
मेला रामनगरिया फर्रुखाबाद जिसकी शुरुआत कल्पवासियों के एक माह तक गंगा मैय्या के तट पर रहकर धार्मिक कृत्यों को करने से हुई थी वह अनैतिक अनाचार का जमावड़ा मात्र बन कर रह गया है। इस धार्मिक मेले में मांस, मछ्ली मदिरा का सेवन एवम अन्य अनैतिक कर्म होते हैं। अनैतिक क्रिया – कलापों के कारण मेला का धार्मिक स्वरूप धूमिल हो गया है।