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सीधी। जिले में बढ़ते अपराध पर पाबंदी लगाने के लिए पुलिस को लोग कोसते हैं। कहते हैं कि पुलिस कार्यवाही नहीं करती। जब कार्यवाही करती है तो उन पर ही धौंस जमाकर राजनीतिक हथकंडा अपनाने का सिलसिला शुरू हो गया है। ऐसे में पुलिस को अब चाहिए कि माला पहनाकर अपराधियों का स्वागत करे अन्यथा उनकी नौकरी में भी दिक्कत हो सकती है।
दो-तीन दिनों सोशल मीडिया में जिस तरह का वीडियो वायरल हो रहा है उससे लग रहा है कि पुलिस का रवैया खराब है। हम भी मानते हैं पुलिस कहीं गलत भी करती है लेकिन कहीं अच्छा भी करती है। दो नजरियों से पुलिस को देखना चाहिए। ऐसे में एकतरफा जातिवाद फैलाकर पुलिस को बदनाम करने की साजिश कहां तक उचित है यह समझ से परे मानी जा सकती है। कुल मिलाकर यह माना जा सकता है कि चुरहट कांड के बाद अब लोग ढूंढ रहे हैं कि कहां-कहां पुलिस को बदनाम किया जाए। ऐसे मे पुलिस भला जनता की सेवा कैसे कर पाएगी जब लोग पुलिस को ही हथकंडे में लाना शुरू कर देंगे।
शराब के नशे में पहुंचे थे चाचा-भतीजा
जिले के मझौली थाना अंतर्गत मड़वास चौकी में 5 माह पहले का वीडियो वायरल हुआ है। जिसमें कि शराब के नशे में चाचा-भतीजा चौकी पहुंचे। जो कि पुलिस के साथ अभद्रता भी किए। उस दौरान पुलिस ने मना किया तो दोनो नशे के हालत में अनाब-शनाब बकना शुरू कर दिए। हालत यह रहती है कि पुलिस को यह नहीं मालूम कि हमारा वीडियो कौन बना रहा है। लेकिन जब आरोपी खुद पुलिस के साथ अभद्रता करते हैं। गाली-गलौच करते हैं पुलिस वीडियो नहीं बनाती। कारण यह कि वह कार्यवाही करने के लिए स्वतंत्र रहती है। ऐसे में मड़वास चौकी में पदस्थ प्रभारी केदार परौहा को लेकर भी वीडियो वायरल हुआ। जो कि निहायद गलत है, उसकी भी लोग निंदा कर रहे हैं। पुलिस यदि कार्यवाही नहीं करेगी तो अपराधियों के हौंसले बुलंद होंगे। जहां तक हमें जानकारी है कि केदार परौहा मड़वास चौकी प्रभारी का जो वीडियो पांच माह पहले जारी हुआ। जब कोई गाली देगा तो स्वाभाविक है कि उसमें पुलिस भी अपने हिसाब से काम करेगी। लेकिन पुलिस को बदनाम करने के लिए हर तरह से हथकंडा अपनाने का काम इन दिनों कुछ सामाजिक संगठन के लोग करना शुरू कर दिए हैं।
अपराधियों को माला पहनाएं या फिर कानून का पालन
पुलिस महकमों द्वारा यह कहने को मजबूर होना पड़ रहा है कि राजनीतिक रूप से हम लोग प्रताडि़त होते हैं। कहीं कार्यवाही न करें तो भी पुलिस शिकार होती है। यदि कार्यवाही करेंगे तो भी पुलिस की किरकिरी होती है। ऐसे में पुलिस क्या करे, दोनो तरफ से पुलिस पर ही सारा राजनीतिक हथकंडा अपनाना देखा जा रहा है।
जिला पुलिस अधीक्षक से लेकर वरिष्ट पुलिस अधीक्षक भोपाल तक पूरे मामले को लेकर जानते हैं कि पुलिस पर हर कोई उंगलियां उठाना शुरू कर देता है। आज राजनीति इस तरह हाबी हो गई है कि पहले तो पुलिस पर यह उंगली उठाएंगे कि अमुक मामले में कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है वहीं जब कार्यवाही होती है तो दूसरे पक्ष के लोग कार्यवाही करने में कोई कसर नहीं छोंड़ते। यहां तक कि आम जनता यह सोच रही है कि हम पुलिस से बढक़र हैं। ऐसे में पुलिस नियम के तहत कार्यवाही करेगी तो भी पतन है, नहीं करेगी तो भी उनके खिलाफ शिकायतें होंगी। कुल मिलाकर दोनो तरफ से पुलिस ही दोषी मानी जा रही है। इस पर गौर करने की जरूरत है। जिससे कि पुलिस अपने स्वच्छ विचार से अपराधियों पर कार्यवाही कर सके।
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