सागर/खुरई। जगतगुरु शंकराचार्य द्वारका शारदा पीठाधीश स्वामी सदानंद सरस्वती जी महाराज के स्वागत में नगर के मुख्य मार्गों से भव्य शोभायात्रा निकाली गई। रथ पर सवार शंकराचार्य जी का जगह जगह भव्य स्वागत हुआ। शोभायात्रा शनि मंदिर के पास से प्रारंभ हुई और परसा चौराहा, झंडा चौक, पठार होते हुए किला प्रांगण में पहुंची। जहां एक विशाल धर्मसभा का आयोजन किया गया। धर्मसभा में शंकराचार्य सदानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि हिंदू के बिना हिंदुत्व की रक्षा नहीं की जा सकती। सनातन धर्म मानने वालों को अपने बच्चों के मन में धर्म का भाव जगाना होगा। धर्म सोते हुए बालक के समान है। उसे जागृत करने की जरूरत है। वह हम सब में विद्यमान है, बस उसको जगाने की जरूरत है। धर्म का प्रकाश समाज के लोग अपने बच्चों को बचपन से दें। उनके हृदय में सनातनी संस्कारों का मोल प्रतिष्ठापित करें। अगर बचपन से ही हिंदू समाज इतना कर पाने में सफल रहा तो बच्चे आगे चलकर दिग्भ्रमित नहीं होंगे। आगे कहा कि सनातन धर्म मूल रूप से आध्यात्म वादी है। आध्यात्मिक विद्या का आश्रय लेने वाले व्यक्ति को काम, क्रोध, लोभ, अहंकार, आदि मनोविकार नहीं व्याप्ते। अहंकार दूर करने परमात्मा अवतार लेते हैं। न केवल मनुष्य वरन इंद्र आदि देवताओं के अहंकार का नाश करने परमात्मा प्रकट हो जाते हैं। प्रत्येक हिन्दू घर में रामायण, गीता सहित अन्य ग्रन्थ होना चाहिए और समय निकलकर उन्हें पढ़ना चाहिए । एक ही ग्रन्थ पढ़ लीजिए उसकी में सभी ग्रंथों का सार है, इसलिए कोई भी एक ग्रंथ को पढ़ना शुरू कर दीजिए। स्कूल कॉलेजों में संस्कार नहीं सिखाए जा रहे हैं। आज जो खुरई वासियों ने स्वागत किया है वह मेरा नहीं, बल्कि अपनी संस्कृति का स्वागत किया है। सदानंद सरस्वती ने कहा कि कुछ नेताओं के कारण, राजनीति को लोग दूषित समझने लगे हैं। राजनीति एक पवित्र शब्द है, जिसमें नीति शब्द का मतलब धर्म होता है। नेता अगर धार्मिक हो जाए तो उसके साथ चलने वाली प्रजा स्वाभाविक रूप से धार्मिक हो जाएगी। एक बार और आपको बता दें महाकुंभ में किसी को नियंत्रण नहीं दिया गया है, लोग अपने आप की कुंभ पहुंचा है। इसलिए सनातन धर्म सभा में सभी को आना चाहिए । राज्य के संचालक में धर्म होना चाहिए, मूर्ख व्यक्ति भी सोच समझकर काम करना चाहिए। इसलिए यह ध्यान रखें जो हम कर रहे हैं वह अच्छा काम है या गलत। उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में धन नहीं होने के कारण निर्धन परिवार दुखी हैं और धन होने के कारण धनी व्यक्ति दुखी हैं। ऐसा क्यो, कभी आप विचार कीजिए। प्रत्येक प्राणी यह चाहता है दुख चला जाए, लेकिन सुख नहीं जाए। नेता, अधिकारी, कर्मचारी भी सुख चाहते हैं सुख प्राप्ति के लिए बड़े बड़े कष्ट उठाता है, जी हुजूरी करते हैं। लोग क्या क्या नहीं करते। क्योंकि सुख प्राप्ति का मूल स्थान नहीं जान पाते,अपने आप को नहीं जानकर, पूरे संसार के सुख जानने के लिए सोचते हैं।सुख प्राप्त के लिए एक ही साधन है वह है धर्म। धर्म का पालन इसलिए करना चाहिए कि जब यह शरीर जाता है उसके साथ कोई नहीं जाता, वह चार लोग जो ले जाते हैं वह भी साथ चोर देते हैं। अरे साथ जाता हैं जो तुमने कर्म किया है उसकी का फल साथ जाता हैं। धर्म ही हमारा साधन है। इस अवसर पर मध्यप्रदेश सरकार ने कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, पूर्व मंत्री व रहली विधायक पंडित गोपाल भार्गव, पूर्व विधायक अरुणोदय चौबे, ब्राह्मण समाज अध्यक्ष राजेश मिश्रा, युवा अध्यक्ष मनोज चौबे सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
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