
अंबेडकर नगर
अकबरपुर के पूर्व विधायक पवन पांडेय पर 48 से अधिक आपराधिक केस दर्ज हैं। अकबरपुर में ही करीब आठ करोड़ की जमीन के फर्जीवाड़े में उनका नाम सामने आया था, जिसमें तीन नवंबर 2023 को एसटीएफ ने उन्हें गिरफ्तार किया।
तब से वह जेल में ही हैं। हाल ही में पुत्र के विवाह में शामिल होने के लिए पेरोल पर घर आए थे। पूर्व विधायक के खिलाफ वर्ष 1984 में मारपीट का पहला मुकदमा दर्ज हुआ था। इसके बाद उनपर गैंगस्टर की कार्रवाई भी हुई थी।
उनके विरुद्ध सबसे चर्चित मामला अकबरपुर कोतवाली निवासी चंपा देवी ने दर्ज कराया है। चंपा ने पवन कुमार पांडेय और उनके समर्थक मुकेश तिवारी पर अकबरपुर-बसखारी मार्ग पर करीब आठ करोड़ रुपये की जमीन हड़पने का आरोप लगाया है। उनकी तहरीर पर पूर्व विधायक सहित 12 से अधिक लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है।
पीड़िता चंपा देवी ने पांच जून 2022 को बाहुबली पवन पांडेय के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। पुलिस के अनुसार तब उन्होंने बताया था कि उनकी अकबरपुर हाईवे पर करोड़ों की जमीन थी, जिसे पवन पांडेय ने उनके बेटे अजय सिंह को नशे का इंजेक्शन देकर 25 करोड़ की जमीन महज 20 लाख रुपये में अपने नाम दर्ज करा ली थी। आरोप है कि बाहुबली ने एक लड़की को कागजों में अजय सिंह की पत्नी बना दिया और उसी का सहारा लेकर उसकी बाकी जमीन भी नाम कराने की तैयारी में थे।
चंपा देवी का आरोप है कि पवन पांडेय ने ही उनके बेटे अजय सिंह की हत्या भी करवा दी और उस घटना को सड़क हादसे का रूप दे दिया। जमीन हड़पने और बेटे की मौत के मामले की जांच हाईकोर्ट ने अपने सुपरविजन में एसटीएफ को सौंप दी थी। उसी जांच के तहत एसटीएफ ने पवन पांडेय को गिरफ्तार भी किया है।
पूर्व विधायक बाबरी मस्जिद विध्वंस में भी मुख्य आरोपी थे। वह शिवसेना के टिकट पर 1991 में अकबरपुर विधानसभा से विधायक चुने गए। 1999 में सुल्तानपुर लोकसभा सीट से निर्दल मैदान में उतरे। लेकिन, जीत नहीं मिली। 2014 में उन्होंने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। इस बार भी हार मिली। पवन के बड़े भाई राकेश पांडेय मौजूदा समय में जलालपुर से सपा के बागी विधायक हैं।
दो बार बिगड़ चुकी है तबीयत
जेल में बंद पूर्व विधायक की तबीयत दो बार बिगड़ चुकी है। एक बार उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराने के बाद पुलिस सुरक्षा में ट्राॅमा सेंटर भेजना पड़ा था। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल आधार पर किंगजाॅर्ज मेडिकल कॉलेज लखनऊ में उपचार के लिए चार सप्ताह का पेरोल प्रदान किया था। केजीएमयू को भी कोर्ट ने निर्देश दिया था कि पूर्व विधायक के इलाज को लेकर विस्तृत रिपोर्ट भी दाखिल की जाए।
पूरा कुनबा ही राजनीति में
पवन पांडेय ने विधायक बनने से पहले ही बाहुबली नेता बनने की ओर अपना कदम बढ़ा दिया था। उनका पूरा कुनबा राजनीति में है। यह अलग बात है कि सभी लोग अलग-अलग पार्टी से नाता रखते हैं। लेकिन, परिवार एक ही है। पवन खुद तो शिवसेना के टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक रह चुके हैं, जबकि उनके भाई राकेश पांडेय सपा से जलालपुर के विधायक हैं। पवन पांडेय के भतीजा रितेश पांडेय अकबरपुर से बसपा के सांसद रह चुके हैं। इस बार भाजपा से चुनाव लड़े। लेकिन, सपा से उन्हें हार मिली।