उत्तर प्रदेशसिद्धार्थनगर 

खुनियांव विकासखंड में टेंडर प्रक्रिया में उड़ाई जा रही हैं मानकों की धज्जियां

 

जनपद:- सिद्धार्थनगर

खुनियांव विकासखंड में टेंडर प्रक्रिया में उड़ाई जा रही हैं मानकों की धज्जियां। विकासखंड बना राजनीति व भ्रष्टाचार का अड्डा।

सचिवों के आपसी खींचा तानी,लेनदेन व तालमेल न बैठ पाने के कारण अभी तक प्रकाशन के लिए नहीं दिया गया टेंडर।

सिद्धार्थनगर/खुनियांव ग्राम पंचायतों में होने वाले विकास कार्यों के लिए निर्माण सामग्री की आपूर्ति के लिए टेंडर प्रकाशन का आदेश पिछले कई वर्षों से लागू है। लेकिन ग्राम पंचायत सचिवों द्वारा इसका अनुपालन नहीं किया जा रहा है। यह काम ब्लॉक में धड़ल्ले से चल रहा है। 

ग्राम पंचायतों में विकास के लिए धन आते ही निर्माण सामग्रियों की आपूर्ति के लिए निविदाओं का प्रकाशन आरंभ हो गया है। लेकिन यहाँ ग्राम पंचायत सचिवों द्वारा नियम कानून को धत्ता बताते हुए ,नियम कानून को ताख पर रखकर , नियमों को दरकिनार कर टेंडर निकलवाने का ‘खेल’ चल रहा है। 

 वर्षों पूर्व प्रदेश के ग्राम्य विकास आयुक्त ने सूबे के सभी जिलों में शासनादेश जारी कर ग्राम पंचायतों व क्षेत्र पंचायतों में एक लाख रुपये से अधिक के काम में टेंडर निकालने का निर्देश जारी किया था। 

 ग्राम पंचायतों की विभिन्न योजनाओं, राज्य वित्त, चौदहवां वित्त, पन्द्रहवां वित्त, पिछड़ा क्षेत्र और मनरेगा के अंतर्गत आवंटित की जाने वाली धनराशि से कराए जाने वाले कार्यों में प्रथम श्रेणी ईंट, इंटर लॉकिंग ईंट, सरिया, सीमेंट, पेंट, बोल्डर, बालू, मोरंग व अन्य सामग्री की आपूर्ति के लिए निविदा का आमंत्रण जरूरी है। ऐसे में निविदा तो निकलवाई जा रही है, पर नियमों को दरकिनार करके।

सूत्रों के मुताबिक विकास खंड कार्यालय के कुछ कतिपय भ्रष्ट ग्राम पंचायत सचिव बिना प्रसार वाले अखबारों (न तो जिन समाचार पत्रों के पत्रकार/प्रतिनिधि का अता पता और न ही समाचार पत्रो का जनपद में प्रसार होने वाले) की सेटिंग करवाकर ग्राम पंचायत सचिवों के माध्यम से उसमें टेंडरों का प्रकाशन करवाने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है, जिसका परिणाम यह होगा कि औपचारिकता ही पूरी हो जाएगी और अधिक लोगों को टेंडर के बारे में जानकारी ही नहीं होगी। लोगों ने वरिष्ठ अधिकारियों से अल्प कालिक निविदा प्रकाश में हो रहे खेल की निष्पक्ष जांच करवाने की मांग की है। 

वहीं जानकारी के मुताबिक कल ब्लाक के 117 ग्राम पंचायतों के टेंडर दिए जा रहे थे जिसमें विधिवत खेला किया जा रहा था इसलिए सचिवों में आपस मे कमीशन के चक्कर में ताल मेल नहीं बैठ पाया और कभी कहा जाता था कि सूची बन रही है तो कभी कहा जाता था कि फला सचिव साहब आ रहे हैं तो कभी कहा जाता था कि बीडीओ साहब आ जायें तो कभी एडीओं पं0 के आफिस में बुलाया जाता तो कभी सचिव सुजीत जायसवाल के आफिस में बुलाया जाता तो कभी ब्लॉक के मीटिंग हाल में बुलाया गया । 

कुछ पत्रकारों ने बीडीओ अरूण कुमार श्रीवास्तव का 05 बजे तक प्रतिक्षा करते मगर बीडीओ मौके की नजाकत को देखते हुए ब्लॉक पर आना मुनासिब नहीं समझा। 

इस सम्बन्ध में ज्यादा जानकारी के लिए बीडीओ अरूण कुमार श्रीवास्तव को फोन करने पर उन्होंने बताया कि अगर ये लोग हमको कुछ समझते तो किसी दूसरे दिन सभी पत्रकारों को बुलाते जिस दिन हम ब्लॉक पर रहते आज हम इटवा त0 दिवस में हैं और इसमें हमारा कोई रोल भी नहीं है सब सचिवों को ही करना है अब हजम नहीं कर पाये तो बीडीओ साहब याद आ रहे हैं।

सूत्रों की मानें तो कुछ ग्राम पंचायतों को छोड़कर अधिकतर टेंडर शासन के मानक को दरकिनार कर नाम मात्र की प्रसार संख्या वाले अखबारों में दिया गया है। बावजूद जिम्मेदार चुप्पी साधे हुए हैं।


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