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स्मार्ट प्री-पेड मीटर से बिजली के उपयोग का कंट्रोल आपके अपने हाथों में-जिला पदाधिकारी

सरकारी कार्यालयों में नवंबर 2024 तक स्मार्ट प्री-पेड मीटर लगवा दिया जाएगा

सीवान प्रेसवार्ता करते जिलाधिकारी जिला पदाधिकारी सिवान के द्वारा स्मार्ट प्रीपेड मीटर के संबंध में बहुत संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया गया।जिला पदाधिकारी के द्वारा संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए बताया गया कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर के बारे में अनावश्यक भ्रांति जानबूझकर फैलाई जा रही है। स्मार्ट प्रीपेड मीटर अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित विश्वसनीय मीटर है। इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया गया कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लगाने की शुरुआत शहरी क्षेत्र में सितंबर 2019 से प्रारंभ हुई। ग्रामीण क्षेत्रों में इसे लगाने की शुरुआत जनवरी 2023 से की गई है।राज्य में अब तक कुल 50.23 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाया जा चुका है। जो कि लगभग 2 करोड़ उपभोक्ताओं का 25 प्रतिशत है। इनमें शहरी क्षेत्र में 17.47 लाख एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 37.76 लाख मीटर लगाए गए हैं। सभी पुराने मीटर को बदलकर स्मार्ट मीटर लगाया जा रहा है। स्मार्ट मीटर के लगाने के समय उपभोक्ताओं से कोई भी शुल्क नहींलिया जाता है। स्मार्ट मीटर द्वारा डाटा स्वतः ही बिलिंग सर्वर पर आ जाता है। जिससे ऊर्जा रीडिंग के लिए मीटर रीडिंग की जरूरत नहीं पड़ती है। इससे ऑनलाइन के माध्यम से समय पर विपत्र प्राप्त कर सकते हैं। मानव हस्तक्षेप नहीं होने से विद्युत विपत्र में त्रुटि की संभावना नहीं रहती है। स्मार्ट मीटर के कारण बिलिंग प्रक्रिया अधिक पारदर्शी होने से उपभोक्ता में विद्युत विपत्र को समझने में सुविधा होती है।स्मार्ट प्रीपेड मीटर उपभोक्ताओं को दैनिक ऊर्जा/खपत राशि की कटौती की जानकारी वास्तविक समय में प्रदान करती है। जिससे उपभोक्ता अपने उपयोग की आदतों को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं,और ऊर्जा की बचत कर अपने विपत्र की राशि को कम कर सकते हैं। वास्तविक समय डाटा की उपलब्धता होने से अधिक खपत करने वाले उपकरणों की पहचान कर सकते हैं। जिससे ऊर्जा बचत करने में के उपाय ढूंढा जा सकता है। स्मार्ट मीटर अधिष्ठापन से पूर्व विद्युत बकाया राशि को किस्तों में भुगतान करने की व्यवस्था की गई है।जिससे उपभोक्ताओं को बकाया राशि एक मुश्त जमा करने के वित्तीय भार से मुक्ति मिलती है।स्मार्ट मीटर अधिष्ठापन उपरांत यदि मैक्सिमम डिमांड स्वीकृत भार से बढ़ जाता है तो उपभोक्ताओं को 6 माह तक मैक्सिमम डिमांड शुल्क से राहत दी जाती है। स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं के परिसर में सोलर पैनल अधिष्ठापन के उपरांत स्मार्ट मीटर को नेट मीटर में बदल दिया जाता है।जिससे उपभोक्ताओं को अलग से नेट मीटर खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।।स्मार्ट मीटर से प्राप्त सटीक और विस्तृत डेटा समस्याओं का समाधान जल्दी करने में मदद करता है। उपभोक्ताओं को मोबाइल ऐप के माध्यम से ही विपत्र प्राप्त हो जाता है,तथा बिना कार्यालय गये अपने स्मार्ट मीटर को रिचार्ज भी कर सकते हैं। त्रुटि रहित विपत्रीकरण से उपभोक्ताओं को विद्युत कार्यालय का चक्कर नहीं लगाना पड़ता है। स्मार्ट मीटर प्रणाली को पारदर्शी एवं सुलभ बनता है जिससे उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा उपलब्ध होती है। ऊर्जा के उपयोग में सुधार करने से कुल ऊर्जा खपत कम होती है। उपभोक्ताओं को हार्ड कॉपी उपलब्ध कराने हेतु पेपर के उपयोग की कटौती के कारण पेड़ों की कटाई कम होती है। जिससे पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऊर्जा संरक्षण फलस्वरुप कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आती है।

