
समीर वानखेड़े:
सरकार ने कर्नाटक ईएमटीए, अरबिंदो जैसी कुछ निजी कोयला खदानों को लाइसेंस प्रदान किए हैं। इन खदानों में बड़े पैमाने पर खनन चल रहा है और यहां का कोयला खुले बाजार में बेचा जा रहा है, जिसके कारण कोयला माफिया सक्रिय हो गए हैं। परिणामस्वरूप, असामाजिक गतिविधियां बढ़ रही हैं और कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होने की संभावना बढ़ गई है। इसलिए विधायक किशोर जोरगेवार ने अधिवेशन में बोलते हुए इस स्थिति पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
चंद्रपुर जिले में कोयला खदानों का जाल व्यापक रूप से फैल रहा है। हालाँकि, अब इसके दुष्परिणाम भी सामने आने लगे हैं। इन खदानों के कारण प्रदूषण, सार्वजनिक जीवन पर प्रभाव और अपराध की समस्याएं पैदा हुई हैं। कोयला खदानों की गलत नीतियों के कारण किसानों और कृषि व्यवसाय पर भी बुरा असर पड़ रहा है। इस बारे में कई शिकायतें मिली हैं। यह पत्र किशोर जोरगेवार के कार्यालय में प्राप्त हुआ। इन शिकायतों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने वेकोलि के सीएमडी से मुलाकात कर इस मुद्दे को उठाया था। हालांकि, ठोस कार्रवाई न होने पर उन्होंने मुंबई में चल रहे बजट सत्र के दौरान एक बार फिर सदन में यह मुद्दा उठाया।
बजट सत्र में प्रश्नकाल के दौरान बोलते हुए श्री. किशोर जोरगेवार ने सदन का ध्यान चंद्रपुर कोयला खदानों से उत्पन्न समस्याओं की ओर आकर्षित किया। वेकोलि की ओर से अधिग्रहित भूमि का मुआवजा अभी तक नहीं दिया गया है। इसके अलावा, शेष भूमि नहीं खरीदे जाने के कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने सदन का ध्यान इस ओर भी आकर्षित किया कि वेकोलि प्रशासन की मनमानी कार्रवाई के कारण कई किसानों के रास्ते अवरुद्ध हो रहे हैं और इस संबंध में तत्काल कार्रवाई की मांग की। बनराज कोयला खदान ने वन विभाग की भूमि पर अतिक्रमण कर लिया है और वहां से कोयला खनन शुरू कर दिया है। मांग की गई है कि इस प्रकार की घटना की जांच की जाए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। ऐसी मांग किशोर जोरगेवार ने सत्र मे की।