कर में जल्दबाजी में टीपर ड्राइवर तेज रफ्तार सड़को पर दौड़ते है। सड़को पर गिरे बोल्डर ,पत्थर इस बात का सबूत है कि बेलगाम होकर चलने वाले ये वाहन कमोवेश सड़को पर बोल्डर पत्थर गिरा देते है । उसी रास्ते से मोटर साइकिल सवार , टोटो एवम अन्य सवारी वाहन निकलते है , मुख्य मार्ग होने के कारण यात्रियों की मजबूरी है की वो रास्ता बदल नही सकते , धूल प्रदूषण तो एक तरफ है अब तो लोगो को इस रास्ते पर जाने में भी मन में भय बना रहता है ।सड़को पर बोल्डर लदे टीपर यातायात पुलिस जहा एक तरफ बीच चौराहे पर या आम सड़क पार यात्रियों का चालान करती है मगर कमोवेश इतनी बड़ी लापरवाही उन्हें नहीं दिखती, इन टीपर ड्राइवरों की चेकिंग अभियान उनकी यातायात नियमों को पालन करने संबंधित कागजात की चेकिंग कभी नहीं की जाती जिसका खतरा वर्तमान में सबसे ज्यादा है । पूर्व में ये टीपर सड़को पर इतने फर्राटा नही भरते थे। मगर बगमनवा स्थित खदानों के संचालन की वजह से ये मुख्य रास्ते पर दिन रात बेलगाम होकर कमीशन के चक्कर में सड़को पर बोल्डर के टुकड़े गिराते हुए चलते है अनियंत्रित स्पीड जिसका मुख्य कारण है। सड़को पर गिरे टुकड़ों से यात्री गिरकर चोटिल होते है।सोमवार को ही बाइक सवार व्यक्ति की फिसल कर गिरने पीछे बैठी महिला गंभीर रूप से चोटिल हो गई। । जिस्का वाराणसी में इलाज चल रहा है। जिले में औसतन एक मौत हर रोज सड़क हादसों में हो रही है। साढ़े तीन महीने में 50 मौत सड़क दुर्घटनाओं में हो चुकी है। मौत के बाद भले ही कानूनी कार्रवाई होती रहे, लेकिन दुनिया को छोड़ देने वाले व्यक्ति का परिवार खालीपन को कभी नहीं भर पाता। हादसे में मरने वाले के आश्रित जीवनभर दिक्कतों से जूझते रहते हैं, मुआवजे के लिए भी लंबा संघर्ष करना पड़ता है। तंग सड़कों पर वाहनों की स्पीड पर स्वत: ही लगाम हुई थी। अब सड़केें बेहतर हैं तो वाहनों की गति बढ़ रही है। साथ में बढ़ रहे सड़क हादसे। मामला पुलिस में पहुंचता है तो तेज रफ्तार और लापरवाही से ड्राइविंग करना कागजों में लिख दिया जाता है। यह सिर्फ कागजों में ही तस्दीक नहीं हो रहा, बल्कि वाहनों को तेज गति में दौड़ाया जा रहा है। बताते चलें कि निर्धारित है रफ्तार लेकिन…शहरी क्षेत्र से होकर निकले वाहन पर 20 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार निर्धारित है। लेकिन इसके बाद भी इन स्थानों पर 50 से 70 की स्पीड में दौड़ लगाते हुए वाहनों को देखा जा सकता है। शारदा मंदिर से गजराज नगर डाला रेलवे क्रॉसिंग तक तीन विद्यालय है और उसी रास्ते पर तेज रफ्तार से बोल्डर वाहन 50-70 की रफ्तार से बोल्डर लेकर दौड़ रहे है। ट्रिपर बोल्डर वाहन खतरनाक तरीके से वाहन चलाते हुए सायं सायं निकल जाते हैं। लोगों का कहना है कि शहरी क्षेत्र में बेलगाम दौड़ रहे वाहनों पर रोक लगनी चाहिए। प्रशासन को चाहिए कि वह तेज रफ्तार पर सख्ती से लगाम कसे। ताकि शहरी क्षेत्र की घनी आबादी वाले इलाके से वाहन धीमी गति में गुजरें, जिससे हादसा होने की आशंका न रहे। वहीं तेज गति से वाहन चलाने वालों से सख्ती से निपटा जाए। गौर करने की बात है कि उत्तर प्रदेश के मुखिया का भी निर्देश है कि ओवरलोड चलने वाले वाहनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएं लेकिन कार्रवाई तो दूर सेटिंग होने से यह बेखौफ होकर दौड़ते हुए देखें जा सकतें हैं।

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