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वर्णाश्रम व्यवस्था पर जिसकी आस्था वही है सच्चा सनातनी – पुरी शंकराचार्य

गुलशन साहू की रिपोर्ट –

रायपुर – चातुर्मास प्रारंभ के पहले रायपुर पहुंचे अनन्तश्री विभूषित श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वतीजी महाभाग ने आज श्रीशंकराचार्य आश्रम, श्रीसुदर्शन संस्थानम् , रावाभांठा में पत्रकार वार्ता में पूछे गये समसामयिक प्रश्नों का समाधान किया। विभिन्न प्रदेशों में चल रहे भाषा विवाद पर उन्होनें कहा कि हमें क्षेत्रीय भाषा का उपयोग करते हुये राष्ट्रभाषा हिन्दी का भी सम्मान करना चाहिये क्योंकि अपने प्रदेश से बाहर जाने पर हम परस्पर वार्तालाप में इसका ही उपयोग करते हैं। भाषा विवाद बढ़ाने के राजनीतिक कारण है। ठीक इसी प्रकार उत्तम कथावाचक के संबंध में कहा कि उन्हें लोभ, भय तथा कोरी भावुकता से परे होना चाहिये। प्रदेश सरकार द्वारा आदिवासियों को गाय प्रदान करने की नीति के संबंध में कहा इस नीति का उपयोग देशी गोवंश संरक्षण एवं संवर्द्धन में होना चाहिये। गोहत्या हमारे देश के लिये अभिशाप है। धर्मांतरण एवं मतांतरण में विभेद की व्याख्या करते हुये कहा कि धर्मांतरण का तात्पर्य धर्मच्युति है जिसका सामान्य अर्थ होता है व्यक्ति का अधर्म की गोद में बैठ जाना। इसका मूल कारण दीनता या गरीबी हो सकती है या फिर लोभ, भय अथवा विवेक हीनता के कारण ऐसा कदम उठाया जाता है। सनातन वर्ण व्यवस्था का पालन करने पर जीविका सुरक्षित रहती है इसको अपनाने पर ऐसे मामलों में कमी की जा सकती है। वर्तमान मैं भय के वातावरण पर उन्होनें कहा कि सच्चा सनातनी कभी भयभीत नहीं होता। वर्णाश्रम व्यवस्था पर जिसकी आस्था वही सच्चा सनातनी है। प्रत्येक हिन्दू परिवार को प्रतिदिन एक रुपया और एक घंटा समय धर्म के लिये निकालना चाहिये तथा स्थानीय मठ – मंदिर या घर को केन्द्र बनाकर शिक्षा, रक्षा, धर्म, संस्कृति के संस्थान के रुप में विकसित करने के लिये परस्पर सम्वाद, समन्वय तथा सहयोग की आवश्कता है। ऐसे कार्यों से समाज में एकजुटता बढ़ेगी तथा समाज में व्याप्त बहुत से कठिनाइयों का स्वमेव निराकरण हो सकेगा। गौरतलब है कि अपनी राष्ट्रोत्कर्ष अभियान में चार दिवसीय छत्तीसगढ़ प्रवास पर श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वतीजी महाभाग चार जुुलाई को रायपुर पहुंचे। जहां प्रतिदिन प्रात:कालीन सत्र में दर्शन, दीक्षा और संगोष्ठी कार्यक्रम में उपस्थित भक्तजन धर्म, राष्ट्र और ईश्वर से संबंधित अपनी जिज्ञासाओं का समाधान श्रीशंकराचार्यजी से प्राप्त किये। वहीं सायंकालीन सत्र सभी को दर्शन एवं आध्यामिक संदेश श्रवण का सुअवसर प्राप्त हुआ। इसी कड़ी में आज उन्होंने प्रेस वार्ता को संबोधित किया , इसके बाद लगभग साठ लोगों ने दीक्षा लिया। अपने छग प्रवास के अंतिम चरण में 07 जुलाई सोमवार को प्रात:कालीन सत्र में दर्शन, दीक्षा संगोष्ठी के पश्चात महाराजश्री शाम को इंटरसिटी से जगन्नाथपुरी के लिये प्रस्थान कर वहीं चातुर्मास्य व्यतीत करेंगे। इसकी जानकारी श्री सुदर्शन संस्थानम्, पुरी शंकराचार्य आश्रम / मीडिया प्रभारी अरविन्द तिवारी ने दी।

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