कुछ आम प्रश्नों के उत्तर भी जिला पदाधिकारी ने दिए जैसे कि मीटर फास्ट चलता है, क्या?

इस संबंध में जिला पदाधिकारी ने बताया कि पूरे बिहार में अब तक लगभग 55 लाख मीटर लगाए जा चुके हैं और ऐसी कोई समस्या नहीं है।उन्होंने कहा कि सभी सरकारी कार्यालय में स्मार्ट मीटर, चेक मीटर के साथ लगाया जाएगा। जिससे आप मानपठन का अंतर चेक कर सकते हैं।विभिन्न जगहों पर प्रदर्शनी के तौर पर भी स्मार्ट मीटर एवं पुराने मीटर को लगाया जाएगा जिससे आम नागरिक दोनों के मीटर रीडिंग को स्वयं देख सकते हैं।स्मार्ट मीटर नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड का है।जो कि बिहार सरकार की कंपनी है।

पैसा खत्म होने पर रात में ही लाइन कट जाएगा क्या?

इस प्रश्न के उत्तर में जिला पदाधिकारी ने बताया कि पैसा खत्म होने पर एक सप्ताह पहले से ही उपभोक्ता को मोबाइल नंबर पर मैसेज आने लगता है। बिजली कभी भी रात में नहीं काटी जाती है। क्योंकि बिजली काटने का समय सुबह 10:00 बजे से 2:00 बजे से दिन का ही होता है।

नॉर्मल मोबाइल में डाटा कैसे देखेंगे?

इस प्रश्न के उत्तर में बताया गया कि टेक्स्ट मैसेज से जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी।

रिचार्ज कहां से और कैसे करें?

इस प्रश्न के उत्तर में बताया गया कि रिचार्ज किसी भी डिजिटल माध्यम जैसे यूपीआई एप, नेट बैंकिंग के माध्यम से किया जा सकता है।साथ ही बिजली विभाग के काउंटर पर भी जाकर विपत्र की राशि को जमा किया जा सकता है।

अगर उपभोक्ता का प्रत्येक माह का विपत्र जमा हो एवं लगातार भी विपत्र जमा किया जा रहा है, ऐसे में स्मार्ट मीटर की क्या आवश्यकता है?

इस प्रश्न के उत्तर में बताया गया कि इससे मानवीय भूल के कारण बिजली बिल में होने वाली गड़बड़ी की समस्या से पूर्णतया निजात मिल सकेगी। उपभोक्ता को उसके दैनिक खपत की जानकारी मोबाइल ऐप के माध्यम से मिल पाएगी।

अगर पहले से बिल बकाया है तो क्या एक ही बार में पूरा पैसा देना पड़ेगा?

इस प्रश्न के उत्तर में बताया गया।नहीं अगर उपभोक्ता का पूर्व से बिल बकाया है तो स्मार्ट मीटर में औसत खपत के अनुसार आसान किस्तों में उपभोक्ता को बकाया राशि जमा करने की सुविधा उपलब्ध है।

 

विद्युत के क्षेत्र में बिहार के तीव्र गति से होने वाली प्रगति को आंकड़ों के माध्यम से बताया गया।

 

विद्युत संचरण प्रणाली की कुल विद्युत निकासी 1000 मेगावाट से बढ़कर अब 14777 मेगावाट की हो गई है।

