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सीवर में दम घुटने से दो मजदूरों की मौत: सुरक्षा के बिना उतारे जाने का आरोप, परिजनों की इंसाफ की जिद प्रशासन के लिए बनी चुनौती

मेडिकल कॉलेज परिसर में जहरीली गैस से दर्दनाक हादसा, वर्षों से कार्यरत संविदा कर्मचारी देवानंद की मौके पर मौत

सीवर में दम घुटने से दो मजदूरों की मौत

बिना सुरक्षा उतारने का आरोप, परिजनों की इंसाफ की जिद बनी प्रशासन के लिए चुनौती

अम्बेडकरनगर।
जनपद के राजकीय महामाया मेडिकल कॉलेज, सददरपुर में शुक्रवार को सफाई कार्य के दौरान दो मजदूरों की दम घुटने से दर्दनाक मौत हो गई। जहरीली गैस के कारण हुई इस घटना ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मृतकों में एक की पहचान देवानंद पुत्र स्व. रामआसरे (निवासी: चहोडा शाहपुर) के रूप में हुई है, जो वर्षों से टांडा नगर पालिका में संविदा कर्मचारी के रूप में कार्यरत थे।


प्रत्यक्षदर्शियों का आरोप: नहीं दिया गया सुरक्षा उपकरण

प्रत्यक्षदर्शियों और पीड़ित परिजनों ने आरोप लगाया है कि मेडिकल कॉलेज के करन बाबू नामक कर्मचारी ने देवानंद समेत तीन मजदूरों को बिना सुरक्षा किट, मास्क या ऑक्सीजन सिलेंडर के सीवर में उतारा। नतीजतन दो की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एक अन्य की हालत नाजुक बनी हुई है।


देवानंद के परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

मृतक देवानंद अपने पीछे पत्नी गीता देवी और पाँच नाबालिग बेटियाँ छोड़ गए हैं—एकता (17), आंशिका (14), नैना (11), अनन्या (9), और लबली (5)।
शोकग्रस्त गीता देवी ने सवाल उठाया—

“जब सबको पता है कि सीवर में जान जाती है, फिर भी मेरे पति को क्यों भेजा गया?”


परिजनों की माँग: दर्ज हो हत्या का मुकदमा

परिवार ने मेडिकल कॉलेज कर्मी करन बाबू, टांडा नगरपालिका और संबंधित ठेकेदार पर धारा 302 (हत्या) या 304 (गैरइरादतन हत्या) के तहत मुकदमा दर्ज करने की माँग की है।
उनका कहना है कि यह लापरवाही नहीं, बल्कि सुनियोजित प्रशासनिक अपराध है।


प्रशासनिक दबाव में पुलिस, परिजन डटे

घटनास्थल पर पहुंचे तहसीलदार पद्मेश श्रीवास्तव और थाना प्रभारी राकेश कुमार ने निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया, लेकिन परिजनों ने स्पष्ट कर दिया कि जब तक FIR दर्ज नहीं होती, वे धरना जारी रखेंगे।


नेताओं और संगठनों का समर्थन मिला

मृतक के गांव पहुंचे कई राजनीतिक और सामाजिक संगठन पीड़ित परिवार के समर्थन में उतर आए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द कार्यवाही नहीं हुई तो जिला स्तर पर जन आंदोलन छेड़ा जाएगा।

प्रमुख नाम जो घटनास्थल पहुंचे:

प्रद्युम्न यादव ‘बबलू’ – राष्ट्रीय सचिव, मुलायम सिंह यूथ ब्रिगेड

सुनील कुमार सावंत – जिलाध्यक्ष, बहुजन समाज पार्टी

जयप्रकाश मौर्य – बसपा नेता

बलराम निषाद – विधानसभा अध्यक्ष, आलापुर

राजेन्द्र गौतम – जिला पंचायत सदस्य, भीम आर्मी / आज़ाद समाज पार्टी

रामकोमल भास्कर व राजमणि गौतम समेत कई सामाजिक कार्यकर्ता


छह प्रमुख माँगें जो सामने आईं

  1. गीता देवी को सरकारी नौकरी दी जाए

  2. ₹25 लाख का आर्थिक मुआवजा

  3. पाँचों बच्चियों की शिक्षा व स्वास्थ्य की जिम्मेदारी सरकार ले

  4. दोषियों के खिलाफ हत्या/गैरइरादतन हत्या की FIR दर्ज की जाए

  5. नगरपालिका व मेडिकल कॉलेज की उच्चस्तरीय जांच हो

  6. सीवर सफाई के लिए सुरक्षा नियमों को अनिवार्य रूप से लागू किया जाए


क्या मानवाधिकार सिर्फ कागजों तक सीमित हैं?

सुप्रीम कोर्ट ने कई बार निर्देश दिए हैं कि बिना सुरक्षा उपकरण के किसी को सीवर में नहीं उतारा जाए। इसके बावजूद ऐसी घटनाएं बार-बार यह दिखाती हैं कि नीतियाँ ज़मीन पर लागू नहीं होतीं।


क्या देवानंद को मिलेगा न्याय?

देवानंद की मौत महज एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि एक पूरे श्रमिक वर्ग के प्रति व्यवस्था की संवेदनहीनता का प्रतीक बन गई है।
अब देखना यह है कि
क्या प्रशासन न्याय करेगा या ये मामला भी आश्वासनों में ही दम तोड़ देगा?

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