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UP: आजम खां के जौहर ट्रस्ट से 93.48 लाख की होगी वसूली, स्वीकृत स्थल छोड़ अन्य भूखंड पर बना रहे थे छात्रावास

जौहर विश्वविद्यालय में छात्रावास के लिए केंद्र से मिले 93.48 लाख रुपये का दुरुपयोग का मामला सामने आया है। निर्माण स्वीकृत स्थल से दूसरी जगह कराया जा रहा था। इससे यह अधर में फंस गया है। डीएम की जांच रिपोर्ट पर केंद्र ने धनराशि की वसूली के निर्देश दिए हैं।
जौहर विश्वविद्यालय में छात्रावास के निर्माण में केंद्रीय योजना से 93.48 लाख रुपये खर्च कर डाले, जौहर ट्रस्ट ने चयनित भूमि पर छात्रावास का निर्माण न कराकर दूसरी जगह करा दिया। मामला सामने आने पर केंद्र से दूसरी किस्त अटक गई और छात्रावास का निर्माण अधर में फंस गया है। यह फर्जीवाड़ा डीएम की तरफ से कराई गई जांच में सामने आया है।

अग्रिम कार्रवाई के लिए बुधवार शाम डीएम ने शासन में रिपोर्ट भी भेज दी है। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि जौहर विश्वविद्यालय में निर्माणाधीन छात्रावास का निर्माण पूरा नहीं हुआ है। केंद्र सरकार की धनराशि का उपयोग भी छात्र हित में नहीं किया गया है। ऐसे में केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से अपना केंद्रांश ब्याज सहित वापस मांगा है।जिस पर जौहर विश्वविद्यालय के विरुद्ध कार्रवाई की गति तेज हो गई है। इसी क्रम में डीएम ने विश्वविद्यालय में निर्माणाधीन छात्रावास के निर्माण एवं विवाद की वस्तुस्थिति की जांच कराई है। सीडीओ की अध्यक्षता में वाली पांच सदस्य टीम ने पूरे मामले की जांच की है। टीम में एडीएम राजस्व एवं वित्त, एसडीएम सदर, एसओसी एवं जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, विश्वविद्यालय परिसर में गाटा-1153 में कोई भवन निर्मित नहीं है, जबकि गाटा-1445 में पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए निर्माणाधीन छात्रावास है। राजस्व अभिलेख (नजरी नक्शा) के अनुसार, निर्माणाधीन छात्रावास की भूमि पर कोई विवाद नहीं है। क्योंकि छात्रावास का निर्माण गाटा-1153 में किया जाना था, जहां न करके गाटा-1445 पर कराया गया है।

जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि कई बिंदुओं से स्पष्ट है कि जौहर ट्रस्ट ने पिछड़ा वर्ग छात्रावास के लिए प्रस्तावित गाटे की भूमि से विपरीत अर्थात तथ्यों को छुपाकर दूसरे गाटा-1445 की जमीन पर छात्रावास का निर्माण शुरू कराया, जो आज भी अधूरा ही है।
निदेशक ने लौटा दिए थे 42.01 लाख
रिपोर्ट के मुताबिक, छात्रावास निर्माण के लिए जब दूसरी किस्त के 42.01 लाख रुपये केंद्र सरकार से प्राप्त हुए तो कार्यदायी संस्था को ये रुपये देने से पहले 8 मार्च 2018 को निदेशक पिछड़ा वर्ग ने डीएम से मौके की रिपोर्ट मांगी थी। इस मामले में डीएम ने 14 मार्च 2018 को निदेशक को रिपोर्ट भेजी थी। इसमें संबंधित स्थल को विवादित बताया गया था तो निदेशक पिछड़ा वर्ग ने द्वितीय किस्त के 42.01 लाख रुपये केंद्र को लौटा दिए थे।

100 छात्रों के लिए बनना था छात्रावास
जौहर विश्वविद्यालय में पिछड़ा वर्ग के 100 छात्रों की क्षमता वाला छात्रावास बनना था। इसके लिए पंजीकृत स्वैच्छिक संस्थाओं द्वारा संचालित सहायता प्राप्त एवं स्ववित्ता पोषित शिक्षण संस्थाओं में भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुरूप छात्रावास निर्माण के प्रस्ताव के साथ कुल 14 बिंदुओं पर अभिलेख/विवरण दिए दिए गए थे। इन सभी अभिलेखों एवं विवरण पर संस्था की सचिव डॉ. तजीन फात्मा हस्ताक्षर एवं मुहर है। कुल 12 काॅलम के एनेक्जर-1बी पर संस्था की सचिव डॉ. तजीन फात्मा ने दावा किया है कि गाटा-1153 मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी परिसर में स्थित है। यूनिवर्सिटी की स्थापना एमएमए जौहर ट्रस्ट ने की है। जमीन ट्रस्ट के स्वामित्व में है।

18 महीने में बनना था छात्रावास, बीत गए 8 साल
जौहर विश्वविद्यालय में निर्माणाधीन छात्रावास को 18 महीने में बनना था लेकिन, अब तक 8 साल का वक्त बीत गया है। आज भी ये छात्रावास अधूरा ही है। इस निर्माण 2017 में शुरू हुआ था। जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी जीशान मलिक ने बताया कि जौहर विश्वविद्यालय में छात्रावास मामले में बुधवार शाम को ही निदेशक पिछड़ा वर्ग को जांच रिपोर्ट भेजी है। हां, इतना जरूर है कि जिस स्थल पर आधा-अधूरा छात्रावास बना है, वह जमीन स्वीकृत नहीं थी।
छात्रावास बनाने को 18 माह का समय दिया गया था। छात्रावास निर्माण में देरी होने पर केंद्र सरकार से पूछताछ हुई तो विश्वविद्यालय परिसर के कई गाटों पर विवाद बताया गया था। लेकिन, जब केवल छात्रावास से संबंधित गाटा-1153 की तलाश की गई तो पता चला कि वहां जमीन खाली पड़ी है। छात्रावास को 1445 में बनाया जा रहा है। इसकी जानकारी राज्य सरकार के माध्यम से केंद्र को दी गई थी। जिस पर अगली दूसरी किस्त की धनराशि जौहर विश्वविद्यालय को नहीं दी गई।
सींगनखेड़ा से दिखाई जमीन की खरीद
नजरी नक्शा पर अंकित है कि खसरा 1153 की जमीन बेचने वाले अली हुसैन पुत्र बदलू निवासी सींगनखेड़ा सदर तहसील के हैं। इस जमीन को मौलाना मुहम्मद अली जौहर ट्रस्ट अध्यक्ष ने खरीदा है। नजरी नक्शा में संबंधित जमीन के पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण में क्या है, ये भी अंकन है। इस पर भी संस्था सचिव डॉ. तजीन फात्मा के हस्ताक्षर व मुहर है।

एक नजर में छात्रावास की लागत
1.94 करोड़ रुपये कुल लागत तय थी।
1.74 करोड़ रुपये केंद्रांश के थे।
19.4 लाख रुपये जौहर विश्वविद्यालय को लगाने थे।

जांच में स्पष्ट हो चुका है कि जौहर विश्वविद्यालय ने जिस गाटे की जमीन पर छात्रावास बनाने को केंद्रीय योजना से पैसा लिया, वहां बनाया नहीं है। एक तरह से ये बड़ी अनियमितता है। इस मामले में कार्रवाई के लिए शासन में रिपोर्ट भेजी है। – जोगिंदर सिंह, डीएम
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