
राजू बैरागी 9977480626
वन विभाग के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट अनुभूति शिविर, जिनका की इंतजार स्कूली विद्यार्थी पूरे वर्ष भर करते हैं और जो कि प्रत्येक वर्ष दिसंबर एवं जनवरी माह में पूरे मध्य प्रदेश के विभिन्न वन क्षेत्रों में आयोजित किए जाते हैं । इस कार्यक्रम के राजगढ़ वन मंडल के शिविरों का आयोजन राजगढ़ जिले के एकमात्र वन्य प्राणी अभ्यारणय चिड़िखोह नरसिंहगढ़ में किया जाता है। इस वर्ष भी तीन वन परिक्षेत्रों क्रमशः राजगढ़, नरसिंहगढ़, एवं ब्यावरा के अंतर्गत आने वाले 30 से अधिक शासकीय विद्यालयों के विद्यार्थियों के लिए 6 शिविरों का आयोजन चिड़िखोह अभ्यारण्य पर किया गया । इन शिविरों में विद्यार्थियों ने न सिर्फ जंगलों और वन्यप्राणियों को करीब से देखा एवं समझा, बल्कि इस वर्ष आयोजन की थीम “हम हैं बदलाव” और “मैं भी बाघ” को अनुभूत कर अपने जीवन अंगीकृत करने के बीज भी इन शिविरों से एकत्रित किए ।
ज्ञात हो कि वर्ष 2016 में आयोजन की प्रदेश स्तरीय शुरुआत से अब तक पूरे प्रदेश में 8 लाख से अधिक विद्यार्थियों को इन शिविरों के माध्यम से प्रशिक्षित किया जा चुका है।
वन विभाग के मास्टर ट्रेनर भगवती शरण शर्मा ने बताया कि कार्यक्रम की आयोजक संस्था म.प्र. इको टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड के द्वारा पूरे वर्ष भर तैयारी कर सफलता पूर्वक पूरे प्रदेश में इन शिविरों को आयोजित करवाया जाता है। जिसमें कि मास्टर ट्रेनर्स, प्रेरक, एवं विभागीय अमले का प्रशिक्षण भी शिविरों के पूर्व आयोजित किया जाता है साथ ही शिविरों से सम्बंधित शैक्षणिक, एवं गतिविधियों से सम्बंधित सामग्री भी बोर्ड द्वारा एक्सपर्ट्स के माध्यम से तैयार करवा कर आवश्यक दिशा निर्देशों की गाइडलाइन भी जारी किए जाते हैं। इन आयोजनों हेतु आर्थिक सहयोग म.प्र. वन विभाग की शाखाओं “कैम्पा” एवं “लघु वनोपज संघ” द्वारा किया जाता है।
राज्य शासन के मंत्री एवं अन्य जनप्रतिनिधि हुए आयोजन में शामिल:
राजगढ़ वनमंडल के शिविरों में विद्यार्थियों को प्रोत्साहित एवं मार्गदर्शन देने के लिए विभाग द्वारा स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया जाता है । इस वर्ष भी म.प्र. शासन के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नारायण सिंह पंवार, म.प्र. जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष मोहन नागर, सरपंच संघ के जिला अध्यक्ष हेमराज नागर, एवं अन्य जनप्रतिनिधि, अधिकारी शिविरों में शामिल हुए । वनमण्डल अधिकारी बैनी प्रसाद दौतानिया भी लगातार शिविरों में उपस्थित रहकर विद्यार्थियों को प्रोत्साहित कर आवश्यक व्यवस्थाओं को विश्वस्त करते रहे ।
यह नवाचार रहे इस वर्ष विशेष
1. गोरैया संरक्षण हेतु बर्ड हाउस निर्माण प्रशिक्षण
2. डिस्पोजल के स्थान पर केवल पत्तों से बने दोना पत्तल का उपयोग
3. भोजन सामग्री एवं व्यवस्था हेतु स्थानीय व्यक्तियों कप ही प्राथमिकता (वोकल फ़ॉर लोकल)
4. सभी शिविरों में भोजन हेतु विभाग द्वारा नरसिंहगढ़ की पहचान “दाल, बाफले, लड्डू” की व्यवस्था
