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मां का ह्रदय संतान के लिए होता हैं कोमल मां सिर्फ़ जननी नहीं बल्कि सृजनकर्ता

जांजगीर चांपा जिला संवाददाता सुखदेव आजाद

इस दुनिया में मां की भूमिका वास्तव में बहुत ही महत्वपूर्ण हैं वह अपने बच्चों के लिए हर तरह की कुर्बानी देने को तैयार रहती हैं और उनकी ख़ुशी के लिए हर संभव प्रयास करते रहती हैं । मां का यह प्रेम निःस्वार्थ और शुद्ध होता हैं,जो कि बच्चों को जीवन-भर प्रेरित करते रहता हैं । साहित्यकार शशिभूषण सोनी की मुलाक़ात एक बार ममतामई मां श्रीमति कुसुम-कृष्ण कुमार पाण्डेय से ग्राम मुड़पार में हुई थी। इस मुलाकात ने शशिभूषण सोनी को मां के प्रेम और समर्पण के बारे में ऐसी छाप छोड़ी कि वह अपनी स्मृति शेष मां श्रीमति सीता सोनी की छवि श्रीमति कुसुम पाण्डेय अम्माजी में देखने लगी । बार-बार भेट-मुलाकात में उन्हें मां के प्रेम और समर्पण के बारे में गहराई से समझने का अवसर दिया और उन्होंने मां के ह्रदय की कोमलता और उसके प्रेम की गहराई को महसूस किया
मां ना केवल जन्मदात्री होती हैं बल्कि संस्कारदात्री भी होती हैं मां के साथ बिताए गए समय और उनकी बातचीत में एक अनोखी मिठास होती हैं, जो जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं । इसीलिए कहा जाता हैं कि मां केवल जन्मदात्री ही नहीं बल्कि संस्कारदात्री भी होती हैं । कहने का सीधा सा मतलब हैं कि मां ना केवल जन्म देती हैं बल्कि अपनी संतान को सही दिशा यानी कि संस्कार और शिक्षा भी जीवन-भर देती हैं ।
मां के साथ समय बिताना , मिठास और प्रेम का स्वरूप ।
शशिभूषण सोनी की मुलाक़ात श्रीमति पाण्डेय से ग्राम मुड़पार में हुई, जिसने उन्हें मां के प्रेम और समर्पण के बारे में समझने का अवसर दिया । मां के प्रेम और समर्पण अपनी संतान के साथ-साथ जिससे मन मिले उससे भी हो जाती हैं उन्होंने बताया कि कुसुम पाण्डेय अम्माजी के साथ बिताए गए समय में एक अनोखी मिठास और प्रेम हुई जो जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता हैं ।
मां की महत्ता उनके साथ बिताए गए समय की मिठास को बखूबी हैं दर्शाती ।
साहित्यकार शशिभूषण सोनी ने बताया कि जांजगीर-चांपा जिला क्षेत्रांतर्गत बम्हनीडीह प्रवास के दौरान ग्राम मुड़पार में निवास करने वाली ममतामई मां श्रीमति कुसुम पाण्डेय से भेंट-मुलाकात का सौभाग्य प्राप्त हुआ । इस संसार में मेरी मम्मी श्रीमति सीता देवी सोनी नही हैं लेकिन संस्कार और परम्पराओं शिक्षा देने वाली कुसुम पाण्डेय से स्नेह और आशीर्वाद मिलते रहता हैं । मां जैसी ही मेरे आने की आहटें और बातचीत सुनती हैं ,द्वार पर आकर स्नेह बरसाती हैं । मां से बातचीत करते-करते घंटों कैसे बीत जाता हैं, पता ही नहीं लगता । मां की बातें और हिदायतें चलती ही रहती हैं । कुसुम पाण्डेय अम्माजी के साथ बातचीत करने से बच्चों को संस्कार और मूल्यों पर आधारित शिक्षा भी मिलती हैं, जो कि जीवन में आगे बढ़ने में मदद मिलती हैं । वास्तव में मां की महत्ता और उनके साथ बिताए गए समय की मिठास को बखूबी दर्शाती हैं


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