
कुंदरकी में भाजपा की रिकॉर्ड 1.44 लाख वोट सेऐतहासिक जीत को सपा नेता प्रशासनिक बेईमानी कानतीजा बता रहे हैं। लेकिन पोस्टल बैलेट का रिकॉर्डबताता है कि इस बार कुंदरकी के लोग पहले ही बदलावका मन बना चुक थे। कुृंदरकी में पोस्टल बैलेट से लेकरईवीएम तक वोटिंग का ट्रंड कॉमन रहा है। ये कॉमन ट्रेंडसपा नेताओं के आरोपों को खारिज कर रहा है।
पोस्टल बैलेट में किसी तरह की बेईमानी मुमकिन नहींहै। इसमें किसी तरह का प्रशासनिक हस्तक्षेप नहीं होताहै। कुंदरकी उपचुनाव में कुल 98 पोस्टल बैलेट यूजहुए। इनमें से 68 वोट भाजपा प्रत्याशी रामवीर सिंह कोमिले। जोकि टोटल पोस्टल बैलेट का करीब 70 प्रतिशत
रामवीर को ईवीएम से भी इतने ही फीसदी वोट मिले हैं।जबकि सपा प्रत्याशी हाजी रिजवान को पोस्टल बैलेटसे सिर्फ 19 वोट मिले। ये दर्शाता है कि हाजी रिजवानको इस बार शुरू से ही कुंदरकी की पब्लिक ने नापसंदकिया।
कुल पोस्टल बैलेट में से 3 वोट बसपा प्रत्याशी
रफतउल्ला को, 7 आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशीहाजी चांद बाबू को, जबकि AIMIM प्रत्याशी हाजीवारिस अली को 1 पोस्टल बैलेट मिला है।
रिजवान की करारी हार की 3 वजहें
कैंडिडेट सिलेक्शन में चूकी सपा, रिजवान का विरोधनहीं भांप सकी
समाजवादी पार्टी से कुंदरकी में कैंडिडेट सिलेक्शन मेंबड़ी चूक हुई। यहां सपा ने तीन बार के विधायक हाजीमोहम्मद रिजवान को चुनाव मैदान में उतारा। लेकिनसपा नेतृत्व ये भांपने में नाकाम रहा कि हाजी रिजवानका कुंदरकी में जबरदस्त विरोध है।
उनके बेटे हाजी कल्लन की करतूतों की वजह सेमुस्लिमों में भी हाजी रिजवान का बड़ा विरोध था। जबहाजी रिजवान विधायक थे तो कल्लन पर आए दिनगुंडई करने के आरोप लगते रहे। पहले उसने विरोधियोंको परेशान किया फिर उसकी हरकतों से रिजवान केसमर्थक भी परेशान होने लगे।रिजवान के खिलाफ लोगों में गुस्सा था ये बात अखिलेशके मंच से भी गूंजी थी। अखिलेश जब कुंदरकी में वोटमांगने आए तो सांसद जियाउरहमान बर्क ने उनकीमौजूदगी में मंच से पब्लिक से कहा था- आपके मनमें किसी के प्रति गुस्सा हो सकता है लेकिन अखिलेशयादव के लिए गुस्सा नहीं हो सकता। इसलिए अखिलेशके चेहरे पर वोट करें।
बर्क का विरोध करना रिजवान की बड़ी चूक साबित हुई
इसके अलावा हाजी रिजवान ने जिस तरह 2022 मेंसपा से बगावत करके बर्क के पोते जियाउर्रेहमान कोहराने की कोशिश की थी, उससे तुर्क भी उनसे खफाथे। डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क को तु्कों का सबसे बड़ा नेता
माना जाता था।
तुर्क बहुल सीट होने की वजह से बर्क का कुंदरकी मेंजबरदस्त प्रभाव था। यही वजह थी कि उन्होंने अपनेपोते को राजनीति में एंट्री दिलाने के लिए कुंदरकी कोचुना था। लेकिन तब हाजी रिजवान बर्क के पोते कोहराने के लिए किसी भी लेवल तक जाने को तैयार थे।
रिजवान ने 2022 विधानसभा चुनाव में अपने समर्थकोंसे ये तक कहा था कि साइकिल का वोट भाजपासे ये तक कहा था कि साइकिल का वोट भाजपापर धकेल दो लेकिन ये (जियाउर्रहमान) नहीं जीतनाचाहिए। इससे तुर्कों में रिजवान की साख कम हुई।
सपा के सांसद-विधायकों ने नहीं लड़ाया चुनाव
कुंदरकी उपचुनाव में सपा के सांसद-विधायक पिक्चरसे गायब रहे। सिर्फ अखिलेश के मंच पर चेहरा दिखानेपहुंचे। अखिलेश यादव से भी ये बात छुपी नहीं है।उन्होंने कुंदरकी में मंच से कहा था, हमारे कुछ लोगप्रशासन से मिले हैं। उनरमें से कुछ यहां मेरे पीछे मंच परभी बैठे हैं। इन्हें 2027 में टिकट नहीं मिलेगा।
अखिलेश का ये बयान यूं ही नहीं आया था। दरअसलकुंदरकी उपचुनाव में सपा के सांसद और विधायकशुरू से आखिर तक कहीं नजर ही नहीं आए। सपा केमुरादाबाद में तीन सांसद हैं। मुरादाबाद सांसद रुचिवीरा,संभल सांसद जियाउरहमान बर्क और राज्यसभा सांसद
जावेद मुरादाबाद में ही रहते हैं। जियाउर्रहमान की तो2 विधानसभा ही मुरादाबाद जिले में आती हैं। उन्हींकी सीट कुंदरकी पर उपचुनाव हो रहा था। ऐसे में इससीट को बचाने की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी सांसद।
सीट को बचाने की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी सांसदजियाउर्रहमान बर्क पर ही थी। लेकिन बर्क को शायद2022 की टीस याद थी, इसलिए उन्होंने इस चुनाव सेखुद को सर्मेटकर दूर रखा।
मुरादाबाद में सपा के 5 विधायक हैं। ये भी चुनावीपिक्चर से दूर ही रहे। मौ दीन पत्रकार रिपोर्टर भोजपुर जिला मुरादाबाद