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बिना कोच बीत गया साल, खिलाड़ियों में मायूसी

सिद्धार्थनगर। जिला स्पोर्ट्स स्टेडियम बनने के बाद जिले में खेल को लेकर जगी आस अब फाइलों में दम तोड़ने लगी है। 1995 में स्टेडियम बनने के बाद से साल दर साल बीतता चला जा रहा है, लेकिन खिलाड़ियों को बेहतर प्रशिक्षण के लिए कोच नहीं मिल पा रहा है, इससे खिलाड़ियों के हाथ मायूसी लग रही है, जबकि कई खिलाड़ी खेल भी छोड़ रहे हैं।
खेल में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए खिलाड़ी जिला स्पोर्ट्स स्टेडियम में प्रतिदिन प्रशिक्षण करने के लिए आ रहे हंै। लेकिन खिलाड़ियों को कोच का मार्गदर्शन नहीं मिलने से खेल के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं। सत्र के शुरवात में ही खेल विभाग ने वालीबॉल, बैडमिंटन, कबड्डी, खो-खो व ताइक्वांडो के खेल के लिए विभाग ने पत्र भेजा था। कई बार पत्र भेजने के बाद भी कोच की नियुक्ति नहीं हो पाई। ऐसे में खिलाड़ियों का कहना है कि कोच के नहीं होने से खेल में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं। जबकि हर वर्ष कोच की नियुक्ति के लिए पत्र भेजा जाता है। लेकिन केवल कागजों में ही कोच की नियुक्ति होने से खिलाड़ी मायूस हैं।

जबकि कई खिलाड़ी खेल को ही छोड़ रहे हंै। कबड्डी का कोच नहीं मिलने से जिले के शोहरतगढ़ क्षेत्र की रहने वाली अनुष्का पांडेय खेल को छोड़ दी। अनुष्का का कहना है कि जिले में कबड्डी के कोच नहीं हंै, जबकि अन्य शहर में खर्च अधिक लगते हैं, इससे खेल को छोड़ना पड़ है।
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