
कोटा/ होली एवं न्हाण के अवसर पर विगत 150 सालों से यह लोकनाट्य -उत्सव बारां जिले के सरकन्या गांव में आयोजित होता आ रहा है। यहां पर ढाईकड़ी लोकनाट्य शैली में सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र,राजा मोरध्वज और भक्त प्रहलाद के नाटक मंचित होते आए हैं। कार्यक्रम संयोजक योगेश यथार्थ ने बताया कि स्थानीय नवयुवक लोककलाकारों द्वारा इस बार ये लोकनाटक पारंपरिक लोकनाट्य शैली ढाईकड़ी में आधुनिक मंचीय साज-सज्जा के साथ मंचित किए गए। हाड़ौती क्षेत्र की ढाईकड़ी लोकनाट्य शैली विश्व भर में प्रसिद्ध है। यह लोकनाट्य शैली दुनिया भर की उन तीन नाट्य विधाओं में से एक है जिनके संवादों को संगीतमय काव्यात्मक छंद में कलाकारों द्वारा गाकर प्रस्तुत किया जाता है। ढाईकड़ी शैली में रामलीला पाटोंदा, मांगरोल और पीपल्दा कलां में आयोजित होती लेकिन इस शैली में लोकनाटक केवल सरकन्या में हीं होते हैं। इस कार्यक्रम के समारोह की अध्यक्षता पूर्व प्रशासनिक अधिकारी एवं ख्यातनाम साहित्यकार श्री अंबिकादत्त चतुर्वेदी ने की तथा मुख्य-अतिथि श्री ओम सोनी मधुर रहे। समापन समारोह में श्री जगदीश भारती, सी.एल.सांखला, देवकी दर्पण, जगदीश निराला,चेतन मालव, महावीर मालव, रामस्वरूप जी रावत जैसे अनेक ख्यातनाम साहित्यकार मौजूद रहे। श्री अंबिकादत्त चतुर्वेदी ने इस उत्सव पर बोलते हुए कहा कि वर्षों तक गुलामी सहन करने के बाद भी हमारी अस्मिता बनी तो उसका कारण देश के जनमानस में सांस्कृतिक जड़ों का जमे रहना। सरकन्या के लोग साधुवाद के पात्र हैं जिन्होंने अपनी पारंपरिक सांस्कृतिक धरोहर को मजबूती से संभाल रखा है।