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दिल्ली NCR का आसमान 5 स्तरीय सुरक्षा से अभेद्य है ,पाकिस्तान क्या परिंदा भी पर नहीं मार सकेगा, समझ लीजिए क्या-क्या होता है इसमें..

दिल्ली की एयर डिफेंस सिस्टम:-पाकिस्तान ने भारत के कई शहरों में मिसाइलें, ड्रोन और फाइटर जेट से हमले की कोशिशें की लेकिन भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने किस तरह करारा जवाब दिया है, यह पूरे देशवासियों ने समझ ही लिया है. अगर अन्य शहर का आकाश इतना सुरक्षित है तो राजधानी दिल्ली का आसमान कितना सुरक्षित होगा, क्या आपको पता होगा. दिल्ली एनसीआर को 5 स्तरीय सुरक्षा कवच से अभेद्य बनाया गया है. आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.

नई दिल्ली:-पाकिस्तान ने पठानकोट, जालंधर, अमृतसर, पुंछ, राजौरी जैसे कई जगहों पर पिछले दो दिनों से मिसाइलें और रॉकेट लॉचर दाग रहा है लेकिन एक भी मिसाइल भारत की जमीन पर नहीं गिर रही है. ऐसा क्यों होता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारे पास आसमान में किसी भी तरफ से आ रही दुश्मन की मिसाइलों को आसमान में ही मार गिराने की क्षमता है. इसे एयर डिफेंस सिस्टम कहा जाता है. जहां-जहां पाकिस्तान के हमले हो रहे हैं वहां-वहां यही एयर डिफेंस सिस्टम हवा में उन्हें खत्म कर देता है. जमीन पर एक भी बम नहीं गिरता. आप सोच रहे होंगे कि अगर दिल्ली पर हमला हुआ तो यह कितना सुरक्षित हो सकता है. आप खुद ही अंदाजा लगा लीजिए कि अगर पंजाब और कश्मीर को सुरक्षित करने के लिए ऐसी सुरक्षा प्रणाली है तो राजधानी दिल्ली को सुरक्षित करने के लिए कितनी बड़ी सुरक्षा होगी. आपको बता दें कि दिल्ली को सुरक्षित रखने के लिए भारत ने 5 लेयर की एयर डिफेंस सिस्टम लगा रखी है जिसमें पाकिस्तान क्या परिंदा भी पर नहीं मार सकता.

दिल्ली में 5 स्तर की अभेद्द सुरक्षा में क्या-क्या

  1. पहला लेयर-पृथ्वी, प्रद्युम्न-भारत राजधानी दिल्ली को सुरक्षित करने के लिए 5 स्तरीय अभेद्य किला बनाया हुआ है जहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता. इसमें पहला लेयर है 2-टायर बैलेस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम. इसमें पृथ्वी एयर डिफेंस और एडवांस एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम है. इन दोनों डिफेंस सिस्टम को बहुत दूर और बहुत ऊंचाई से आ रही मिसाइल को इंटरसेप्ट कर उसे ध्वस्त करना होता है. इस सिस्टम में अगर आसमान में 50 से 80 किलोमीटर उपर से कुछ भी चीजें आ रही हैं तो उसे हवा में ही ध्वस्त कर दिया जाता है. इसी रेंज में प्रद्युम्न मिसाइल सिस्टम है जिसका वर्तमान में इस्तेमाल किया जा रहा है. यह दो स्तरीय सॉलिड और लिक्विड फ्यूल्ड से चलता है और सेकेंड भर के अंदर दुश्मन की मिसाइल पर हमला बोल देता है.
  2. दूसरा लेयर S-400-अगर दूर से आ रही मिसाइलों को भांपने में हमारा पहला लेयर फेल हो जाता है तो इसके लिए हमारे पास मध्यम दूरी वाला एयर डिफेंस सिस्टम काम करेगा. हाल ही में हमने रूस से एस 400 मिसाइल सिस्टम को खरीदा है जो वर्तमान में कई शहरों में काम पर लगा हुआ है और यही दुश्मन की मिसाइलें और ड्रोन को रोक रहा है. यह आकाश मिसाइल के साथ मिलकर काम करता है. S-400 एक बार में बाहर से आ रहे किसी भी 300 टारगेट को एक साथ खत्म कर सकता है. इसमें एक बार में 36 ऐसे हमलों से बचा जा सकता है. इसमें कई तरह के रडार लगे होते हैं जो दुश्मन के फाइटर जेट, स्टील्थ जेट, क्रुज मिसाइले, बैलेस्टिक मिसाइलें, ड्रोन आदि को खत्म कर सकता है.यह खुद को बचाने के लिए भी सिस्टम विकसित किया हुआ है.
  3. तीसरा लेयर–बराक 8 डिफेंस सिस्टम-अगर दूसरा लेयर भी फेल हो जाता है तो तीसरे लेयर में बराक 8 LR-SAM एयर डिफेंस सिस्टम एक्टिव हो जाएगा. इस सिस्टम को इजरायल और भारत ने मिलकर बनाया है. इस सिस्टम में अगर दुश्मन का टारगेटा 70 किलोमीटर के अंदर आ गया तो अब बराक 8 मिसाइल का काम होगा यह आसमान में जहां भी रहेगा वहां खत्म कर देगा. इसे 100 किलोमीटर तक के रेंज का बना दिया गया है.

