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संत आशारामजी आश्रम ट्रस्ट, बेंगलुरु द्वारा हुई गौ-ग्रास सेवा*

संत आशारामजी आश्रम ट्रस्ट, बेंगलुरु द्वारा हुई गौ-ग्रास सेवा*

*संत आशारामजी आश्रम ट्रस्ट, बेंगलुरु द्वारा हुई गौ-ग्रास सेवा*

बेंगलुरु: संत आशारामजी आश्रम ट्रस्ट की तरफ़ से इस बार की गौग्रास सेवा शरद पूर्णिमा को बनशंकरी थर्ड स्टेज में स्थित नंदिनी गौशाला में सेवा हुई। सेवा के प्रारंभ में सभी ने गौमाताओं को धूप-चन्दन, पुष्पादि से वैदिक मंत्रोच्चार द्वारा पूजा-अर्चना आदि की। गौ माताओं का पूजन, गौ-आरती, परिक्रमा, दान-पुण्य आदि कर सभी साधकों ने गौ-प्रदक्षिणा की एवं गौधुली को माथे पर धारण किया ।
बेंगलुरु आश्रम संचालक- दीपक नायक ने बताया की- पूज्य संत आशारामजी बापू अपने सत्संग वचनामृत में बताते हैं- “जहां गौ माता है, वहां गोविंद है। गौ ग्रास नियमित रूप से निकालें और गौसेवा करें, तो पुण्य की प्राप्ति होगी। एक रोटी या पहली रोटी गाय की घर-घर से सनातन धर्म परंपरा को पुर्नजीवित करेगी । प्रभु केवल प्रेम के भूखे हैं। कर्मयोगी बनें और अपना दायित्व निभाते हुए प्रभु की भक्ति करें। जिस व्यक्ति के भाग्य की रेखा सोई हुई हो तो वो व्यक्ति अपनी हथेली में गुड़ को रखकर गौ माता को जीभ से चटाये गौ माता की जीभ हथेली पर रखे गुड़ को चाटने से व्यक्ति की सोई हुई भाग्य रेखा खुल जाती है। गौ माता के चारों चरणों के बीच से निकल कर परिक्रमा करने से इंसान भय मुक्त हो जाता है। जो व्यक्ति गौ माता की सेवा पूजा करता है, उस पर आने वाली सभी प्रकार की विपदाओं को गौ माता हर लेती है । गौ माता जिस जगह खड़ी रहकर आनंदपूर्वक चैन की सांस लेती है । वहां वास्तु दोष समाप्त हो जाते हैं । गौ माता वात्सल्य भरी निगाहों से जिसे भी देखती है उनके ऊपर गौकृपा हो जाती है। काली गाय की पूजा करने से नौ ग्रह शांत रहते हैं । जो धर्म के साथ गौ पूजन करता है उनको शत्रु दोषों से छुटकारा मिलता है।”

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