जीविका दीदियों का उत्कृष्ट कार्य: तृषा का चयन निफ्ट में सहायक प्रोफेसर पद पर
दरभंगा, 18 जनवरी 2025 – गैर कृषि क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों से पहचान बनाने वाली तृषा का हाल ही में निफ्ट (नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी) शैक्षणिक संस्थान में सहायक प्रोफेसर के रूप में चयन हुआ है। इस उपलब्धि के उपलक्ष्य में डी.पी.सी.यू कार्यालय में एक फेयरवेल कार्यक्रम आयोजित किया गया।
तृषा की उपलब्धियों पर चर्चा
कार्यक्रम के दौरान उपस्थित पदाधिकारियों और कार्यालय कर्मियों ने तृषा की कार्यकुशलता और उनके द्वारा किए गए उल्लेखनीय कार्यों की सराहना की। तृषा ने जीविका दरभंगा के तहत कई महत्वपूर्ण पहलें की हैं, जिन्होंने न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त किया, बल्कि गैर कृषि क्षेत्र में भी प्रगति की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए।
जीविका दीदियों का कार्य
तृषा के नेतृत्व में जीविका की दीदियों ने अपने कार्य क्षेत्र में कई सफलता की मिसालें पेश की हैं। उनके द्वारा किए गए कार्यों ने हजारों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में मदद की है।
मुख्य कार्य:
- आजीविका एक्सप्रेस योजना: तृषा के कार्यकाल में 18 दीदियाँ तीन प्रखंडों में इस योजना से लाभान्वित हुईं।
- दीदी की रसोई: दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल, बेनीपुर अनुमंडल अस्पताल और अनुसूचित जाति-जनजाति आवासीय विद्यालय, बहादुरपुर में दीदी की रसोई के माध्यम से मरीजों और विद्यार्थियों को स्वच्छ और गुणवत्तापूर्ण भोजन प्रदान किया जा रहा है।
- स्वच्छता और वस्त्र धुलाई: उमंग और जागरण संकुल संघ की दीदियाँ दरभंगा मेडिकल कॉलेज और बेनीपुर अनुमंडल अस्पताल में सफाई और वस्त्र धुलाई का कार्य कर रही हैं।
ग्रामीण बाजार और हस्तशिल्प
- ग्रामीण बाजार: 11 प्रखंडों में ग्रामीण बाजार संचालित हैं, जहां दीदियाँ सस्ती दरों पर आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराती हैं।
- हस्तशिल्प: बहादुरपुर में शिल्पग्राम उत्पादक कंपनी के माध्यम से 572 दीदियाँ मधुबनी कला, सिक्की शिल्प और बाँस उत्पाद बनाकर विपणन कर रही हैं।
- स्वावलंबन: हायाघाट प्रखंड के पतोर गाँव में 25 दीदियाँ सत्तू, बेसन और मसाले बनाकर अपनी आजीविका सशक्त कर रही हैं।
दीदी की सफलता की कहानी
- पुनम देवी की सफलता: बहादुरपुर की पुनम देवी ने जिला निबंधन कार्यालय में कैंटीन स्थापित कर ₹15,000-₹20,000 मासिक आय अर्जित की है।
- शहद उत्पादक समूह: 10 शहद उत्पादक समूहों के माध्यम से 232 दीदियाँ शहद उत्पादन और विपणन कर रही हैं।
- कला और शिल्प में सफलता: छह प्रखंडों की 187 दीदियाँ मधुबनी पेंटिंग, सिक्की शिल्प और लहठी उत्पाद बनाकर आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं।
डीपीएम डॉ. ऋचा गार्गी का बयान
डीपीएम डॉ. ऋचा गार्गी ने तृषा के योगदान की सराहना की और उनके जाने को परियोजना और जीविका के लिए बड़ी क्षति बताया। उन्होंने कहा, “तृषा का कार्य हमेशा प्रेरणादायक रहेगा और उन्होंने हमारे संस्थान में अहम योगदान दिया है।”
तृषा का संदेश
तृषा ने अपनी बधाई स्वीकार करते हुए सभी से आग्रह किया कि वे गैर कृषि कार्यों को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए निरंतर प्रयास करते रहें। उन्होंने कहा, “हमारी मेहनत और समर्पण से ही हम अपने क्षेत्र को नए आयाम दे सकते हैं।”
सभी कर्मियों का समर्थन
कार्यक्रम में डीपीसीयू के सभी कर्मियों ने तृषा के साथ अपने अनुभव साझा किए और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। सभी ने यह भी माना कि तृषा के योगदान से दीदियों के कार्यक्षेत्र में सकारात्मक बदलाव आए हैं।
निष्कर्ष:
तृषा की यह उपलब्धि न केवल उनकी व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि यह दरभंगा जिले की महिलाओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत भी है। उनके नेतृत्व में जीविका की दीदियों ने कई क्षेत्रों में सफलता प्राप्त की है, जिससे न केवल उनके परिवारों की स्थिति बेहतर हुई है, बल्कि पूरे समुदाय की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में भी सुधार आया है।