  4. चौथा लेयर-आकाश-यह हमारा शुद्ध देसी एयर डिफेंस मिसाइल सिस्ट म है. यह शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम है. यह दुरुह क्षेत्र में काम करता है. यह भारतीय सेना में 2014 से ही शामिल है. वर्तमान युद्ध में आकाश शानदार काम कर रहा है. अगर तीसरा लेयर भी फेल हो जाता है तो फिर आकाश सक्रिय हो जाएगा. यह धरती से 4.5 किलोमीटर की ऊंचाई से लेकर 25 किलोमीटर की ऊंचाई के अंदर दुश्मन के किसी भी तरह के टारगेट को हिट कर देगा. यह हेलीकॉप्टर, फाइटर एयरक्राफ्ट, ड्रोन आदि टारगेट को हवा में ही ध्वस्त कर देगा.

  5. पांचवां लेयर NASAMS-2-इसे नेशनल एडवांस सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम कहा जाता है. यह पांचवा लेयर है. यह डिफेंस सिस्टम किसी भी तरह के टारगेट को 360 डिग्री में खत्म कर दिया जाएगा. यह एक साथ 72 टारगेट को हिट कर देगा. इस सिस्टम को भारत ने अमेरिका से खरीदा है. यह सिस्टम कुछ ही देशों के पास है. भारत स्वदेसी तकनीक से इस सिस्टम को बना रहा है जो कम दूरी से भी आ रहे टारगेट को खत्म कर देगा. शहरों को पूरी तरह बचाने के लिए इसी तरह का एयर डिफेंस सिस्टम अंतिम दीवार के रूप में काम करता है.


भारत ने अपनी हवाई सुरक्षा को मजबूत करने के लिए रूस से S-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम खरीदी थी, जिसे अब ‘सुदर्शन चक्र’ के नाम से जाना जाता है. यह सिस्टम न केवल दुश्मन के विमानों को 380 किलोमीटर तक ट्रैक करने और नष्ट करने की क्षमता रखता है, बल्कि इसकी रडार प्रणाली इतनी उन्नत है कि यह स्टेल्थ फाइटर्स को भी पहचान सकता है. इसमें विभिन्न प्रकार की रडार फ्रीक्वेंसी और तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जिससे यह F-35 जैसे अत्याधुनिक अमेरिकी विमानों को भी ट्रैक करने में सक्षम होता है. इस सिस्टम को भारतीय वायु सेना द्वारा संचालित ‘इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम’ (IACCS) का हिस्सा बना दिया गया है, जो भारत की हवाई सुरक्षा को एक नई ताकत प्रदान करता है.

भारत के पास सिर्फ S-400 नहीं है, बल्कि घरेलू उत्पादन में भी भारत ने अपनी स्थिति को मजबूत किया है. ‘आकाश’ मिसाइल प्रणाली, जो DRDO द्वारा विकसित की गई है, उसकी रेंज 25 किलोमीटर तक है. यह मिसाइल प्रणाली भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना द्वारा इस्तेमाल की जाती है. यह मिसाइल एक साथ कई तरह के खतरों से निपट सकती है, चाहे वह ड्रोन हो, फाइटर जेट्स हों, क्रूज मिसाइल्स हों या हेलीकॉप्टर से दागी गई मिसाइल्स हों. यह मिसाइल प्रणाली भारत की सैन्य ताकत को और भी प्रभावी बनाती है, क्योंकि यह जमीन से लेकर आकाश तक के सभी खतरों से निपटने में सक्षम है.

बाराक-8इसके अलावा, ‘बाराक-8’ सिस्टम भी एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच है, जिसे भारत और इज़राइल के संयुक्त प्रयास से विकसित किया गया है. यह MRSAM (मीडियम रेंज सर्फेस-टू-एयर मिसाइल) सिस्टम 70 किलोमीटर तक के लक्ष्यों को नष्ट करने में सक्षम है. हाल ही में भारतीय सेना ने इस मिसाइल का सफल परीक्षण किया, जिससे यह साबित हो गया कि भारत के पास उच्चतम स्तर की एयर डिफेंस तकनीक उपलब्ध है.

स्पाईडरसाथ ही, इजराइल द्वारा निर्मित ‘स्पाईडर’ मिसाइल सिस्टम भी भारत की ताकत को बढ़ाता है. इसकी रेंज 15 किलोमीटर तक है, और यह त्वरित प्रतिक्रिया देने वाली मिसाइलों का एक सेट है. ‘स्पाईडर’ प्रणाली में दो प्रकार की मिसाइलें — ‘पाइथन’ और ‘डर्बी’ — शामिल हैं, जो एक्टिव ऑनबोर्ड रडार से लैस होती हैं. इन मिसाइलों की स्मोकलेस प्रोपल्शन प्रणाली इसे दुश्मन के लिए कठिन बना देती है, क्योंकि इससे मिसाइल की पहचान करना या उसकी लॉन्चिंग लोकेशन का पता लगाना और भी मुश्किल हो जाता है.

इन सभी प्रणालियों के होने से भारत किसी भी आपात स्थिति में अपनी सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकता है. पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच, ये मिसाइल प्रणालियाँ भारतीय वायु सेना और भारतीय सेना को वह क्षमता प्रदान करती हैं, जिसकी आवश्यकता युद्ध जैसी स्थिति में होती है. भारत की ये उन्नत रक्षा प्रणालियां यह साबित करती हैं कि देश अपनी सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से सजग और तैयार है, और किसी भी बाहरी खतरे का मुकाबला करने में सक्षम है.

आजकल की जटिल युद्ध परिस्थितियों में, इन अत्याधुनिक रक्षा प्रणालियों का महत्व और बढ़ जाता है. जब भी भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता है, तो भारतीय सेना की यह ताकत हर भारतीय के दिल में विश्वास और सुरक्षा की भावना पैदा करती है.

Vishal Leel

Sr Media person & Digital Creator
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