बुरहानपुर म.प्र । संत शिरोमणि सावता माली जी की पुण्यतिथि 3 अगस्त को जिलेभर में मनाई गई। ग्राम बंभाडा में स्थित सावता महाराज की प्रतिमा पर प्रातः से पुष्प माला अर्पित करते हुए पूजन करने का सिलसिला प्रारंभ था शाम को महाआरती का आयोजन किया गया।
ग्राम निवासी माली समाज अध्यक्ष रमेश गवली ने बताया सावता माली जी ने ईश्वर के नामजप पर अधिक बल दिया। ईश्वर प्राप्ति के लिए संन्यास लेने अथवा घर के परित्याग की आवश्यकता नहीं है। सावता महाराज ने अपने बाग में ही ईश्वर को देखा। सावता महाराज पांडुरंग को छुपाने के लिए खुरपी से अपनी छाती फाड़कर बालमूर्ति ईश्वर को हृदय में छुपाकर ऊपर से गमछा बांधकर भजन करते रहे। बाद में संत ज्ञानेश्वर एवं नामदेव पांडुरंग सावता महाराज के पास आए तब उनकी प्रार्थना के कारण पांडुरंग सावता बा की छाती से निकले तत्पश्चात ज्ञानेश्वर एवं नामदेव पांडुरंग के दर्शन से धन्य हुए।
मज़दूर यूनियन अध्यक्ष ठाकुर प्रियांक सिंह ने ग्रामवासियों के मध्य उद्बोधन में संत शिरोमणि का जीवन परिचय देते हुए कहा संत सावता माली संत ज्ञानदेव के समकालीन एक प्रसिद्ध संत थे। उनका जन्म सन् 1250 में हुआ था व उन्होंने 1295 में देह त्यागी। सावता माली के दादाजी देवु माली पंढरपुर के वारकरी थे उनके पिता पूरसोबा तथा माता खेती साथ ही भजन-पूजन और पंढरपुर की वारी करते थे।
ग्रामवासी धनराज टीके ने कहा सावता माली वारकरी संप्रदाय के प्रसिद्ध संत और भगवान विट्ठल के परम भक्त थे वे कभी पंढरपुर नहीं गए पर ऐसा कहा जाता है कि स्वयं विट्ठल उनसे मिलने उनके घर जाते थे। राहुल महाजन ने बताया संत सावता महाराज जी की पुण्यतिथि पर संपूर्ण ग्राम में भंडारे का आयोजन किया गया है जिसमें आसपास के ग्रामीणजन भी प्रसादी का लाभ लेंगे।
इस अवसर पर शांताराम चौधरी, धनराज महाजन, ईश्वर महाजन, कडु चौधरी, कार्तिक महाजन सहित संपूर्ण ग्रामवासी उपस्थित रहे।