5. “जंगल की पाठशाला” के माध्यम से समाज मे व्याप्त भ्रांतियों एवं कुरीतियों को समाप्त करने हेतु विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया गया।
6. शिविरों से निकली वेस्ट दोना पत्तल, इत्यादि सामग्री से कम्पोस्ट खाद निर्माण का प्रयास।
7. पॉलीथीन उपयोग कम करने हेतु बिना सिले कपड़े से केवल 3 गठान में झोला बनाने का प्रशिक्षण।
8. शिविर उपरांत जुलाई माह में विद्यालय पहुँचकर शिविर की सीखों एवं आये बदलाव पर फ़ीडबैक की व्यवस्था ।
9. स्थानीय कलाकार के सहयोग से फ्लेक्स के बजाय इको फ्रेंडली मटेरियल कपड़े का उपयोग कर आयोजन के मुख्य बैनर को बनवाया गया ।
अंतिम दो शिविरों में ब्यावरा वन परिक्षेत्र अंतर्गत बेलास, हांसरोद, सालरियाखेड़ी, सलेपुर, तवड़िया का पूरा, सोनकच्छ, गादिया, पीपलहेला, कुरावर एवं देवगढ़ के विद्यार्थियों ने शिविर में भाग लिया एवं जंगल की पाठशाला में उपस्थित होकर अनुभूति शिविरों का महत्व एवं उद्देश्य समझा, वनों,पर्यावरण से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की एवं झील के पास पक्षी दर्शन किया ।
इसके पश्चात सभी विद्यार्थियों को अभ्यारण्य के कोर एरिया से नेचर ट्रेल पर भ्रमण हेतु ले जाया गया । 2.5 किलोमीटर लंबे प्रकृति पथ पर विद्यार्थियों ने विभिन्न प्रकार के वृक्षों, औषधीय पौधों, ऐतिहासिक महत्व के चिन्ह/शिकारगाह, जलीय संरचनाएं, वन्यजीवों की उपस्थिति के चिन्ह, जिनमें की पग मार्क, स्क्रैप मार्क, खरोच, लोटन, विष्ठा आदि के सम्बन्ध में विस्तार से प्रायोगिक और रोचक जानकारी प्राप्त की एवं अभ्यारण्य में विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों की उपस्थिति को अनुभूत किया ।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में भोजन उपरांत विद्यार्थियों को सांप हमारे मित्र, अभ्यारण में पाए जाने वाले अन्य सरीसृप, पैंगोलिन, पामसिवेट, जंगली सूअर, हिरण और मृग में अंतर, मगरमच्छ और घड़ियाल, प्रवासी पक्षी, संकटापन्न पक्षी गिद्ध, गौरैया सहित अन्य महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी मास्टर ट्रेन भगवती शरण शर्मा द्वारा दी गई।
वन अमले का परिचय वन मंडल अधिकारी बैनी प्रसाद दौतानिया द्वारा विद्यार्थियों को करवाया गया साथ ही वन विभाग द्वारा चलाई जाने वाली विभिन्न गतिविधियों एवं अलग-अलग विभागों की जानकारी भी बहुत ही विस्तार पूर्वक विद्यार्थियों को DFO द्वारा उपलब्ध कराई गई। इसके पूरे दिन में कार्रवाई गयी गतिविधियों पर आधारित त्वरित क्विज प्रतियोगिता का आयोजन तीन अलग अलग चरणों मे कर 9 विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया गया ।साथ ही कार्यक्रम में “मैं भी बाघ” थीम सॉन्ग का भी बहुत ही सुंदर प्रस्तुतीकरण विद्यार्थियों द्वारा किया गया ।कार्यक्रम का समापन पर्यावरण रक्षा की शपथ एवं सामूहिक फोटो के साथ हुआ। आयोजन में अभ्यारण्य अधीक्षक दिनेश यादव, ब्यावरा एवं नरसिंहगढ़ के क्रमशः वन परिक्षेत्र अधिकारी देवकरण भिलाला, गौरव गुप्ता सहित राजगढ़ वन मंडल के अन्य कर्मचारियों का विशेष सहयोग रहा ।