ग्रामीण विद्युतीकरण के अंतर्गत राज्य के सभी गांवों में दिसंबर 2017 तक तथा सभी टोलों में अप्रैल 2018 तक बिजली उपलब्ध करा दी गई है।

हर- घर बिजली निश्चय योजना के तहत राज्य के सभी इच्छुक परिवारों को निर्धारित लक्ष्य से दो माह पूर्व दिनांक 25 अक्टूबर 2018 तक विद्युत संबंध दे दिया गया।

मुख्यमंत्री कृषि विद्युत संबंध योजना (वर्ष 2020) तथा निश्चय भाग -2 के अंतर्गत हर खेत तक सिंचाई का पानी के तहत अब तक 4.15 लाख निःशुल्क कृषि विद्युत कनेक्शन दिया जा चुका है ।

रिकंडक्टरिंग योजना के तहत राज्य के कुल 87,334 सर्किट किलोमीटर जर्जर/पुराने वितरण लाइनों को बदल गया । जिसमें 47,744 सर्किट किलोमीटर एल टी , 2730 सर्किट किलोमीटर 33 केवी, 38,860 सर्किट किलोमीटर, 11 केवी के लाइन शामिल हैं।

किसानों को सस्ती बिजली प्रदान करने के लिए कुल लागत रुपए 6.74 प्रति यूनिट में से रु ₹6.19 प्रति यूनिट का भार सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है। जिसके कारण मात्र 55 पैसे प्रति यूनिट के दर से किसानों को बिजली की आपूर्ति की जा रही है।

 

विद्युत की अद्यतन स्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया गया कि वर्ष 2005 में विद्युत की अधिकतम माँग (Peak Demand) 700 मेगावाट थी,जो दिनांक 23.09.2024 तक 8005 मेगावाट हो चुकी है।राज्य में कुल विद्युत उपभोक्ताओं की संख्या 17 लाख थी जो वर्तमान में 2 करोड़ 7 लाख से अधिक हो गयी है।

प्रति व्यक्ति बिजली की खपत वर्ष 2005 में मात्र 70 यूनिट थी जो अब बढ़कर 360 यूनिट हो गयी है।

वर्तमान में शहरी क्षेत्रों में औसतन 23-24 घंटे तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 21-22 घंटे बिजली की आपूर्ति की जा रही है।

वर्ष 2005 में पावर सब-स्टेशन की संख्या 368 थी जो अब बढ़कर 1250 हो गयी है।

इस अवधि में 33 केवी एवं 11 केवी की वितरण लाईनों में 3 गुणा वृद्धि हुई है।

वर्ष 2005 में राज्य में ग्रिड उपकेन्द्रों की संख्या 45 थी जो बढ़कर 168 हो गयी है।

संचरण लाईन की कुल लम्बाई 5000 सर्किट किलोमीटर थी जो बढ़कर 20328 सर्किट किलोमीटर हो गयी है।

 

अंत में जिला पदाधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार लगातार राज्य के आम नागरिकों की सुविधा में बढ़ोतरी हेतु दिन-रात अनवरत प्रयास कर रही है। इसी के क्रम में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाकर आधुनिक उत्तम तकनीक के जरिए आमजनों को विद्युत सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।राज्य में बढ़ते विद्युत खपत का ग्राफ इस बात का द्योतक है कि विद्युत के क्षेत्र में कारगर ढंग से विकासात्मक कार्य सही दिशा में लगातार किए जा रहे हैं। आधुनिकतम तकनीक का प्रयोग करते हुए दूर- दराज के क्षेत्र में बिजली सुचारू ढंग से उपलब्ध करवाई जा रही है। जिससे राज्य में विकास की गति में पंख लग गए हैं। विद्युत, सड़क एवं विधि व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन एवं प्रगति के कारण अब नए-नए उद्योगों की स्थापना की भी शुरुआत हो चुकी है। अब वह दिन दूर नहीं जब बिहार के अधिकांश लोग अपने ही राज्य में रोजगार पाएंगे।

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