
सागर। वंदे भारत लाईव टीवी न्यूज रिपोर्टर सुशील द्विवेदी -8225072664- चरनाई भूमि से अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही शीघ्र प्रारंभ कर भूमि गौवंश को उपलब्ध कराएं एवं गौशालाओं को आर्थिक रूप से संपन्न बनाएं। उक्त निर्देश कलेक्टर संदीप जी आर ने पशुपालन डेयरी विभाग के अंतर्गत जिला पशु कल्याण समिति की बैठक में दिए। इस अवसर पर पशुपालन विभाग के अधिकारी एवं स्व-सहायता समूह की महिला सदस्य मौजूद थीं। कलेक्टर ने कहा कि जिले में चरनोई भूमि को चिन्हांकित कर उनमें किए गए अतिक्रमण तत्काल हटाने की कार्यवाही करें और उक्त भूमि गौवंश को चरने के लिए उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने कहा कि इसी जमीन पर नैपियर ग्रास भी लगाए जिससे कि गौवंश को पौष्टिक आहार उपलब्ध हो सके। उन्होंने कहा कि जिले कि स्व सहायता समूह के द्वारा संचालित 27 गौशालाओं को आर्थिक रूप से संपन्न बनाने के लिए आवश्यक प्रबंध किए जावें। सभी गौशालाओं में कम से कम 25 प्रतिशत दूध देने वाले गौवंश को रखा जावे जिससे कि उस दूध उत्पादन के माध्यम से गौशाला का संचालन हो सके एवं गौशाला में गौकाष्ठ निर्माण, वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए भी कार्य किया जाए, गौशाला में उपलब्ध जैविक खाद का विक्रय वन विभाग एवं अन्य विभागों से समन्वय करके किया जाए। कलेक्टर ने निर्देश दिए कि सभी गौशालाओं में पर्याप्त पानी की व्यवस्था की जावं एवं विद्युत आपूर्ति भी रहे। उन्होंने कहा कि गौशालाओं के आसपास यदि पर्याप्त मात्रा में जगह उपलब्ध है तो वहां पर अमृत सरोवर का निर्माण करें, जिससे कि गौशालाओं में पेयजल की समस्या समाप्त होगी। उन्हांेने सभी गौशाला संचालकों से कहा कि शासन की योजनाओं का लाभ लेने के लिए पशुपालन विभाग के पोर्टल पर अपनी जानकारी प्रतिदिन अद्यतन करें जिससे कि उनको शासन की योजनाओं का लाभ एवं सहायता राशि प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि जिले में 13 चलित पशु चिकित्सा ईकाई वाहन का उपयोग कॉल आने पर तत्काल किया जावे जिससे कि गौवंश को समय पर उपचार मिल सके। बैठक में बताया गया कि जुलाई 2025 तक 43474 पशुओं को घर पहुंच उपचार प्रदान किया गया है। उन्होंने निर्देश दिए कि जिले में 20 पशु चिकित्सालय संचालित हैं सभी पशु चिकित्सालयों में पर्याप्त संख्या में दवाएं उपलब्ध रहें एवं पशु चिकित्सक हमेशा मौजूद रहे। कलेक्टर ने स्वसहायता समूह की महिला सदस्यों के द्वारा तैयार किए गए उत्पादकों की लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन किया एवं जानकारी प्राप्त की। उन्होंने अवलोकन करते समय ही सहायता समूह के द्वारा निर्मित उत्पादकों को नगद भुगतान कर सामग्री की खरीददारी की।