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सपा का गोरखपुर संसदीय सीट से प्रत्याशी बदलने की सम्भावना, काजल निषाद लखनऊ के मेंदाता हॉस्पिटल में भर्ती

काजल निषाद हेडक की वजह से चक्कर खाकर गिर गईं। उन्हें पहले गोरखपुर के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया और फिर हालत गंभीर देख डॉक्टरों ने उन्हें लखनऊ के मेंदाता हॉस्पिटल रेफर कर दिया

गोरखपुर। लोकसभा चुनाव की घोषणा होते ही सबसे पहले समाजवादी पार्टी ने फिल्म ​अभिनेत्री काजल निषाद को गोरखपुर सीट से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। लेकिन, पीक चुनाव में काजल निषाद चुनाव मैदान में होने की बजाय अस्पताल में भर्ती हैं। उनके पैर में पहले से फ्रैक्चर था। ऐसे में टूटे हुए पैर से प्रचार करने के दौरान वे बीमार हो गईं। वो हेडक की वजह से चक्कर खाकर गिर गईं। उन्हें पहले गोरखपुर के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया और फिर हालत गंभीर देख डॉक्टरों ने उन्हें लखनऊ के मेंदाता हॉस्पिटल रेफर कर दिया। हालांकि, जांच में काजल को हार्ट अटैक की बात गलत निकली। रिपोर्ट में सामने आया है कि उन्हें हेडक की वजह से चक्कर आया था। फिलहाल उनका मेंदाता में इलाज चल रहा है। चौथी बार राजनीति में अपनी किस्मत आजमाने उतरीं काजल निषाद के बीच चुनाव में ही मैदान से बाहर हो जाने की चर्चा भी शुरू हो गई है। दबे जुबान से अब यह कहा जाने लगा है कि बीमार काजल चुनाव प्रचार के लिए फिलहाल अनफिट हैं। गोरखपुर जैसी महत्वपूर्ण सीट पर बीजेपी सांसद रवि किशन को टक्कर देना आसान नहीं होगा। कहा तो यहां तक जा रहा है कि जल्द ही समाजवादी पार्टी काजल के बीमार होने की वजह से यहां कोई दूसरा प्रत्याशी भी उतार सकती है। इसे लेकर दो नामों की चर्चा भी तेज हो गई है। पहला सपा के पूर्व विधायक विजय बहादुर यादव और दूसरा अमरेंद्र निषाद को प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चा शुरू हो गई है। हालांकि, समाजवादी पार्टी के नेता अभी इस पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।

काजल निषाद को लोकसभा प्रत्याशी बनाए जाने के पीछे भी सपा प्रमुख अखिलेश यादव का PDA फार्मूला साफ नजर आया। बीजेपी के गढ़ यानी ​मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अपनी सीट पर टक्कर देने के लिए सपा की सीधी नजर निषाद वोट बैंक पर थी। ​क्योंकि, गोरखपुर समेत पूर्वांचल की कई सीटों पर निषाद वोटर्स ही निर्णायक की भूमिका में होते हैं। इसके अलावा काजल निषाद के मैदान में होने से मुस्लिम और यादव के फिक्स वोट के साथ ही अन्य पिछड़े वोट पर भी सपा का सीधी नजर थी। क्योंकि, इसी फार्मूले के तहत 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद यहां हुए उपचुनाव में सपा,कांग्रेस और बसपा के महागठबंधन प्रत्याशी प्रवीण निषाद के आगे भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। काजल निषाद 2012 और 2022 में विधानसभा चुनाव और फिर 2023 के निकाय चुनाव में हार की हैट्रिक लगाने के बाद चौथी बार फिर राजनीति में भाग्य आजमा रही हैं।

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