1980 दंगे के बाद से बंद मुरादाबाद का गौरी ंकरमंदिर एक किन्नर की कस्टरडी में महफूज मिला।प्रशासनिक टीम फोर्स के साथ मंदिर पहुंची तो पताचला कि मोहिनी नाम की किन्नर पिछले तीन साल सेमंदिर की देखरेख कर रही है। वही मंदिर की रंगाई पुताईकराती है।
लाइनपार के रहने वाले सेवाराम ने तीन दिन पहले डीएमको अर्जी दी थी। इसमें उन्होंने कहा था कि नागफनी मेंझब्बू का नाला पर उनका परिवार रहता था। सेवारामने कहा था कि मुरादाबाद में झब्बू का नाला इलाके मेंउनके परदादा भीमसेन ने अपनी जमीन पर एक गौरीशंकर मंदिर की स्थापना की थी।
सेवा राम के मुताबिक उनके परदादा भीमसेन ही मंदिरकी देखभाल और पूजा पाठ भी करते थे। लेकिन 1980के दंगे में दूसरे समुदाय के लोगों की भीड़ ने भीमसेन कीहत्या कर दी। उनकी लाश भी नहीं मिली। बताया जाताहै कि उन्मादी भीड़ ने पुजारी भीमसेन की हत्या करने केबाद उनकी लाश को आग में झोंक दिया था।भीमसेन का बाकी बचा परिवार लाइनपार में आकर बसाइस घटना के बाद भीमसेन का बाकी बचा परिवारलाइनपार इलाके में आकर बस गया था। इसरके बाद सेमंदिर भी बंद हो गया। धीरे-धीरे मंदिर की मूर्तियां भीगायब हो गई। अब वहां सिर्फ खंडरनुमा मंदिर है औरउसमें शिवालय है।
सेवाराम ने डीएम से शिकायत की है कि जब भी वो इसमंदिर को खोलने जाते हैं तो दूसरे समुदाय के लोग मंदिरके कपाट नहीं खोलने देते। कपाट खोलने पर अंजामभुगतने की धमकी दी जाती है। सेवाराम ने डीएम से मांगकी है पुलिस सुरक्षा के बीच मंदिर के कपाट खुलवाएजाएं।
सेवाराम की इस शिकायत के बाद एसडीएम सदर औरसीओ कोतवाली के नेतृत्व में टीम मंदिर पर पहुंची।जाकर देखा तो मंदिर की देखभाल एक किन्नर मोहिनीके हाथों में मिली। मंदिर एकदम साफ सुथरा मिेला।लेकिन इसमें मूर्तियां नहीं थीं।किन्नर बोली-3 साल से मंदिर की कर रही देखभालकिन्नर मोहिनी ने बताया कि 3 साल से वो इस मंदिर कीदेखभाल कर रही है। लेकिन मंदिर में मूर्तियां नहीं हैं।इसलिए यहां पूजापाठ नहीं होती। मंदिर के गर्भगृह केदोनों रास्ते ईटों से बंद किए गए हैं।
मोहिनी ने पुलिस को ये भी बताया कि पिछले तीन सालमें सेवाराम या किसी भी अन्य व्यक्ति ने कभी मंदिर केगर्भगृह को खोलने की कोशिश नहीं की है। मंदिर परकोई आया भी नहीं है। बहरहसल प्रशासन ने मंदिर कागर्भगृह खुलवाने के लिए तैयारी पूरी कर ली है। सेवारामको भी निरीक्षण के दौरान बुलाया गया था, लेकिन वोमौके पर नहीं पहुंचे।