
नई दिल्ली : यमुना की सफाई को लेकर समीक्षा बैठक आयोजित, प्रधानमंत्री ने की बैठक की अध्यक्षता.दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यमुना को स्वच्छ बनाने और लोगों को साफ पेयजल उपलब्ध कराने के मुद्दों पर जोर दिया था। सरकार बनने के पहले दिन से ही भाजपा ने यमुना की सफाई के लिए प्रयास शुरू कर दिए थे। केंद्र सरकार का इस कार्य में सहयोग मिल रहा है, जिससे दोनों सरकारें मिलकर काम कर रही हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि छठ पूजा के दौरान दिल्ली के लोगों को बेहतर अनुभव प्रदान करने के लिए यमुना नदी के प्रति सम्मान विकसित करना आवश्यक है। इसके लिए एक जन भागीदारी आंदोलन की आवश्यकता है, ताकि युवाओं को नदी के महत्व का एहसास हो सके। ब्रज क्षेत्र की सांस्कृतिक समृद्धि पर भी ध्यान देने की बात कही गई है।
बैठक में चर्चा के मुख्य बिंदु
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यमुना नदी की सफाई और पुनरुत्थान की स्थिति की समीक्षा के लिए एक बैठक की। इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री, जल शक्ति मंत्री, दिल्ली के मुख्यमंत्री और अन्य अधिकारी शामिल हुए। बैठक में नदी की सफाई के लिए कार्य योजना की समीक्षा की गई, जिसमें अल्पकालिक, मध्यम और दीर्घकालिक गतिविधियों पर चर्चा की गई।
जन भागीदारी आंदोलन की शुरुआत
पीएम मोदी ने यमुना सफाई को जन आंदोलन बनाने की सलाह दी. उन्होंने कहा ‘जन भागीदारी आंदोलन के जरिए लोगों को नदी के पुनर्जनन और सार्वजनिक आयोजनों से जोड़ा जाए.’ इस पहल के तहत दिल्लीवासियों को नदी की सफाई में सक्रिय रूप से शामिल करने और जागरूकता बढ़ाने पर ध्यान दिया जाएगा. विशेष रूप से छठ पूजा जैसे सांस्कृतिक आयोजनों के दौरान घाटों पर बेहतर सुविधाएं सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया ताकि श्रद्धालुओं को स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण मिले.
तीन चरणों का रोडमैप
बैठक में यमुना की सफाई के लिए एक व्यापक ‘अर्बन रिवर मैनेजमेंट प्लान’ तैयार करने का निर्णय लिया गया. जिसे दिल्ली के मास्टर प्लान के साथ एकीकृत किया जाएगा. इस रोडमैप में निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया-
अल्पकालिक योजनाएं (3 महीने): नदी और नालों से ठोस कचरा, गाद और मलबा हटाने का कार्य तेज करना. नजफगढ़ और बरपुला जैसे प्रमुख नालों की सफाई शुरू की जाएगी.
मध्यमकालिक योजनाएं (3 महीने से 1.5 वर्ष): सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) की निगरानी और उन्नयन, साथ ही नए एसटीपी और डीसेंट्रलाइज्ड एसटीपी का निर्माण. दिल्ली में 400 मिलियन गैलन प्रतिदिन (एमजीडी) सीवेज उपचार की कमी को दूर करने पर जोर.
दीर्घकालिक योजनाएं (1.5 से 3 वर्ष): नदी के प्रवाह में सुधार, बाढ़ क्षेत्रों की सुरक्षा, ग्रीन रिवर फ्रंट डेवलपमेंट और औद्योगिक कचरे पर सख्त निगरानी.
तकनीकी और सांस्कृतिक पहल
बैठक में रीयल-टाइम डेटा और स्पेस टेक्नोलॉजी जैसे उन्नत तकनीकों के उपयोग पर जोर दिया गया. इनके जरिए नालों के प्रवाह और सीवेज ट्रीटमेंट की निगरानी की जाएगी. साथ ही ब्रज क्षेत्र जैसे सांस्कृतिक रूप से समृद्ध क्षेत्रों को जन आंदोलन से जोड़ने की योजना बनाई गई. पीएम मोदी ने यमुना के हरियाणा, दिल्ली और प्रयागराज (संगम) तक के हिस्सों की स्थिति की समीक्षा की और समग्र सफाई के लिए क्षेत्रीय सहयोग पर बल दिया.
