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नरसिंहगढ आध्यात्मिक संत कथावाचक डॉ. सच्चिदानंद शर्मा ने कथा में बहाई आध्यात्मिक ज्ञान गंगा

कथा ओर सतसंग से जीवन में आती है सकारात्मक ऊर्जा

राजू बैरागी राजगढ़ 9977480626


नरसिंहगढ बजरंग मोहल्ले में सुरेश सेठ एवं जायसवाल परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा का शनिवार को भव्य कलश यात्रा एवं भंडारे के साथ समापन हुआ। इस पवित्र अवसर पर उज्जैन से पधारे सुप्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य एवं कथा वाचक डॉ. सच्चिदानंद जी शर्मा ने श्रीमद्भागवत कथा के गूढ़ रहस्यों और आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डाला।

 

 

                                                                                                 

डॉ. शर्मा ने जीवन में पाँच प्रकार के ऋणों के बारे में बताया

माता-पिता का ऋण – विवाह और संतान से चुकता होता है।

ईश्वर ऋण – भक्ति के जागरण से चुकता होता है।

समाज ऋण – धर्म और परमार्थ से चुकता होता है

गुरु ऋण – गुरु की आज्ञा का पालन कर उतारा जाता है।

प्रकृति ऋण – संरक्षण और देश सेवा से मुक्त होता है।

कथा में उन्होंने राजा परीक्षित और सुकदेव जी के संवाद का उल्लेख करते हुए भागवत पुराण की महिमा का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि कलयुग का वास पाँच स्थानों – जुआ, शराब, चरित्रहीनता, मांस भक्षण एवं स्वर्ण में होता है।कार्यक्रम के समापन पर भावपूर्ण भजन “में तो अरज करा गुरु थाने, चरना में राखजो म्हाने” और “में वारी जाऊं रे सतगुरु” पर श्रद्धालु भक्तों ने झूमकर नृत्य किया। कथा के अंतिम दिवस पर विधायक प्रतिनिधि एवं भाजपा नेता सुदीप शर्मा, मंडल अध्यक्ष देवेंद्र सिंह परमार, राजकुमार साहू, अभिषेक भार्गव, तथा सूरजपोल क्षेत्र के गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति में डॉ. सच्चिदानंद शर्मा जी का सम्मान किया गया।

 

 

 


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