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केंद्र सरकार मजदूर विरोधी, 9जुलाई की प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी हड़ताल को रैयत विस्थापित मोर्चा व झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन करेगा पूर्ण समर्थन।।

कोल इंडिया के निजीकरण के खिलाफ मजदूर और रैयत दिखाएगी एकजुट की ताकत

केंद्र सरकार मजदूर विरोधी, 9जुलाई की प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी हड़ताल को रैयत विस्थापित मोर्चा व झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन करेगा पूर्ण समर्थन।।

कोल इंडिया के निजीकरण के खिलाफ मजदूर और रैयत दिखाएगी एकजुट की ताकत 

संवाददाता/राशीद अंसारी खलारी

खलारी। देशभर में 9 जुलाई को प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी श्रमिक हड़ताल को लेकर पिपरवार में भी व्यापक समर्थन का माहौल बनता जा रहा है। रैयत विस्थापित मोर्चा (रैविमो) और झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन (जेसीएमयू) ने इस हड़ताल को पूर्ण समर्थन देने की घोषणा की है। संयुक्त बयान में दोनों संगठनों ने श्रमिक हितों की अनदेखी और सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण के विरुद्ध यह हड़ताल अत्यंत जरूरी बताया है।आरवीएम के केंद्रीय उपाध्यक्ष और जेसीएमयू के केंद्रीय सदस्य इकबाल हुसैन ने केंद्र सरकार की नीतियों को मजदूर और विस्थापित विरोधी करार देते हुए कहा कि सरकार द्वारा प्रस्तावित चार लेबर कोड से मजदूरों के दशकों की मेहनत और संघर्ष से प्राप्त अधिकार खतरे में पड़ गए हैं,लेबर कोड के लागू होने से न केवल श्रमिक अधिकारों का हनन होगा, बल्कि ट्रेड यूनियनों की प्रभावशीलता भी समाप्त हो जाएगी,यह श्रमिकों को कमजोर करने और देश की सार्वजनिक संपत्तियों को कॉरपोरेट हाथों में सौंपने की दिशा में बड़ा कदम है, उन्होंने कहा कि कोल इंडिया के निजीकरण की दिशा में सरकार लगातार प्रयास कर रही है, जिसके कारण स्थाई रोजगार के अवसर घटते जा रहे हैं और आउटसोर्सिंग के माध्यम से अस्थायी कर्मचारियों की संख्या बढ़ रही है। पिपरवार समेत देशभर के कोयलांचल क्षेत्रों में स्थानीय रैयतों और विस्थापित परिवारों को आज भी रोजगार और मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा गया है, जबकि उन्होंने विकास के नाम पर अपनी उपजाऊ जमीनें समर्पित की थीं।  राष्ट्रव्यापी हड़ताल का मुख्य मुद्दा, चारों लेबर कोड की वापसी,कोल इंडिया में निजीकरण की प्रक्रिया पर रोक,आउटसोर्सिंग में विस्थापित और स्थानीय युवाओं की शत प्रतिशत नियुक्ति,ट्रेड यूनियन अधिकारों की बहाली,मूल रैयतों के पुनर्वास एवं रोजगार की गारंटी, आदि शामिल है । हड़ताल को सफल बनाने को लेकर इकबाल हुसैन ने सभी श्रमिक संगठनों, किसानों, विस्थापितों, युवाओं और आदिवासी समुदायों से अपील कर 9 जुलाई की राष्ट्रव्यापी हड़ताल को सफल बनाने में सक्रिय भूमिका निभाएं जाने का आह्वान किया है । उन्होंने कहा कि यह हड़ताल सिर्फ मजदूरों का आंदोलन नहीं, बल्कि जल, जंगल, जमीन और संविधान प्रदत्त अधिकारों को बचाने की निर्णायक लड़ाई है।

 

 

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