
वंदेभारतलाइवटीव न्युज नागपुर-: गणेशोत्सव महाराष्ट्र राज्य का एक प्रमुख उत्सव है। राज्य मे गणेशोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। गणेशोत्सव पर घरों मे और सार्वजनिक पंडालों मे गणेश मूर्तियों की स्थापना कर दस दिनो तक पूजा आराधना की जाती है। आजकल प्लास्टर ऑफ पेरिस पीओपी की मूर्तियों का प्रचलन ज्यादा होने लगा है। यह मूर्तियां विसर्जन के बाद पानी मे आसानी से घुलती नही है। जिससे पर्यावरण को नुकसान होता है। महाराष्ट्र राज्य सरकार ने गणेशोत्सव जैसे महत्वपूर्ण पर्व पर पर्यावरण संरक्षण को लेकर एक बड़ा निर्णय लिया है। अब प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी हुई गणेश जी की मूर्तियों पर लाल रंग का निशान लगाना जरूरी बना दिया है। महाराष्ट्र राज्य सरकार द्वारा यह निर्णय सुधारित मार्गदर्शक तत्वों के अंतर्गत लिया गया है। राज्य सरकार के नियमानुसार अब हर पीओपी से बनी हुई मूर्तियों पर साफ साफ लाल रंग का निशान लगाया होना चाहिए। यह लाल रंग का निशान पीओपी से बनी हुई मूर्तियों की पहचान के लिए होगा जिससे गणेशोत्सव के बाद विसर्जन के समय प्रशासन और नागरिक इसे अलग से पहचान सकेंगे। सरकार के अनुसार यह नियम महाराष्ट्र राज्य भर में सभी मूर्ति निर्माताओं विक्रेताओं तथा उतसव के आयोजकों पर लागू होगा। पीओपी की मूर्तियों में उपयोग होने वाले रसायन और रंग पानी को विषैला बनाते है जिससे नदी तालाबों मे रहने वाले जलीय जीव जंतुओं को इससे नुकसान पहुंचता है। पीओपी की मूर्तियां पानी में आसानी से घुलती नहीं है। जिससे नदियों तालाबों झीलों और समुद्र मे प्रदूषण फैलता है। इसके कारण ही राज्य की सरकार ने पीओपी की मूर्तियों को लेकर यह कठोर कदम उठाया है। सरकार के द्वारा बनाए गए इस नियम के पीछे एक प्रमुख उद्देश्य यह भी है कि मिट्टी से बनी हुई मूर्तियों को प्राथमिकता मिल सके। महानगर पालिका और ग्राम पंचायतें कृत्रिम विसर्जन टैंकों की व्यवस्था करेंगी। सार्वजनिक जगहों पर केवल इको फ्रेंडली मूर्तियों के विसर्जन की अनुमती प्रदान की जायेंगी। बाजारों दुकानों में बिक रही मूर्तियों की जांच का अधिकार प्रशासन को रहेगा और नियमों का पालन नहीं करने वालों पर दण्डात्मक कार्यवाही भी की जा सकेगी। सभी स्कूलों सामाजिक संगठनों संस्थाओं को पर्यावरण के अनुकूल गणेशोत्सव मनाये जाने के लिए प्रेरित प्रोत्साहित किया जायेगा। महाराष्ट्र सरकार ने सभी सार्वजनिक गणेश मंडलों, नागरिकों और मूर्ति निर्माताओं से यह अपील की है कि इस वर्ष “हरित गणेशोत्सव” को अपनाते हुए पर्यावरण की सुरक्षा का ध्यान देते हुए गणेशोत्सव धूमधाम से मनाएं । पर्यावरण की सुरक्षा मानव जीवन के साथ साथ सभी प्राणियों के लिए भी जरूरी है।