
सीधी। आम इंसान के लिए कोरे कागज की कोई अहमियत नहीं है लेकिन वही कोरा कागज एक पंचायत सचिव के लिए लाखों रुपए का हो सकता है. यह बात तब समझ में आई जब पता चला कि ग्राम पंचायत गैबटा सचिव ने ऐसे ही कोरे कागजो पर फर्जी बिल बनाकर लाखों रुपए अंदर कर लिया ।
मध्य प्रदेश के सीधी जिले के उसमें जनपद पंचायत क्षेत्र में आने वाले ग्राम पंचायत गैवटा मैं पदस्थ रोजगार सहायक राघवेंद्र प्रसाद यादव पिछले एक दशक से भी अधिक समय से प्रभारी सचिव के रूप में कार्यरत है और पंचायत के विकास में अपनी माहिती भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं लेकिन यह निर्वहन किस तरह कर रहे हैं यह देखकर तो आंखें पटी की फटी रह जाती है। वर्ष 2022 ई भुगतान आदेश क्रमांक 2724269 दिनांक 23 अक्टूबर 2022 ग्राम पंचायत के गैबटा का , बिल 103000 का लेकिन भुगतान 85000 का जिसमें से ₹ 70000 का भुगतान अर्पिता ट्रेडर्स को स्टेशनरी एवं पंचायत भवन की साफ सफाई के नाम पर । अर्पिता ट्रेडर्स जो तथा कथित तौर पर सीमेंट लोहा और गिट्टी बालू का कारोबार करते हैं, लेकिन भुगतान स्टेशनरी का भी ले लेते हैं।
इतना ही नहीं मुख्यमंत्री महोदय का आगमन हुआ और वहां के साथ-साथ लंच पैकेट के नाम पर गए गैबटा सचिन राघवेंद्र यादव ने अर्पिता ट्रेडर्स के माध्यम से ई भुगतान आदेश क्रमांक 27 43 177 दिनांक 9 दिसंबर 2022 को ₹ 20000 का आहरण किया।
ऐसा लगता है जैसे और अर्पिता ट्रेडर्स मल्टी यूजर कंपनी बन गई है जो किसी भी तरह का भुगतान पंचायत से ले लेते हैं और अपना कमीशन काट कर वापस सचिव को लौटा देते हैं।
सूत्रों की बातों पर यदि यकीन किया जाए तो आदिवासी बाहुल्य विकासखंड क्षेत्र कुसमी की 42 ग्राम पंचायत में से अधिकांश में पंचायत सचिव, रोजगार सहायकों के साथ अर्पिता ट्रेडर्स की अच्छी बॉन्डिंग है। एक तरह से कहा जाए तो पैसे दो और पैसे लो का फार्मूला चल रहा है जिसमें लोकधन का गबन और दुरुपयोग चल रहा है।