
पिछड़े जिले को मिला पहला आईवीएफ सेंटर, भाजपा सांसद ने किया उद्घाटन
चन्दौली के पिछड़े जिले में एक बड़ी चिकित्सा उपलब्धि के रूप में निःसंतान दंपतियों के लिए पहला इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) सेंटर की सौगात सैम हॉस्पिटल में मिली है। भदोही के भाजपा सांसद डॉ विनोद बिंद ने रविवार को इसका उद्घाटन किया। यह आईवीएफ सेंटर सैम हॉस्पिटल के माध्यम से चंदौली में इंदिरा आईवीएफ द्वारा स्थापित किया गया है। इस नई पहल से उन हजारों दंपतियों को लाभ मिलेगा जो संतान की प्राप्ति के लिए वर्षों से प्रयासरत हैं। इस सुविधा का लाभ चंदौली वासियों के साथ बिहार के पश्चिमी जिलों को भी मिलेगा।निःसंतान दंपतियों के जीवन में लौटेगी खुशी
भाजपा सांसद विनोद बिंद ने सेंटर का उद्घाटन करते हुए कहा, “यह एक ऐतिहासिक क्षण है, न सिर्फ चंदौली बल्कि पूरे पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के लिए, क्योंकि यह केंद्र निःसंतान दंपतियों के जीवन में खुशियाँ लौटाने का कार्य करेगा।” उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता और गुणवत्तापूर्ण इलाज हर नागरिक का अधिकार है, और इस दिशा में यह एक मजबूत कदम है। सांसद ने अस्पताल प्रबंधन को बधाई देते हुए आशा जताई कि यहाँ आने वाले मरीजों को उचित देखभाल और सहानुभूतिपूर्ण इलाज मिलेगा।कम लागत में विश्वस्तरीय इलाज की सुविधा
सैम हॉस्पिटल के संचालक एस जी इमाम ने बताया कि इस आईवीएफ सेंटर में विश्वस्तरीय तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा और इलाज की लागत अन्य शहरों की तुलना में काफी कम होगी। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि आम आदमी को भी उच्च गुणवत्ता की स्वास्थ्य सेवा मिले। इसलिए हमने इस पिछड़े जिले में इलाज की दरें इतनी तय की हैं कि किसी को आर्थिक तंगी के चलते इलाज से वंचित न रहना पड़े।” उन्होंने यह भी घोषणा की कि शुरुआती कुछ महीनों में आने वाले मरीजों के लिए विशेष छूट योजना चलाई जाएगी, जिससे वे न्यूनतम खर्च में उच्चस्तरीय इलाज प्राप्त कर सकेंगे।आईवीएफ सेंटर की प्रमुख विशेषज्ञ डॉ. अज्मे जेहरा ने जानकारी दी कि इस क्षेत्र में यह पहला केंद्र है, जो पूर्ण रूप से आईवीएफ तकनीक से लैस है। उन्होंने कहा, “यहां आने वाले मरीजों को पूरी गोपनीयता, उचित मार्गदर्शन और उन्नत तकनीकी सुविधाएं दी जाएंगी। हम न सिर्फ आईवीएफ बल्कि आईयूआई, आईसीएसआई, एग फ्रीजिंग जैसी सभी आधुनिक सेवाएं उपलब्ध कराएंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि जिले के साथ-साथ आसपास के ग्रामीण इलाकों और बिहार के सीमावर्ती जिलों के दंपतियों को इसका बहुत लाभ मिलेगा। क्योंकि अब उन्हें दिल्ली, वाराणसी या लखनऊ जैसे शहरों की ओर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। चंदौली जिले के लोगों ने इस पहल का स्वागत किया है। स्थानीय निवासी संगीता देवी, जो कई वर्षों से संतान प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील हैं, कहती हैं, “अब हमें अपने इलाज के लिए बड़े शहरों में भटकना नहीं पड़ेगा। यही हमारे लिए बहुत बड़ी बात है।”महिला समूहों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने भी इंदिरा आईवीएफ केंद्र की शुरुआत को सराहा और कहा कि इससे खासकर ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को बहुत लाभ होगा, जो आमतौर पर आर्थिक और सामाजिक कारणों से इलाज नहीं करवा पातीं है। यह आईवीएफ सेंटर जिले में स्वास्थ्य सेवाओं के स्तर को नई ऊँचाई पर ले जाने वाला है। यह केंद्र न केवल उपचार प्रदान करेगा, बल्कि लोगों में जागरूकता भी फैलाएगा कि बांझपन कोई लाइलाज समस्या नहीं है। इसके इलाज अब उनके अपने ही जिले में उपलब्ध हैं।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि यदि यह पहल सफल होती है, तो आने वाले समय में इस मॉडल को अन्य जिलों में भी अपनाया जा सकता है। इसके अलावा यह भी आशा की जा रही है कि चंदौली जल्द ही एक मेडिकल हब के रूप में उभरेगा, जहाँ उन्नत चिकित्सा सुविधाएं ग्रामीण क्षेत्रों के नजदीक उपलब्ध होंगी। चंदौली में इंदिरा आईवीएफ सेंटर की शुरुआत एक सकारात्मक पहल है, जो क्षेत्र के चिकित्सा परिदृश्य को बदल सकती है। यह केंद्र तकनीकी दक्षता, अनुभवी चिकित्सकों और मानवीय दृष्टिकोण के साथ हजारों परिवारों को संतान सुख की ओर एक नई आशा देगा।