आज मंगलवार सुबह से ही जिले में तीज पर्व का उल्लास दिखाई दिया। महिलाओं ने भोर में स्नान कर फेनी निगलकर व्रत का संकल्प लिया। इसके बाद दिनभर बिना जल ग्रहण किए व्रत की शुरूआत की। संध्या काल में व्रती महिलाओं ने सोलह श्रृंगार कर भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की विधिवत पूजा-अर्चना करेंगी। फूल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करने के बाद तीज व्रत कथा का श्रवण किया गयातीज व्रती महिलाएं सुबह से ही अपने परिजनों के साथ सिन्धिया घाट के निकट स्थित माता मंगला गौरी के चौखट पर हाजिरी लगा रही है। मंदिर परिसर से लेकर गलियों तक सुहागिनों और उनके परिजनों की भारी भीड़ उमड़ी रही है। दर्शन के बाद महिलाओं ने माता मंगला गौरी से अखंड सौभाग्य, पारिवारिक सुख-शांति और समृद्धि की कामना की।चंदौली जिले के पड़ाव क्षेत्र से आई हुई श्रीमती साधना केसरी, अनामिका मौर्या, सरिता यादव, सुषमा पटेल और चौकाघाट निवासी गीता पांडेय, सुषमा चौबे और हुकुलगंज की मनोरमा सेठ ने बताया कि इस पर्व की परंपरा उनके घरों में वर्षों से चली आ रही है।
उन्होंने बताया कि हरतालिका तीज का व्रत माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए किया था। उसी परंपरा का निर्वहन करते हुए आज भी सुहागिनें यह कठिन व्रत रखती हैं। अविवाहित कन्याएं भी मनचाहा वर पाने के लिए इस दिन उपवास करती हैंगौरतलब हो कि इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए किया था। इसी दिन मां पार्वती ने व्रत रखकर भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था। इसलिए इस दिन शिव परिवार की पूजा का विधि विधान है। भगवान शिव, मां पार्वती के साथ ही सुख समृद्धि के दाता श्री गणेशजी की भी पूजा अर्चना होती है। अविवाहित कन्याएं मनोनुकूल पति प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं। वहीं, सुहागिन महिलाएं 24 घंटे निराजल रह पति के दीर्घ जीवन के लिए व्रत रखती हैं।।।