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जहाँ पारिवरिक श्रम से परिवार के इस्तेमाल हेतु विभिन्न मौसमों में मौसमी फल तथा विभिन्न सब्जियाँ उगाई जाती है पोषण वाटिका कहलाती है – नन्द जी सिंह

जहाँ पारिवरिक श्रम से परिवार के इस्तेमाल हेतु विभिन्न मौसमों में मौसमी फल तथा विभिन्न सब्जियाँ उगाई जाती है पोषण वाटिका कहलाती है – नन्द जी सिंह
गडहनी। बिहार सरकार शिक्षा विभाग के निदेशालोक मे तथा प्रखण्ड साधन सेवी पीएम पोषण योजना गडहनी बसंत सिंह के मार्गदर्शन मे प्रखण्ड अंतर्गत मध्य विद्यालय काउप मे प्रधानाध्यापक सह डीडीओ नन्द जी सिंह एवं छात्र छात्राओं द्वारा पोषण वाटिका लगाया गया जिसमे भिन्न भिन्न प्रकार के सब्व्जियों के पौधे लगाए गए।इस अवसर पर श्रीसिंह ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि पोषण वाटिका या रसोईघर बाग़ या फिर गृह वाटिका उस वाटिका को कहा जाता है, जो घर के अगल बगल में घर के आंगन में ऐसी खुली जगह पर होती हैं, जहाँ पारिवरिक श्रम से परिवार के इस्तेमाल हेतु विभिन्न मौसमों में मौसमी फल तथा विभिन्न सब्जियाँ उगाई जाती है।
इन रासायनिक दवाओं का कुछ अंश फल सब्जी में बाद तक बना रहता है, जिसके कारण उन्हें इस्तेमाल करने वालों में बीमारियाँ से लड़ने की ताकत कम हो जाती हैं।इसके अलावा फलों व सब्जियों के स्वाद में अंतर आ जाता है। पोषण वाटिका मे फसल चक्र व सघन फसल पद्धति को अपनाना चाहिए।जैविक उत्पाद (रसायन रहित) होने के कारण फल व सब्जियों में काफी मात्रा में पोषक तत्त्व मौजूद रहते हैं।पोषण वाटिका से प्राप्त मौसमी फल व सब्जियों को परिरक्षित कर के सालभर इस्तेमाल किया जा सकता है।
मनोबैज्ञानिक दृष्टि से भी खुद उगाई गई फल सब्जियाँ बाजार की फलसब्जियों से अधिक स्वादिष्ठ लगती हैं।पोषण वाटिका मे बच्चों ने लौकी, टमाटर, करेला, मरचाई, गोभी, बैगन, भिन्डी आदि के पौधे लगाए।
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