सिद्धार्थ नगर।माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल काॅलेज में कर्मचारियों की आड़ में दलाल सक्रिय हैं। यही कारण है कि इमरजेंसी और ओपीडी से मरीजों का सौदा करने वालों की पहचान आसान नहीं है, क्योंकि आसानी से पता नहीं चल पाता है कि कौन कर्मचारी है, और कौन बाहरी? इस कारण स्वास्थ्य कर्मियों पर रिश्वत के आरोप फिर लगने की आशंका है।
मेडिकल कॉलेज में 17 नवंबर को मरीज की मौत के मामले में डॉक्टर सहित दो पर कार्रवाई और रिश्वत के आरोप के बाद व्यवस्था बदली, लेकिन बिचौलियों की अब भी चांदी है। इमरजेंसी में डीएम, सीएमएस के मोबाइल नंबर के साथ स्वास्थ्य कर्मियों के नाम भी लिखे जा रहे हैं, आउटसोर्स कर्मी ड्रेस में नहीं हैं, और उनके गले में आई कार्ड भी नहीं है। ऐसी स्थिति में निजी अस्पतालों, जांच सेंटरों और मेडिकल स्टोर से जुड़े बिचौलियों को मरीजों के बीच में घुसकर धंधा चमकाने का मौका मिल रहा है।मेडिकल कॉलेज में 160 आउटसोर्स कर्मी हैं, जो विभागीय कर्मचारी की तरह काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें पहचान पाना संभव नहीं है। यही कारण है कि जो कर्मचारी नहीं हैं, वे भी अपनी पहचान कर्मचारी बताकर मरीजों का शोषण कर रहे हैं। मेडिकल काॅलेज की ओपीडी में मंगलवार को 1009 मरीजों का पंजीयन हुआ, जबकि करीब 400 ने पुराने पर्चे पर डॉक्टर को दिखाया। मरीजों की भीड़ में बिचौलियों का दखल दिखा।
300 बेड के अस्पताल में संचालित नई ओपीडी में मंगलवार को डॉक्टर कक्ष के बाहर एक व्यक्ति कुर्सी पर बैठा था। उसके पास ड्रेस और कार्ड नहीं था, लेकिन वह मरीजों के पर्चे देखकर सुझाव दे रहा था। इसी प्रकार पुरानी बिल्डिंग की ओपीडी के अंदर और बाहर बाहरी व्यक्ति सक्रिय दिखे, जिनसे कोई पूछताछ नहीं हो रही थी।हड्डी रोग विभाग की ओपीडी में एक आउटसोर्स कर्मी और बिचौलिए के बीच विवाद हुआ था। माहौल गरमाया तो कर्मचारी लामबंद भी हुए, लेकिन दो घंटे बाद भी जिम्मेदारोंं ने दो पक्षों में मामला रफा-दफा करा दिया। इस मामले में मरीज को निजी अस्पताल भेजने के लिए विवाद होने की चर्चा थी।
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इमरजेंसी से दिखाते हैं बाहर का रास्ता
इमरजेंसी में मरीजों के इलाज में सहयोग करने वाले ड्रेस में नहीं थे, जबकि उनसे घुले मिले अन्य लोग भी मौके पर मौजूद थे। एक स्वास्थ्य कर्मी ने बताया कि ऐसे लोग मरीजों के परिजन से सरकारी अस्पताल में लापरवाही बताकर उन्हें निजी अस्पताल भेज देते हैं, जबकि सहयोग के बहाने उनकी जांच के सैंपल भी निजी अस्पताल में पहुंचा रहे हैं।
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वर्जन
मेडिकल कॉलेज में क्लिनिकल कमेटी की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार व्यवस्था बदली गई है। आउटसोर्स कर्मियों को ड्रेस में नहीं होने और कार्ड नहीं लटकाने के मामले में नोटिस दिया गया है। जल्द ही सभी कर्मियों की पहचान आसान हो जाएगी।
-प्रो. राजेश मोहन, प्राचार्य