
सीधी। मजदूर एक, जब कार्ड दो, कम एक भुगतान डबल यह कारनामा है ग्राम पंचायत करैल में पदस्थ रोजगार सहायक शिव प्रसाद यादव का जिन्होंने फर्जी जॉब कार्ड के जरिए इसे अंजाम लिया है।
आदिवासी बाहुल्य विकासखंड क्षेत्र कुसमी की ग्राम पंचायत करैल जहां ग्राम विकास के नाम पर भ्रष्टाचार का कीर्तिमान कायम करने वाले वाले रोजगार सहायक ने फर्जी जॉब कार्ड के जरिए लगभग 2 करोड रुपए के घोटाले को अंजाम दिया है उसी कड़ी में एक नया खुलासा हुआ है।
भुवनेश्वर पिता मोहर सिंह निवासी ग्राम कासखेड़ा ग्राम पंचायत करैल के लिए 14 अप्रैल 2018 को जॉब कार्ड संख्या एमपी- 007- 037-006/21-बी बनाया गया जिसमें भुवनेश्वर सिंह का बैंक खाता मध्यांचल ग्रामीण बैंक में होना बताया गया।
इसके बाद 14 अप्रैल 2022 को भुवनेश्वर सिंह पिता मोहर सिंह निवासी ग्राम कासखेड़ा ग्राम पंचायत करैल के नाम पर ही एक दूसरा जॉब कार्ड संख्या एमपी- 15 -007- 037-006/ 35-ए बनाया गया जिसमें भुवनेश्वर की पत्नी के रूप में वंदना का नाम शामिल किया गया और यहां उसका बैंक खाता फिनो पेमेंट्स बैंक लिमिटेड में होना बताया गया। सबसे बड़ी बात यह है कि इसी जॉब कार्ड को 29 में 2023 को डिलीट भी कर दिया गया लेकिन इससे पहले जो कारनामा किया गया वह अत्यंत आश्चर्यजनक है।
भुवनेश्वर सिंह को उसके जब कार्ड संख्या एमपी-15-007-037-006/ 21-बी- मैं कार्य मांग संख्या 328517 में दिनांक 20 मई 2022 से 26 मई 2022 तक वर्क कोड क्रमांक 1715007037/WH/ 2201 2034929680 के अंतर्गत करैल में तालाब जीणोद्धार कार्य में मास्टर रोल क्रमांक 3931 मे 7 दिनों तक मजदूरी करना बताया गया और इसके लिए उसे तत्कालीन दर पर 1428 का भुगतान भी किया गया।
इसके बाद भुवनेश्वर के ही दूसरे जॉब कार्ड संख्या एमपी-15-007-037- 006/ 35- ए मैं भुवनेश्वर कुमार को ही मास्टर रोल क्रमांक 328520 के अंतर्गत दिनांक वर्क कोड क्रमांक 1715007037/WH 2201 2034929680 तालाब जीणोद्धार कार्य कारैल मास्टर रोल क्रमांक 3931 कार्य मांग संख्या 328520 में 20 मई 2022 से 26 मई 2022 तक ही 7 दिनों तक कार्य करना बताया गया और इसके लिए तत्कालीन दर पर फिनो पेमेंट्स बैंक के माध्यम से भुगतान किया गया।
कहने का तात्पर्य है कि पहले भुगतान मध्यांचल ग्रामीण बैंक से और दूसरा भुगतान फिनो पेमेंट्स बैंक के माध्यम से एक ही व्यक्ति को एक ही कार्य के लिए एक ही समय पर दो बार मजदूरी का भुगतान किया गया। ऐसा कारनामा भला और कहीं देखने को मिल सकता है। इसीलिए तो रोजगार सहायक शिव प्रसाद यादव ने फर्श से अर्श तक का सफर तय किया और मजदूरों को मजदूरी तक के लाले पड़ गए।
अब तो बस यही कहा जा सकता है कि- क्या पूछते हो हाल मेरे कारोबार का अंधों के शहर में आईने बेचता हूं। साहिबानो को दिख जाए तो ठीक, वरना दिखाने के और भी रास्ते हैं।।
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