प्रमुख मुद्दों पर चर्चा
बैठक में ड्रेन मैनेजमेंट, ठोस और औद्योगिक कचरा प्रबंधन, सीवेज और डेयरी कचरे का उपचार, और बाढ़ क्षेत्रों की सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर गहन विचार-विमर्श हुआ. दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी), नगर निगम (एमसीडी), और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) जैसी एजेंसियों के बीच समन्वय को मजबूत करने का निर्देश दिया गया. पीएम ने सुझाव दिया कि यमुना के किनारों पर साबरमती रिवरफ्रंट की तर्ज पर ग्रीन कॉरिडोर और सांस्कृतिक केंद्र विकसित किए जाएं.
यमुना की सफाई का कार्य 2023 में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा गठित हाई लेवल कमेटी के तहत शुरू हुआ था लेकिन आप सरकार के विरोध के कारण यह रुक गया था. अब बीजेपी सरकार के नेतृत्व में यह अभियान नए जोश के साथ शुरू हुआ है. दिल्ली के अतिरिक्त मुख्य सचिव नवीन कुमार चौधरी ने कहा ‘उच्चतम स्तर के निर्देशों के अनुसार हम 2027 तक यमुना को स्वच्छ करेंगे.’ हालांकि नजफगढ़ और बरपुला जैसे 28-30 प्रमुख नालों से होने वाले प्रदूषण को रोकना और औद्योगिक इकाइयों पर सख्ती लागू करना चुनौतीपूर्ण रहेगा.
दिल्ली की पहचान बनेगी यमुना
पीएम मोदी ने कहा ‘मां यमुना हमारी आध्यात्मिकता का स्रोत है. हम इसे दिल्ली की पहचान बनाएंगे.’ बीजेपी ने अपने ‘विकसित दिल्ली संकल्प पत्र’ में यमुना कोश और रिवरफ्रंट विकास की योजना शामिल की थी. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह रोडमैप समयबद्ध तरीके से लागू हुआ तो यमुना न केवल स्वच्छ होगी बल्कि दिल्ली के लिए एक सांस्कृतिक और पर्यटन केंद्र भी बनेगी.
दिल्ली में पेयजल प्रणाली का पुनर्वास
बैठक में दिल्ली की पेयजल प्रणाली के पुनर्वास की आवश्यकता पर जोर दिया गया। रिसाव और गैर-राजस्व जल को कम करने के लिए एक शहरी नदी प्रबंधन योजना तैयार करने का निर्णय लिया गया। इस योजना को सिटी मास्टर प्लान के साथ एकीकृत किया जाएगा।
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शुक्रवार को कहा कि उनकी सरकार मानसून के समय राष्ट्रीय राजधानी को जलभराव से मुक्ति दिलाने के लिए संवेदनशील स्थानों पर स्वचालित पंप लगाने और कर्मचारियों को तैनात करने सहित हर संभव प्रयास कर रही है।
मानसून की तैयारियों का जायजा लेने के लिए मुख्यमंत्री ने जलभराव वाले मिंटो ब्रिज अंडरपास का निरीक्षण किया। इस दौरान उनके साथ लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के मंत्री प्रवेश वर्मा भी मौजूद थे।
गुप्ता ने कहा, ‘‘भारी बारिश के दौरान जलनिकासी के लिए यहां स्वचालित पंप लगाए गए हैं और 2.5 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाई गई है। कर्मचारी भी हर समय ड्यूटी पर रहेंगे।’’
संवेदनशील स्थानों की पहचान कर ली गई है और सुधारात्मक उपाय किए जा रहे हैं।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि दिल्ली सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए समयबद्ध तरीके से हर कदम उठाएगी कि इस साल जलभराव न हो।
गुप्ता डब्ल्यूएचओ इमारत के पास रिंग रोड और पुल प्रह्लादपुर अंडरपास सहित अन्य प्रमुख जलभराव वाले स्थानों पर मानसून की तैयारियों का भी निरीक्षण करेंगी।
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