
गुडा विश्नोईया, जोधपुर | ।।संवाददाता।। गुडा विश्नोईया के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में कार्यरत वरिष्ठ शिक्षक हनुमान सिंह राजपुरोहित एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। उन पर मिथ्या शपथ के आधार पर आश्वासित करियर प्रगति एवं पदोन्नति लाभ प्राप्त करने का गंभीर आरोप लगा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, श्री राजपुरोहित ने पदोन्नति प्रक्रिया के दौरान संतान संबंधी मिथ्या शपथ प्रस्तुत करते हुए स्वयं को केवल दो संतान वाला बताया था, जबकि जांच में यह स्पष्ट हुआ कि उनके कुल तीन संतान हैं।
आरोप प्रमाणित, जांच रिपोर्ट में पुष्टि
शिकायत प्राप्त होने पर शिक्षा विभाग द्वारा प्रकरण की जांच पुनः उच्च स्तर पर करवाई गई। जांच में यह तथ्य पूर्णतः प्रमाणित हुआ कि हनुमान सिंह ने नियमों की अवहेलना करते हुए गलत तथ्य प्रस्तुत किए। जांच रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि हनुमान सिंह राजपुरोहित के वास्तव में तीन संतानें हैं। जो कि नियमानुसार पदोन्नति में बाधक है।
जांच में मिलीभगत का आरोप
परिवादी ने जांच प्रक्रिया पर भी मिलीभगत का आरोप लगाया था। यद्यपि प्रारंभिक जांच में आरोपों को दबाने का प्रयास किया गया, लेकिन जिला स्तरीय हस्तक्षेप के बाद जब पुनः जांच करवाई गई, तो सारे तथ्य उजागर हुए।
राजनीतिक दबाव के कारण कार्यवाही नहीं
जांच में आरोप सिद्ध हो जाने के बावजूद विभाग द्वारा कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई। सूत्रों के अनुसार, हनुमान सिंह राजपुरोहित की राजनीतिक पहुंच और रसूखात के कारण विभागीय अधिकारी फैसला लेने से कतरा रहे हैं।
जांच प्रतिवेदन देने से इंकार
जब परिवादी ने विभाग से जांच प्रतिवेदन की प्रतिलिपि मांगी, तो विभाग ने इसे गोपनीय बताते हुए देने से इनकार कर दिया। इससे विभाग की नीयत और पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न खड़े हो गए हैं।
जिला स्तरीय जनसुनवाई में परिवाद, हुआ असर
परिवादी ने हार न मानते हुए जिला स्तरीय जनसुनवाई में प्रकरण प्रस्तुत किया। जनसुनवाई के प्रभाव स्वरूप, माध्यमिक जिला शिक्षा अधिकारी, जोधपुर ने संज्ञान लेते हुए हनुमान सिंह राजपुरोहित को राजस्थान सेवा नियम 16सीसी एवं 17सीसी के तहत नोटिस जारी किए हैं।
अब क्या आगे?
शिक्षा विभाग की यह कार्यवाही प्रारंभिक मानी जा रही है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, यदि दोष सिद्ध होता है, तो हनुमान सिंह राजपुरोहित को पदोन्नति निरस्त, वेतनवृद्धि रुकावट, या निलंबन जैसे दंडात्मक कार्यवाही का सामना करना पड़ सकता है।
सवाल कायम: क्या होगा न्याय?
अब यह देखना शेष है कि क्या राजनीतिक दबाव से परे हटकर विभाग निष्पक्ष कार्यवाही करेगा, या फिर एक बार फिर प्रभावशाली व्यक्तियों को बचाने की परिपाटी दोहराई जाएगी।
परिवादी का कहना है कि यदि कार्यवाही नहीं होती है, तो वे यह मामला लोकायुक्त या उच्च न्यायालय तक ले जाने को बाध्य होंगे।