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सहारनपुर में प्राधिकरण भ्रष्टाचार का बड़ा खुलासा: सील किए गए अवैध व्यवसायिक निर्माण पर कर्मचारियों की मिलीभगत से हुआ लेंटर का निर्माण!*

प्राधिकरण अध्यक्ष व कमिश्नर कराएं उच्चस्तरीय जांच, हो सकता है बड़ा खुलासा

सहारनपुर में प्राधिकरण भ्रष्टाचार का बड़ा खुलासा: सील किए गए अवैध व्यवसायिक निर्माण पर कर्मचारियों की मिलीभगत से हुआ लेंटर का निर्माण!

 

प्राधिकरण अध्यक्ष व कमिश्नर कराएं उच्चस्तरीय जांच, हो सकता है बड़ा खुलासा

 

सहारनपुर।

सहारनपुर विकास प्राधिकरण के जोन-4 क्षेत्र में भ्रष्टाचार की एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां कोर्ट रोड स्थित आयकर भवन के पास, मुंजाल बुक शॉप से सटे एक अवैध व्यवसायिक निर्माण पर पहले सील लगाई गई, और अब उसी सील हटाकर निर्माण कार्य फिर से शुरू करवा दिया गया। इतना ही नहीं, प्रथम मंजिल पर लेंटर तक डलवा दिया गया — और यह सब प्राधिकरण के अधिकारियों की कथित मिलीभगत से संभव हुआ।

 

क्या है पूरा मामला?

एक दलाल, जिसे ‘जैन’ के नाम से पहचाना जा रहा है, ने एक आवासीय भूखंड को तोड़कर वहां व्यवसायिक दुकानों का निर्माण शुरू करवाया। यह कार्य सहारनपुर विकास प्राधिकरण के अवर अभियंता प्रदीप गोयल और सहायक अभियंता सार्थक शर्मा की कथित सहमति से हुआ। निर्माण पूरी तरह से अवैध था, और करीब एक वर्ष पूर्व प्राधिकरण द्वारा इसे सील कर दिया गया था।

 

फिर से चालू हुआ निर्माण, लेंटर तक डाला गया

हाल ही में मिली जानकारी के अनुसार, सील खोल दी गई और निर्माण फिर से शुरू हो गया। अब पहले तल पर भी अवैध निर्माण कर लेंटर डलवा दिया गया है, और दुकानों पर शटर भी लगवा दिए गए हैं। यह स्पष्ट रूप से भ्रष्टाचार का गंभीर मामला प्रतीत होता है।

 

क्या मानचित्र स्वीकृति, भ्रष्टाचार को वैधता देने का नया तरीका बन चुका है?

अब यह सामने आ रहा है कि इस निर्माण का “मानचित्र स्वीकृत” कर दिया गया है, लेकिन सवाल यह उठता है कि पहले जिस स्थिति में इसे सील किया गया था, अब बिना किसी तोड़फोड़ के वैध कैसे कर दिया गया? यदि पहले यह अवैध था तो अब वैध कैसे हुआ? यह भी गंभीर जांच का विषय है कि मानचित्र की स्वीकृति किस आधार पर दी गई और क्या उसमें सभी ज़रूरी सेटबैक व नियमों का पालन किया गया?

 

कड़े सवाल प्रशासन के सामने:

 

क्या सील हटाने की कोई वैध प्रक्रिया अपनाई गई?

 

अवैध निर्माण में शामिल कर्मचारियों पर कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों नहीं?

 

क्या बिना लाभ उठाए कोई कर्मचारी इतनी बड़ी लापरवाही कर सकता है?

 

क्या आम जनता के लिए भी नियमों में इतनी लचीलापन है?

 

 

स्थानीय जनों की मांग: हो निष्पक्ष जांच

स्थानीय नागरिकों, आरटीआई कार्यकर्ताओं और पत्रकार संगठनों ने मांग की है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच करवाई जाए। अगर जांच सही तरीके से की गई तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि किस स्तर तक प्राधिकरण में भ्रष्टाचार फैला हुआ है।

 

निष्कर्ष:

यह मामला केवल अवैध निर्माण का नहीं, बल्कि एक व्यापक भ्रष्ट तंत्र का प्रतीक बन चुका है। अगर ऐसे मामलों पर समय रहते सख्ती नहीं बरती गई, तो सहारनपुर जैसे शहरों का शहरी नियोजन और आम नागरिकों का विश्वास दोनों खतरे में पड़ जाएंगे।

 

 


 

प्रस्तुतकर्ता:

एलिक सिंह

संपादक – वन्दे भारत लाइव टीवी न्यूज़

जिला प्रभारी – भारतीय पत्रकार अधिकार परिषद

संपर्क: 8217554083

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